मुंबई: सचिन वाझे को कोर्ट ने 23 अप्रैल तक ज्यूडिशयल कस्टडी में भेजा
एनआइए की स्पेशळ कोर्ट ने मुंबई के सस्पेंड एपीआइ सचिन वाझे को शुक्रवार को 23 अप्रैल तक ज्यूडिशिल कस्टडी में भेज दिया है। सचिन वाझे अभी एनआइए रिमांड लीडर नेता प्रदीप शर्मा अंटीलिया प्रकरण व मनसुख मर्डर केस के साजिश में शामिल होने की बात कही जा रही है।
- मुंबई के पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट व अब शिवसेना लीडर प्रदीप शर्मा का भी अंटीलिया प्रकरण व मनसुख मर्डर की साजिश में हाथ
मुंबई। एनआइए की स्पेशळ कोर्ट ने मुंबई के सस्पेंड एपीआइ सचिन वाझे को शुक्रवार को 23 अप्रैल तक ज्यूडिशिल कस्टडी में भेज दिया है। सचिन वाझे अभी एनआइए रिमांड लीडर नेता प्रदीप शर्मा अंटीलिया प्रकरण व मनसुख मर्डर केस के साजिश में शामिल होने की बात कही जा रही है।
सचिन वाझे ने एनआइए को प्रदीप शर्मा के बारे में उक्त दोनों मामलों में कई पुख्ता जानकारियां दी हैं। एपीआइ सचिन वाझे, प्रदीप शर्मा के मातहत काम कर चुका है। वाझे शर्मा को अपना गुरु मानता है। बताया जाता है कि 25 फरवरी की रात इंडस्ट्रलिस्ट मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के समीप विस्फोटक लदी स्कर्पिपयो खड़ी किये जाने से लेकर पांच मार्च को ठाणे में मनसुख हिरेन की मर्डर होने तक प्रदीप शर्मा लगातार सचिन वाझे के संपर्क में थे।वाझे ने इस बात की पुष्टि एनआइए पूछताछ में की ही है।
एनआइए के पास भी इस बात के कई इलेक्ट्रानिक सबूत भी हैं। एनआइए ने प्रदीप शर्मा से बुधवार व गुरुवार को घंटो पूछताछ की है। कहा जाता है कि स्कार्पियो में रखी गई जिलेटिन की 20 छड़ें वाझे को प्रदीप शर्मा ने ही अपने किसी परिचित से उपलब्ध कराई थीं। मनसुख हिरेन की मर्डर से पहले भी वह लगातार प्रदीप शर्मा के संपर्क में था। ऐसे में यदि ये बातें सही साबित होती हैं, तो एक्स एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की मुसीबतें बढ़ सकती हैं। प्रदीप शर्मा लगभग 30 साल मुंबई पुलिस की सेवा में रहने के बाद शिवसेना में शामिल हो चुके हैं। वह शिवसेना के ही टिकट पर पिछला विधानसभा चुनाव भी पालघर की नालासोपारा सीट से लड़ चुके हैं।
वहीं कोर्ट में सुनवाई के दौरान सचिन वाझे के वकील ने उनकी जान को खतरा बताया। वाझे के वकील ने कहा कि उनकी जान को खतरा है। इसलिए जेल में उन्हें सुरक्षित सेल मुहैया कराई जानी चाहिए ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
मुंबई पुलिस की सेवा में रहने के दौरान प्रदीप की गिनती सबसे एक्टिव एनकाउंटर स्पेशलिस्ट पुलिस इंस्पेक्टरों में होती थी। शिवसेना का टॉप लीडरशीप भी उन्हें बहुत पसंद करता है। मनसुख मर्डर केस में गिरफ्तार सचिन वाझे एवं विनायक शिंदे तब प्रदीप शर्मा की ही टीम का हिस्सा थे। वर्ष 2002 में सचिन वाझे उनकी टीम में रहते हुए ही साफ्टवेयर इंजीनियर ख्वाजा यूनुस की पुलिस हिरासत में मौत के मामले में फंसे और उन्हें हाई कोर्ट के निर्देश पर निलंबित होना पड़ा। विनायक शिंदे को प्रदीप शर्मा के नेतृत्व में ही वर्ष 2006 में हुए लखन भैया एनकाउंटर मामले में आरोपित बनाया गया। इस मामले में शर्मा तो बाइज्जत बरी हो गये थे, लेकिन शिंदे सहित कई और पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।