झारखंड: बुरी तरह फंस गये हजारीबाग के BJP विधायक, प्रदीप प्रसाद भी लैंड स्कैम में आरोपी
हजारीबाग वन-भूमि घोटाले में एसीबी ने भाजपा विधायक प्रदीप प्रसाद को भी आरोपी बनाया। नेक्सजेन मालिक व निलंबित IAS पर पहले से मामला दर्ज। जांच जारी।
- एसीबी ने हजारीबाग वन-भूमि घोटाले में बीजेपी एमएलए प्रदीप प्रसाद को भी आरोपी बनाया
- कांड संख्या 11/2025 की प्राथमिकी में कई अधिकारी व कारोबारी नामजद।
- जेल में हैं नेक्सजेन ऑटोमॉबाइल के संचालक विनय सिंह और निलंबित IAS विनय कुमार चौबे
- एसीबी ने कई रजिस्ट्रियों और जमीनों की पड़ताल की
- प्राथमिक जांच में कथित अवैध म्यूटेशन व नियमविरुद्ध जमाबंदी के सबूत मिले
रांची। हजारीबाग के बहुचर्चित वन-भूमि (कहें तो 'कhasmahal/वन-भूमि') घोटाले की जांच में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने अब भाजपा के हजारीबाग सदर विधायक प्रदीप प्रसाद का नाम भी आरोपी परक़्षेप्ट किया है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार विधायकी के साथ-साथ उन पर प्रतिबंधित वन भूमि खरीदने और नियमविरुद्ध जमाबंदी (म्यूटेशन/पावर) लेने के आरोप हैं — जिनकी जांच एसीबी कर रही है।
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हजारीबाग के बहुचर्चित वन भूमि घोटाले में वहां के बीजेपी एमएलए प्रदीप प्रसाद को भी एसीबी ने अभियुक्त बनाया है। एमएलए पर आरोप है कि उन्होंने प्रतिबंधित वन भूमि खरीदी थी। वन भूमि से संबंधित कुछ जमीन का पावर भी उन्होंने गलत तरीके से ले रखा था। इस मामले में पहले से नेक्सजेन आटोमोबाइल के संचालक विनय सिंह व उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह के अलावा हजारीबाग के तत्कालीन डीसी विनय कुमार चौबे आरोपित हैं।
निलंबित आईएएस अफसर विनय कुमार चौबे व उनके करीबी नेक्सजेन के संचालक विनय सिंह वर्तमान में न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं। अब बीजेपी एमएलए प्रदीप प्रसाद के विरुद्ध भी एसीबी कार्रवाई की तैयारी में है। एमएलए पर आरोप है कि वे कारोबारी विनय सिंह के रजिस्ट्री में गवाह भी बने थे। एसीबी ने बाद में हजारीबाग के तत्कालीन अंचलाधिकारी शैलेश कुमार व जमीन दलाल विजय सिंह को भी गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा था।
एफआइआर के मुताबिक, वन भूमि की खरीद-बिक्री के वक्त प्रदीप प्रसाद गवाह थे। इसके अलावा सूचना है कि विनय सिंह की तरह उन्होंने भी जमीन की खरीद की है। यहां यह महत्वपूर्ण है कि प्रदीप प्रसाद राजनीति में आने से पहले हजारीबाग के बड़े जमीन कारोबारियों में से एक हैं। आईएएस विनय चौबे के हजारीबाग डीसी रहने के दौरान वन भूमि की अवैध ढंग से खरीद-बिक्री और नियमविरुद्ध म्यूटेशन से जुड़े मामले की जांच एसीबी कर रही है। इस संबंध में एजेंसी ने कांड संख्या 11/2025 दर्ज की है. इस प्राथमिकी में 70 से ज़्यादा लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है।
कई लोग गिरफ्तार किये जा चुके हैं। कई अब भी फरार हैं। एफआइआर के मुताबिक प्रदीप प्रसाद उस निबंधित दस्तावेज (डीड) के गवाह हैं, जिसके जरिये विनय सिंह और उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह ने वन भूमि को पहले खरीदा, फिर उसकी जमाबंदी अपने नाम करवाई और उसके बाद उस पर शोरूम खड़ा कर दिया। विनय सिंह और स्निग्धा सिंह ने उक्त भूमि को वर्ष 2010 में अपने नाम पर रजिस्ट्री करवाई थी। जिसकी डीड संख्या 1763/1710 है. यह दस्तावेज बुक नंबर 1 के वॉल्यूम नंबर 45 में दर्ज है। जिसकी पृष्ठ संख्या 31 से लेकर 66 है। यह रजिस्ट्री 10 फरवरी 2010 को हजारीबाग रजिस्ट्री ऑफिस में हुई थी।
लैंड स्कैम से जुड़े इस केस में अब तक ACB ने विनय चौबे के करीबी ऑटो मोबाइल कारोबारी विनय सिंह, हजारीबाग के लैंड ब्रोकर विजय सिंह और हजारीबाग के तत्कालीन सदर अंचल अधिकारी शैलेश कुमार को गिरफ्तार किया है। विनय सिंह की पत्नी स्निग्धा सिंह भी कांड संख्या11/2025 की नामजद आरोपी हैं। ACB के मुताबिक, जिस भूमि को लेकर एफआइआर दर्ज की गयी है, वह विनय सिंह और उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह के नाम पर है। यह भूमि हजारीबाग के सदर अंचल के थाना नंबर 252 में स्थित है। जिसका खाता नंबर 95, प्लॉट नंबर 1055, 1060 और 848 जिसका कुल रकबा 28 डिसमिल और खाता नंबर 73, प्लॉट नंबर 812 का रकबा 72 डिसमिल है। यह भूमि सदर अंचल के बभनवे मौजा के हल्का 11 में स्थित है।
एसीबी ने इस मामले में पहले से ही नेक्सजेन आटोमोबाइल के संचालक विनय (कुमार) सिंह व उनकी पत्नी तथा हजारीबाग में उस वक्त के प्रशासनिक अधिकारियों को नामजद किया था। निलंबित आईएएस विनय कुमार चौबे का नाम भी इस मामले में उभरा है। वे अलग-अलग मामलों में न्यायिक हिरासत में हैं। एसीबी ने शुरुआती जांच (प्रारम्भिक जांच/पीई) में बड़े पैमाने पर अनियमिततायें पायी और इसके बाद नियमित प्राथमिकी दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू की — मामला कांड संख्या 11/2025 के तहत दर्ज बताया गया है।
प्राथमिकी व एसीबी की रिपोर्ट के हवाले से बताया जा रहा है कि जिन जमीनों को विषय बनाया गया है, उन पर नियमविरुद्ध तरह-तरह के परिवर्तन (जैसे वन भूमि का निजीकरण, गलत तरीके से जमाबंदी, और बाद में व्यावसायिक उपयोग हेतु रजिस्ट्री) किए गए। एसीबी ने संदिग्ध रजिस्ट्रियों, गवाहों और खरीदार-विक्रेताओं के लेन-देन का ब्यौरा खंगाला है। प्रारंभिक पड़ताल में ऐसे कई नाम सामने आए जिनके विरुद्ध अब मुकदमेबाजी व गिरफ्तारी की प्रक्रिया तेज़ हो रही है।
एमएलए प्रदीप प्रसाद ने एसीबी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि वह निर्दोष हैं और जिन जमीनों का हवाला दिया जा रहा है वे दर्ज दस्तावेज़ों से सैकड़ों वर्षों से दर्ज हैं। सच्चाई यह है कि उक्त जमीन वर्ष 1915 का ही रजिस्ट्री केवाला है। 110 साल का केवाला कैसे गलत हो सकता है? उसपर विगत 35-40 वर्षों से कोल्ड स्टोरेज, कत्था फैक्ट्री बना हुआ है। जमींदारी काल से चली आ रही जमीन को वन भूमि कहा जा रहा है। — उनका कहना है कि पुराने रिकॉर्ड और दीर्घकालिक उपयोग (कॉल्ड-स्टोरेज, फैक्ट्री इत्यादि) यह साबित करते हैं कि आरोप बेबुनियाद हैं। अगर जांच होती है तो वे उसका पूरी सच्चाई व दस्तावेजी तथ्यों के साथ सामने आकर सामना करेंगे। उन्होंने कहा कि सत्य की जीत होगी और वे दस्तावेज व साक्ष्य के साथ जांच में पूरा सहयोग करेंगे। (विधायक का यह बयान सार्वजनिक दावा/प्रतीक है)।सत्य की जीत होती है।
क्या हुआ अब तक
एसीबी ने विभिन्न ठिकानों पर छापे, रजिस्ट्रियों की पुष्टि की और कुछ लोगों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा है; केस संख्या व अभियोगों के आधार पर आगे की न्यायिक कार्यवाही चल रही है। जांच अभी भी जारी है और ACB द्वारा जुटाये गये दस्तावेज़ और सबूत अदालत में पेश किये जायेंगे।






