Uttar Pradesh में 63 परसेंट  से अधिक DM, SP, VC सवर्ण, समाजवादी पार्टी के अमेरिकी चैप्टर का जातीय हिसाब

उत्तर प्रदेश में बीजेपी के हिन्दुत्व की धार को कमजोर करने के लिए समाजवादी पार्टी ने अब पिछड़ों और दलितों की लामबंदी तेज कर दी है। समाजवादी पार्टी ने यूपी में अलग-अलग पदों पर बैठे स्वर्णों, पिछड़ों और दलितों का आंकड़ा जारी किया है। 

Uttar Pradesh में 63 परसेंट  से अधिक DM, SP, VC सवर्ण, समाजवादी पार्टी के अमेरिकी चैप्टर का जातीय हिसाब

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बीजेपी के हिन्दुत्व की धार को कमजोर करने के लिए समाजवादी पार्टी ने अब पिछड़ों और दलितों की लामबंदी तेज कर दी है। समाजवादी पार्टी ने यूपी में अलग-अलग पदों पर बैठे स्वर्णों, पिछड़ों और दलितों का आंकड़ा जारी किया है। 

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एसपी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने गुरुवार को बीजेपी पर पिछड़ों और दलितों का इस्तेमाल केवल वोट के लिए करने का आरोप लगाया। वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के अमेरिकी चैप्टर ने इसमें जातीय हिसाब का तड़का लगा दिया है। सामजवादी पार्टी के यूएसए चैप्टर के ट्वीटर हैंडल से अखिलेश के ट्वीट को रिप्लाई करते हुए तीन ग्राफ भी शेयर किये गये। ट्वीट में लिखा गया कि जातीय आकड़ों के इस ग्राफ को भी सबूत के तौर पर इसमें शामिल कर लिया जाए।

पिछड़े-दलित बीजेपी के लिए सिर्फ वोट के पैमाने पर हिंदू

अखिलेश ने अपने ट्वीट में लिखा कि पिछड़े-दलित बीजेपी के लिए सिर्फ वोट के पैमाने पर हिंदू हैं। केवल चुनाव के समय पिछड़े-दलित हिंदू हैं। उसके बाद अपना हक मांगने पर बीजेपी के लिए पिछड़े-दलित केवल शून्याकार बिंदु हैं। जिनको बीजेपी गिनने को तैयार तक नहीं है। उनकी भलाई के बारे में क्या सोचेगी।अखिलेश के ट्वीट को रिप्लाई करते हुए ग्राफ के जरिए बताया गया कि यूपी के यूनिवर्सिटी में वीसी, जिले में पुलिस कप्तान और डीएम के पद पर सवर्णऔर पिछड़े-दलितों की कितनी संख्या है। अब तक दिये गये भारत रत्न को भी जातीय आकड़ों के साथ ग्राफ में दर्शाया गया। तीसरे ग्राफ में बांदा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में हुई नियुक्ति का जातिवार आकड़ा दिया गया है। अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी लगातार पिछड़ों और दलितों को लेकर हमलावर है। इससे बीजेपी की मुसीबतें बढ़ती दिख रही हैं।
अमेरिकी चैप्टर के ग्राफ 
समाजवादी पार्टी के अमेरिकी चैप्टर के ट्वीट मेंतीन ग्राफ पोस्ट किये गये हैं। पहले ग्राफ में यूनिवर्सिटी के वीसी, पुलिस कप्तान और डीएम के पदों पर जातिवार आकड़ा दिया गया है। इसमें बताया गया है कि यूपी के यूनिवर्सिटी में वीसी के 100 में से 87 पदों पर सवर्ण और केवल 13 पर पिछड़े-दलित या अल्पसंख्यक की नियुक्ति की गई है। इसी तरह पुलिस कप्तान (SP) के 100 पदों में से 65 पर सवर्ण और 35 पर पिछड़े-दलित या अल्पसंख्यक तैनात हैं। डीएम के 100 पदों मेंसे 63 पर सवर्णऔर 37 पर पिछड़े-दलित या अल्पसंख्यक तैनात हैं।
सवर्ण को 73 परसेंट भारत रत्न, पिछड़ों दलितों को छह परसेंट
दूसरे ग्राफ में भारत रत्न देने का जातिवार आंकड़ा दिया गया है। इसमें बताया गया है कि 75 प्रतिशत भारत रत्न सवर्ण जातियों को दिया गया है। इसमें भी 47.9 प्रतिशत ब्राह्णणों को दिया गया। 25 प्रतिशत अन्य सवर्ण को भारत रत्न दिया गया है। 16.7 प्रतिशत भारत रत्न अल्पसंख्यकों को दिया गया। दलित (एससी) को 4.2 प्रतिशत और पिछड़ों (ओबीसी) को 2.1 प्रतिशत भारत रत्न दिया गया है। अनुसूचित जनजाति (एसटी) के किसी व्यक्ति को अभी तक भारत रत्न का गौरव हासिल नहीं हो सका है। 4.2 प्रतिशत भारत रत्न विदेशियों को भी दिया गया है।
बांदा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में 15 मेंसे 11 पदों पर ठाकुर की नियुक्ति
तीसरे ग्राफ में बांदा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में हुई नियुक्तियों का ब्योरा दिया गया है। इसमें बताया गया है कि यहां 15 में से 12 पदों पर सवर्ण की नियुक्ति की गई। इन 12 में से भी 11 पदों पर ठाकुर और एक पद पर भूमिहार को नियुक्ति किया गया। ओबीसी और एससी को केवल एक-एक पद पर नियुक्ति मिली। एक पद पर अन्य जाति को नियुक्ति दी गई है।
बीजेपी के लिए मुसीबत बन सकता है जातीय मुद्दा
अखिलेश यादव ने जातीय गणना का मामला विधानसभा में उठानेका ऐलान कर दिया है। उन्होंने  ‘मैं शूद्र हूं या नहीं’ कहकर राजनीतिक लड़ाई को नया रंग दे दिया है। इस शब्द के सहारेपिछड़ों, अति पिछड़ों और दलितों को लामबंद करनेकी चाहत में सपा मुख्यालय के बाहर मंगलवार को एक पोस्टर भी लगाया गया। इसमें लिखा गया है कि ‘गर्व से कहो हम शूद्र हैं।अखिल भारतीय कुर्मी क्षेत्रीय महासभा मुंबई महाराष्ट्र की ओर से लगाये गये  इस पोस्टर पर संगठन के राष्ट्रीय महासचिव ने अपने नाम के आगेडॉ. शूद्र उत्तम प्रकाश सिंह पटेल लिखवाया है। इसमें सबसे पहले लिखा गया है जय शूद्र समाज, फिर 6743 जातियां शूद्र समाज लिखा गया है।

यूपी में कभी बसपा के मुख्य चेहरों में से एक रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के जरिये दलितों-ओबीसी की राजनीति को हवा देकर समाजावादी पार्टी नेबड़ी चाल चल दी है। बीजेपी अभी इसे लेकर सधी हुई बयानबाजी व सवाल उठा रही हो लेकिन सियासी जानकार मान रहे हैं कि यह मुद्दा लंबा खींचा तो बीजेपी के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है।