Jharkhand : DIG की अनुशंसा पर भारी पड़ी SDPO की रिपोर्ट, पुलिस एसोसिएशन ने जताई आपत्ति
झारखंड स्टेट में पुलिस कांस्टेबल से पुलिस इंस्पेक्टर लेवल के अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग में पुलिस हेडक्वार्टर की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने इस पर कड़ी आपत्ति जतायी है। आरोप लगाया है कि डीजीपी की गोपनीय शाखा में बैठे कुछ लोग नियम विरुद्ध ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल में लगे हुए हैं।

- प्रशासनिक दृष्टिकोण से हुए ट्रांसफर को भी पुलिस हेडक्वार्टर ने किया रद
- एसोसिएशन ने डीजीपी की गोपनीय शाखा के कर्मियों पर लगाया गंभीर आरोप
रांची। झारखंड स्टेट में पुलिस कांस्टेबल से पुलिस इंस्पेक्टर लेवल के अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग में पुलिस हेडक्वार्टर की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने इस पर कड़ी आपत्ति जतायी है। आरोप लगाया है कि डीजीपी की गोपनीय शाखा में बैठे कुछ लोग नियम विरुद्ध ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल में लगे हुए हैं।
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ताजा मामला धनबाद जिला से संबंधित है। धनबाद एसएसपी की अनुशंसा पर कोयला क्षेत्र बोकारो के डीआईजी सुरेंद्र कुमार झा ने 28 जनवरी को प्रशासनिक दृष्टिकोण से 54 पुलिसकर्मियों का ट्रांसफर करने की अनुशंसा पुलिस हेडक्वार्टर से की थी। डीजीपी के आदेश पर सभी 54 पुलिसकर्मियों का ट्रांसफर हो भी गया। डीजीपी के आदेश पर डीआईजी कार्मिक ने 24 फरवरी को प्रशासनिक दृष्टिकोण लगाते हुए सभी 54 पुलिसकर्मियों का विभिन्न जिला-इकाइयों में ट्रांसफर-पोस्टिंग कर दिया। इससे संबंधित पत्र भी जारी हो गया।
इसके बाद एसडीपीओ बाघमारा की पांच मई को भेजी गयी रिपोर्ट के आधार पर पर डीजीपी ने उन 54 पुलिसकर्मियों में से दो सिपाही संजय कुमार महतो और गौरव कुमार सिंह के ट्रांसफर को कैंसिल करते हुए पुन: धनबाद जिले में वापस कर दिया। डीजीपी के आदेश पर डीआईजी कार्मिक ने छह मई को इससे संबंधित आदेश जारी कर दिया। अब सवाल यहां यह उठा है कि जिसे अनुशासनहीनता में हटाया, उसे पुन: उसी जिले में कैसे बहाल कर दिया।
खुद को निर्दोष बता हाई कोर्ट पहुंचे 54 पुलिसकर्मी
सामान्य ट्रांसफर और प्रशासनिक दृष्टिकोण से ट्रांसफर में अंतर होता है। सामान्य ट्रांसफर में जिस जिले से ट्रांसफर हुए, उसी जिले में वापसी संभव है। प्रशासनिक दृष्टिकोण से ट्रांसफर का मतलब अनुशासनहीनता के आरोप में ट्रांसफर माना जाता है। प्रशासनिक दृष्टिकोण से ट्रांसफर के लिए पुलिस मैनुअल में नियम है कि इसे किसी भी परिस्थिति में निरस्त नहीं किया जा सकता है। जिस पर यह लगता है, उन्हें दूसरे जिले में ही ट्रांसफर किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में उनकी उसी जिले में पुन: वापसी नहीं हो सकती है।प्रशासनिक दृष्टिकोण से ट्रांसफर किये जाने के विरोध में ही सभी 54 पुलिसकर्मियों ने अपने को निर्दोष बताते हुए हाई कोर्ट में डब्ल्यूपीसी संख्या 3543/25 में पुलिस हेडक्वार्टर के आदेश के विरुद्ध गुहार लगाई है जो कोर्ट में विचाराधीन है।
झारखंड पुलिस एसोसिएशन नाराज
झारखंड पुलिस एसोसिएशन का कहना है कि पुलिस हेडक्वार्टर के एनजीओ में बैठे कुछ लोग ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल खेल रहे हैं। डीजीपी को गुमराह कर ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल हो रहा है। डीजीपी को उच्चस्तरीय जांच कराकर ऐसे लोगों को चिह्नित कर उन्हें हटाना चाहिए, ताकि हेडक्वार्टर की छवि धूमिल न हो।
एक सार्जेंट मेजर की शातिराना खेल!
जानकार सोर्सेज का कहना है कि धनबाद जिला में एक सार्जेंट मेजर के शातिराना खेल का खामियाजा 54 पुलिसकर्मियों को भुगतान पड़ रहा है। ट्रांसफर किये गये पुलिसकर्मियों में मेजर की नजरें टेढ़ी रही है। संबंधित सार्जेंट मेजर पर पहले भी आरोप लगते रहे हैं। अपनी च्वाइस पोस्टिंग के तहत वह दूसरे जिला से धनबाद जिला में आये हैं। मेजर ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट की। समान नाम के पुलिसकर्मियों के टाइटल में बेरफेर कर कार्रवाई की अनुशंसा करायी गयी है। आरोप है कि मामले में सीनीयर अफसरों को भी गुमराह किया गया है। मेजर के चेहते पुलिसकर्मी क्रीम थाने में मजा मार रहे हैं। मामले की पुलिस हेडक्वार्टर लेवल से जांच होने पर सच्चाई सामने आ सकती है।