धनबाद। धनबाद के एक्स डिप्टी मेयर नीरज सिंह की मर्डर से के लिए पहचान छुपाकर राम आह्लाद राय के मकान में कमरे को भाड़े पर लेकर शूटरो को ठहराने के सात आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। धनबाद के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी सुभाष बारा की कोर्ट ने लाईजनर की भूमिका निभाने के आरोपी पंकज सिंह, शूटर शिबू उर्फ सागर, अमन सिंह, चंदन सिंह उर्फ रोहित सिंह, डब्ल्यू मिश्रा एवं सोनू उर्फ कुर्बान अली को बाइज्जत बरी करने का आदेश दिया है।
पुलिस आरोपियों के विरुद्ध षड्यंत्र के तहत पहचान छुपाकर नीरज की मर्डर के लिए शूटर ठहराने का आरोप साबित नहीं कर सकी। पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध पांच वर्षों के सुनवाई के दौरान एक भी गवाह पेश नहीं किया था। बचाव पक्ष ने 26 अगस्त 22 को प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी सुभाष बारा की अदालत में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436 (ए) (2) के तहत आवेदन दायर कर जेल पर मुक्त करने की प्रार्थना की थी।
बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता देवीशरण सिन्हा, मो जावेद , पंकज प्रसाद, ने दलील देते हुए कहा था कि भादवि की धारा 419 में तीन साल की सजा है। जबकि आवेदक पांच सालों से जेल में बंद है। तीनो आरोपी 19 अगस्त 2017 से न्यायिक हिरासत में है। इसलिए उन्हें अविलंब मुक्त किया जाए। वही अभियोजन पक्ष से सहायक लोक अभियोजक समीत प्रकाश ने विरोध जताया था और कहा था की यह केस नीरज सिंह मर्डर केस से जुड़ा हुआ है। इस लिए तीनो एक्युज्ड की ओर से दायर आवेदन को खारिज कर दिया जाए। कोर्टने दोनो पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रखा था।
यह है मामला
उल्लेखनीय है कि 31 मार्च 2017 को ASI नलिन रंजन सिंह की कंपलेन पर सरायढेला पुलिस स्टेशन में कांड संख्या 50/17 के तहत एफआइआर दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने इन्विस्टीगेशन के बाद सोनू उर्फ कुर्बान अली, अमन सिंह, चंदन सिंह उर्फ रोहित सिंह, सागर सिंह उर्फ शिबू, डब्लू मिश्रा व पंकज सिंह के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट समर्पित किया था। पुलिस ने आरोप लगाया था कि षड्यंत्र के तहत डबलू मिश्रा ने खुद को मुन्ना जी बताकर राम आह्लाद राय से किराए पर मकान लिया था। नीरज सिंह की मर्डर करने के लिए यूपी से शूटरों को बुलाकर राम अहलाद राय के मकान में रखा गया था। वहां नीरज मर्डर मामले की योजना बनाई गई थी।
नीरज सिंह की मर्डर के बाद पुलिस अनुसंधान तो कर रही थी परंतु कुछ हासिल नहीं हुआ था। रामअहलाद राय ने कुछ लोगों के उसके मकान में किराये पररहने और मकान का दरवाजा कई दिनों से बंद रहने की कंपलेन सरायढेला पुलिस स्टेशन में की थी। पुलिस जब कमरे का दरवाजा तोड़ी तो आरोपियों के बारे में अहम जानकारी मिली। इसके बाद ही नीरज मर्डर केस का खुलासा हो पाया था।
बचाव पक्ष के एडवोकेट मो. जावेद ने कहा कि पुलिस के द्वारा मामले में कोई भी गवाह पेश नहीं किया गया। इसके बाद सभी छह आरोपियों को कोर्ट ने रिहा कर दिया है। सरायढ़ेला पुलिस स्टेशन एरिया के कुसुम बिहार के उम्दा निवास में नीरज सिंह की मर्डर की साजिश रचने, रेकी करने को लेकर पुलिस के द्वारा 30 मार्च 2017 को सरायढ़ेला पुलिस स्टेशन में नीरज मर्डर केस से जोड़कर एफआइआर दर्ज की करायी गई थी। मजिस्ट्रेट राम प्रवेश कुमार की मौजूदगी में घर का ताला तोड़कर सामानों को जब्त किया गया था। उम्दा निवास के मालिक सह रिटायर्ड साइंटिस्ट राम आहलाद राय ने पुलिस को यह सूचना दी थी कि मुन्ना जी नाम के एक व्यक्ति द्वारा उनका मकान किराया पर लिया गया था। पुलिस की जांच पड़ताल के बाद 30 मार्च 2017 को नीरज मर्डर केस में शूटरों को मकान में ठहरने, हत्या की साजिश रचने व रैकी करने का मामला दर्ज किया था।
एडवोकेट मो. जावेद ने बताया कि नीरज सिंह मर्डर केस का यह बेसिक केस है। इस मामले में अभियोजन पक्ष कोई भी कोर्ट में प्रस्तुत नहीं कर सका। इसके बाद कोर्ट ने सभी छह आरोपियों को सोमवार को रिहा कर दिया है।
स्टील गेट में 21 मार्च 2017 को हुई थी नीरज समेत चार लोगों की मर्डर
धनबाद के एक्स डिप्टी मेयर और कांग्रेस लीडर नीरज सिंह, उनके प्राइवेट बॉडीगार्ड मुन्ना तिवारी, ड्राइवर घलटू और करीबी समर्थक अशोक यादव को बाइक सवार शूटरों सरायढेला स्टील गेट में 21 मार्च 2017 की शाम गोलियों से भून दिया था। नीरज सिंह अपनी फारचुनर से झरिया से अपने आवास रघुकुल लौट रहे थे। नीरज सिंह की गाड़ी जैसे ही स्टील गेट में ब्रेकर पर धीमी हुई, क्रिमिनलों ने तीनों तरफ से गोलियों की बरसात कर दी। एक के बाद एक दर्जनों राउंड फायरिंग की गयी। नीरज समेच चारों की मौके पर ही मौत हो गयी। पोस्टमार्टम में नीरज की बॉडी से 17 गोली निकाली गई थीं। नीरज के शरीर में गोलियों से 67 छेद हो गये थे। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों की टीम के अनुसार सात-आठ गोलियां नीरज के शरीर के आर-पार हो गई थीं।