मुंबई:सचिन वाझे ने NIA कोर्ट से कहा-''मुझे बलि का बकरा बनाया जा रहा है,मेरा केस से कोई लेना देना नहीं, तीन अप्रैल तक बढ़ी कस्टडी
इंडस्ट्रलिस्ट मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली विस्फोटक वाली कार और मनसुख हिरेन मर्डर केस में अरेस्ट मुंबई पुलिस के सस्पेंड अफसर सचिन वाझे को तीन अप्रैल तक एनआईए कस्टडी में भेज दिया गया है। वाझे ने गुरुवार को NIA कोर्ट को बताया कि उनका क्राइम से कोई लेना देना नहीं है। उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
मुंबई। इंडस्ट्रलिस्ट मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली विस्फोटक वाली कार और मनसुख हिरेन मर्डर केस में अरेस्ट मुंबई पुलिस के सस्पेंड अफसर सचिन वाझे को तीन अप्रैल तक एनआईए कस्टडी में भेज दिया गया है। वाझे ने गुरुवार को NIA कोर्ट को बताया कि उनका क्राइम से कोई लेना देना नहीं है। उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
मैंने इसके पहले कोई क्राइम नहीं किया, मेरा कोई रिकॉर्ड भी नहीं
वाझे ने सुनवाई के दौरान जज पीपी सितरे से कहा कि मुझे बलि का बकरा बनाया गया है, मेरा केस से कोई लेना देना नहीं है। मैं केवल डेढ़ दिन के लिए केस का इन्विस्टीगेशन अफसर था।र जो अपनी क्षमता में कर सकता था वह किया। लेकिन अचानक कहीं कुछ प्लान बदल दिया गया। मैं खुद ही एनआईए ऑफिस गया था। वहां मुझे अरेस्ट कर लिया गया। वाझे ने यह भी कहा कि उन्होंने कोई जुर्म कबूल नहीं किया है। वाझे ने कोर्ट में कहा कि इन सब घटनाओं के पीछे कुछ बैकग्राउंड है, मुझे सब कुछ बताना है। सब कह रहे हैं कि मैंने अपना गुनाह कबूल कर लिया है, तो यह बिल्कुल गलत बात है। मैंने कोई भी जुर्म कबूल नहीं किया है। मैंने इसके पहले कोई क्राइम नहीं किया, मेरा कोई रिकॉर्ड भी नहीं है। इसके बाद वझे ने कोर्ट में कहा कि मुझे कुछ बातें कोर्ट के रिकॉर्ड पर लानी है। तब जज ने कहा आप वकील से पूछ लीजिए। वकील से बात करने के बाद तय हुआ कि सचिन वझे लिखित में अपनी बातें कोर्ट को सौंपेंगे।
वाझे के खिलाफ यूएपीए की धाराएं लगाई गयी
मुंबई पुलिस के असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर वाझे को 13 मार्च को एनआईए ने अरेस्ट किया था। रिमांड खत्म होने के बाद आज वाझे को कोर्ट में पेश किया गया था। एनआई ने वाझे के खिलाफ यूएपीए की धाराएं लगाई हैं। 15 दिनों की कस्टडी मांगी थी। कोर्ट ने तीन अप्रैल तक कस्टडी दे दी है। एनआईए के वकील अडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कोर्ट से कहा कि क्राइम में किसी पुलिसकर्मी की संलिप्तता पाकर हर कोई हैरान था। जांच के दौरान एनआई ने वाझे के घर से 62 बुलेट जब्त किये गये हैं। आखिर इतने सारे कारतूस को घर में रखने के पीछे की वजह क्या थी? इसकी जांच की आवश्यकता है कि इन्हें वाझे ने क्यों रखा था। पुलिस डिपार्टमेंट ने वाझे को 30 बुलेट जारी किये थे जिनमें से केवल पांच ही बरामद हुए हैं। बाकी की 25 गोलियां गायब हैं। ये कारतूस कहां गए? इनका क्या इस्तेमाल हुआ? इस बारे में भी सचिन वझे ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया है। यह कारतूस वझे ने घर में क्यों रखे थे। इसका जवाब वो नहीं दे पाये हैं। यह तमाम बातें अभी भी सवाल ही हैं।
सुपर कॉप बनना चाहता था वाझे
एनआईए सोसेर्ज ने बताया कि सजिन वाझे ने जांच एजेंसी के समक्ष स्वीकार कर लिया है कि विस्फोटक वाली कार के पीछे उन्हीं का हाथ है। वाझे ने बताया कि एंटीलिया (मुकेश अंबानी का घर) के बाहर विस्फोटक इसलिए रखा क्योंकि जांच अफिसर के रूप में इस केस को सॉल्व करके सुपर कॉप बनना चाहता था। अपने इस प्लान को अंजाम देने के लिए उसने लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए अपने गुर्गों का भी इस्तेमाल किया। हालांकि वह अपने मकसद में सफल हो पाता, उसके पहले ही वह एनआईए के हत्थे चढ़ गया। एनआईए ने एंटीलिया के पास से विस्फोटक मिलने के मामले में सचिन वाजे के खिलाफ बुधवार को गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) की धाराएं भी लगाई हैं। एनआईए ने स्पेशल एनआईए कोर्ट को इस मामले में यूएपीए की धाराएं जोड़ने की जानकारी देते हुए बुधवार को अर्जी दाखिल की। वाजे पर यूएपीपीए की धारा 16 और 18 के तहत आरोप लगाए गए हैं। एनआईए ने वाजे की कस्टडीखत्म होने से एक दिन पहले यह कदम उठाया है। एनआइए उस कार के मालिक मनसुख हिरेन की मर्डर के मामले की भी जांच कर रही है।
वाझे के वकील की दलील
वहीं आरोपी सचिन वझे के वकील ने अदालत में दलील दी है कि एनआईए यह साबित करें कि इस मामले में UAPA कैसे लग सकता है। उन्होंने कहा जिलेटिन की छड़ों बिना डेटोनेटर के बम नहीं बन सकती हैं। सिर्फ़ जिलेटिन की रॉड को हैंडल करना काफी आसान है। यह केस इंडिविजुअल के खिलाफ है ना कि पूरे समाज के खिलाफ।यूएपीए में खतरा पूरे समाज को होता है, पूरे देश की एकता को खतरा होता है लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ भी नहीं है। इस मामले में देश की अखंडता को भी किसी प्रकार की इसी प्रकार की चोट नहीं पहुंच रही है। वकील ने यह भी कहा कि आरोपी का इंटेंट भी इस मामले में देखा जाना चाहिए। यूएपीए लगाने के बहुत क्लॉज होते हैं जिनका पालन जांच एजेंसी ने नहीं किया है।
ठाणे की एक कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र एडीएस को हिरन की मौत के मामले की जांच को रोकने और मामले से संबंधित रिकॉर्ड तत्काल एनआईए को सौंपने का निर्देश दिया है। हिरेन की बॉडी पांच मार्च को ठाणे में एक नहर से मिला था।
सेंट्रल होम मिनिस्टरी ने 20 मार्च को इस मामले की जांच एनआईए को सौंप दी थी। लेकिन एटीएस की जांच भी जारी थी। एटीएस ने दो दिन पहले दावा किया था कि उसने हिरन की मौत की गुत्थी सुलझा ली है। वहीं, एएनआईए ने हिरेन की मर्डर के मामले में महाराष्ट्र एटीएस द्वारा अरेस्ट किये गये दो आरोपियों को बुधवार शाम कस्टडी में ले लिया।