Jharkhand: अगड़ों की अनदेखी, पिछड़ों की नाराज़गी — झारखंड कांग्रेस में बढ़ा घमासान

झारखंड कांग्रेस में संगठन सृजन कार्यक्रम से मचा घमासान। जिलाध्यक्षों के चयन में जातीय असंतुलन, अगड़ों की अनदेखी और पिछड़ों की नाराज़गी से पार्टी में बढ़ा कलह। केंद्रीय नेतृत्व फार्मूला खोजने में जुटा।

Jharkhand: अगड़ों की अनदेखी, पिछड़ों की नाराज़गी — झारखंड कांग्रेस में बढ़ा घमासान
नेताओं की नाराज़गी से बढ़ी सिरदर्दी।
  • नये जिलाध्यक्षों की नियुक्ति से बिगड़ा जातीय समीकरण, संगठन सृजन कार्यक्रम बना सिरदर्द
  •  कोडरमा से शुरू हुआ विरोध अब धनबाद–पलामू तक पहुंचा
  • केंद्रीय नेतृत्व ने फार्मूला खोजने की कवायद तेज की

रांची। झारखंड में कांग्रेस का संगठन सृजन कार्यक्रम अब पार्टी के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है। जिला अध्यक्षों के बदलाव के बाद कांग्रेस में जातीय समीकरण बिगड़ गए हैं। पार्टी में विरोध की आग लगातार फैल रही है। कोडरमा से शुरू हुआ असंतोष अब धनबाद, हजारीबाग, पलामू और देवघर तक पहुंच गया है।
केंद्रीय नेतृत्व अब इस संकट से निपटने के लिए फार्मूला खोजने में जुट गया है।
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केंद्रीय नेतृत्व सक्रिय, के. राजू ने केसी वेणुगोपाल से की मुलाकात
सूत्रों के अनुसार प्रदेश कांग्रेस प्रभारी के. राजू ने रविवार शाम कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात कर संगठन में व्याप्त असंतोष की जानकारी दी। बताया जा रहा है कि राजू ने “जातीय असंतुलन” को सुधारने के लिए कुछ नए सांगठनिक जिलों के गठन और कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति का प्रस्ताव दिया है।धनबाद महानगर और जमशेदपुर महानगर में अलग इकाई बनाने का सुझाव दिया गया है। वहीं कुछ जिलों में जातीय संतुलन साधने के लिए कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति की बात चल रही है।
जातीय समीकरण बिगड़ने से असंतोष चरम पर
कांग्रेस में लंबे समय से चली आ रही जातीय असमानता अब खुलकर सामने आ गयी है।

कायस्थ समुदाय को किसी भी जिले में जिलाध्यक्ष पद नहीं मिला है।

तेली समाज की भी अनदेखी की गयी है।

ब्राह्मण बहुल जिलों गढ़वा और पलामू में किसी ब्राह्मण को जिलाध्यक्ष नहीं बनाया गया।

कोडरमा में यादव बहुल क्षेत्र होने के बावजूद धोबी समुदाय से प्रकाश रजक को जिलाध्यक्ष बनाया गया।

देवघर में पार्टी ने पांच साल के अनुभव की शर्त दरकिनार कर एक नये चेहरे को जिलाध्यक्ष बना दिया, जिससे स्थानीय कार्यकर्ता भड़क गयेए।

इन नियुक्तियों से यह संदेश गया है कि पार्टी अगड़ों को नज़रअंदाज और पिछड़ों को भूल रही है।
दीपावली तक और बढ़ सकता है विरोध
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि दीपावली तक विरोध और तेज़ हो सकता है। कई जिलों में कार्यकर्ता और पूर्व पदाधिकारी खुलकर प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ बयानबाजी की तैयारी में हैं। इस बीच, प्रदेश प्रभारी के. राजू पर उम्मीदें टिकी हैं कि वे “कार्यकारी अध्यक्ष फार्मूला” के जरिए हालात संभाल पायेंगे।
पार्टी के सामने बड़ी चुनौती
झारखंड में कांग्रेस का संगठन पहले से ही कमजोर स्थिति में है। अब जातीय असंतुलन और गलत चयन की वजह से संगठनात्मक एकता खतरे में है। केंद्रीय नेतृत्व को जल्द ही एक ठोस रणनीति बनानी होगी, वरना 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की स्थिति और कमजोर हो सकती है।
विश्लेषण
झारखंड में कांग्रेस का संगठन सृजन कार्यक्रम जातीय असंतुलन की भेंट चढ़ गया है। पार्टी जहां नए जिलाध्यक्षों के जरिए अपनी जड़ें मजबूत करना चाहती थी, वहीं अब वही कदम उसके लिए सिरदर्द बन गया है। आने वाले हफ्तों में कांग्रेस को “एकजुटता बनाम जातीय असंतुलन” की चुनौती से जूझना होगा।