Jhrakhand: देवघर में महाशिवरात्रि पर धारा 144 लगाये जाने का विरोध, निशिकांत दुबे ने हाई कोर्ट में दाखिल की याचिका
झारखंड के देवघर में महा शिवरात्रि के मौके पर हर बार की तरह इस बार भी बड़े ही धूमधाम से शिव बारात निकाली जायेगी। सभी तैयारियां भी जोरों पर थीं। अनुमंडल इलाके में एसडीओ के आदेश के बाद महा वरात्रि के पर्व पर पूरे शहर में धारा 144 लागू कर दी गई। इसे लेकर गोड्डा एमपी निशिकांत दूबे ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल किया है।
देवघर। झारखंड के देवघर में महा शिवरात्रि के मौके पर हर बार की तरह इस बार भी बड़े ही धूमधाम से शिव बारात निकाली जायेगी। सभी तैयारियां भी जोरों पर थीं। अनुमंडल इलाके में एसडीओ के आदेश के बाद महा वरात्रि के पर्व पर पूरे शहर में धारा 144 लागू कर दी गई। इसे लेकर गोड्डा एमपी निशिकांत दूबे ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल किया है।
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शहर में कई संगठन एसडीएम के आदेश का विरोध जता रहे हैं क्योंाकि देवघर में बीते कई सालों से महा शिवरात्रि के मौके पर शिव बारात निकालने की प्रथा का पालन किया जाता रहा है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। अब अगर धारा 144 लागू होगी, तो भक्त बारात देखने कैसे पहुंचेंगे। निशिकांत दुबे ने बुधवार को इस पर हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। उनके अधिवक्ता ने गुरुवार को इस मामले में तत्काल सुनवाई के लिए विशेष मेंशन किया, जिसे एक्टिंग चीफ जस्टिस अपरेश कुमार सिंह और जस्टिस दीपक रोशन की कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
धारा 144 लागू करने और शिव बारात के मार्ग को परिवर्तन को चुनौती
निशिकांत दुबे ने जनहित याचिका दाखिल कर देवघर जिला प्रशासन की ओर से धारा 144 लागू किए जाने और शिव बारात के मार्ग को परिवर्तन को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि जिला प्रशासन ने मनमाने ढंग से शिव बारात के मार्ग में बदलाव किया है। ऐसा करना श्रद्धालुओं की श्रद्धा के साथ खिलवाड़ करना है। इसलिए कोर्ट मामले में हस्तक्षेप करें। याचिका में कहा गया है कि देवघर में कई सालों से शिव बारात निकालने की परंपरा रही है।1994 में इसके आयोजन के लिए समिति बनाई गई थी, जिसकी ओर से बारात के लिए रूट निर्धारित किया जाता था। लेकिन जिला प्रशासन ने बिना समिति की सहमति लिए मनमाने ढंग से बारात निकालने का मार्ग तय कर दिया है।
जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित रूट काफी सकरा
जिला प्रशासन की ओर से निर्धारित मार्ग में सड़क काफी संकरा है। इससे शिव बारात निकालने में परेशानी होगी। याचिका में कहा गया है कि इस तरह के सांस्कृतिक जुलूस के लिए दूसरे मार्ग में बदलाव किया जाता है, जबकि जिला प्रशासन ने शिव बारात वाले मार्ग में ही बदलाव कर दिया है।
आस्था से खिलवाड़ करने का लगाया आरोप
याचिका में आरोप लगाया है कि जानबूझकर जिला प्रशासन ने ऐसा निर्णय लिया है। श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है। निर्धारित मार्ग से शिव बारात निकालने की पुरानी परंपरा रही है। सांसद की ओर से इस मामले में अदालत हस्तक्षेप करने की मांग की गई है।
धारा 144 लगाने का नहीं बताया गया स्पष्ट कारण
याचिका में यह भी कहा गया है कि देवघर एसडीओ ने शिवरात्रि के दिन धारा 144 लागू कर दी है। इसके पीछे कोई स्पष्ट कारण भी नहीं बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार जब तक यह स्पष्ट न हो जाए कि उक्त क्षेत्र में शांति भंग होने की संभावना, तब तक निषेधाज्ञा नहीं लगाई जा सकती है। लेकिन जिला प्रशासन ने पूर्वाग्रह से प्रेरित होकर उक्त आदेश पारित किया है। जिसे निरस्त किया जाए।
निशिकांत दुबे ने हेमंत सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा
इस मामले में सांसद निशिकांत दुबे ने प्रशासन को चुनौती दी है और कहा है कि अगर शिव बारात को लेकर मनमानी की गई, तो आमरण अनशन पर बैठ जायेंगे। उन्होंगने हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बीजेपी एमपी निशिकांत दुबे ने कहा, 'देवघर भगवान शिव की भूमि है। देवघर का अर्थ है कि महादेव यहां के कण-कण में निवास करते हैं। हजारों सालों से यहां शिव बारात निकाली जा रही है। भगवान शिव की नगरी में अगर शिव बारात नहीं निकाली तो और कहां निकाली जाएगी? मक्का और वेटिकन में?'
शिव बारात को लेकर विवाद
उन्होंंने महाशिवरात्रि पर देवघर में झारखंड सरकार द्वारा धारा 144 लगाने पर आगे कहा, 'यह 'बाबा की नगरी' है। यहां किसी का अहंकार नहीं चलेगा। मेरा मानना है कि यही हेमंत सोरेन के पतन का मार्ग है।' शहर में महाशिव रात्रि के मौके पर शिव बारात समिति ने जो रूट तय किए थे और जिला प्रसाशन की तरफ से जिस रूट को लेकर आदेश जारी किया गया है इसे लेकर विवाद है। एमपीनिशिकांत दुबे ने इसे लेकर एक ट्वीट किया है।
आमरण अनशन पर बैठ सकते हैं एमपी
प्रशासन ने जिस रूट चार्ट को तय किया है उसे लेकर शिवरात्रि महोत्सव समिति से किसी प्रकार का कोई संवाद नहीं किया गया है। समिति का कहना है कि प्रशासन का रूट चार्ट संकीर्ण है और लोगों की अधिक भीड़ होने की वजह से इन्हेंर संभालने में परेशानी हो सकती है। एमपी ने कहा है कि धारा 144 लगाना और बिना शिव रात्रि महोत्सव समिति की सहमति के रूट तय करना तानाशाही है। यदि प्रशासन नहीं संभला तो वह भगवान शिव के लिए आमरण अनशन कर सकते हैं।