नई दिल्ली: एक्स सेंट्रल मिनिस्टर रघुवंश प्रसाद सिंह का निधन, दिल्ली एम्स में लिये अंतिम सांस
एक्स सेंट्रल मिनिस्टर रधुवंश प्रसाद सिंह का रविवार को नई दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) में निधन हो गया। वे ICU में वेंटिलेटर पर थे। 74 वर्ष रघुवंश सिंह तबीयत खराब होने के बाद बीते एक सप्तािह से आइसीयू में एडमिट थे।
नई दिल्ली। एक्स सेंट्रल मिनिस्टर रधुवंश प्रसाद सिंह का रविवार को नई दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) में निधन हो गया। वे ICU में वेंटिलेटर पर थे। 74 वर्ष रघुवंश सिंह तबीयत खराब होने के बाद बीते एक सप्तािह से आइसीयू में एडमिट थे।
दो दिन पहले आइसीयू में उनकी हालत बिगड़ गई थी। संक्रमण बढ़ गया था और सांस लेने में परेशानी होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उनका पटना के एम्स में इलाज किया गया था। कुछ ठीक होने के बाद उन्हें पोस्ट कोविड मर्ज के इलाज के लिए दिल्ली एम्स ले जाया गया था। अभी तीन दिन पहले ही उन्होंने राजद की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया था।
तीन दिन पहले ही RJD से दिया था इस्तीफा,लालू का साथ छोड़ने और नीतीश को पत्र लिखने को लेकर चर्चा में
रघुवंश प्रसाद सिंह ने तीन दिन पहले ही उन्होंने लालू यादव को पत्र लिखकर RJD से इस्तीफा दे दिया था। एम्स से ही राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को पत्र लिखकर इस्तीदफा दे दिया था। इस्तीेफा देने के बाद वे बिहार के सीएम नीतीश कुमार तथा आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद को पत्र लिखने को लेकर चर्चा में थे। उन्हों ने नीतीश कुमार को लिखे पत्र में दुनिया के सबसे पहले गणतंत्र वैशाली का सम्मािन का मुद्दा उठाया। जिसके बाद गणतंत्र की जननी वैशाली की चर्चा पूरे देश में होने लगी।
नीतीश के नाम लिखा था पत्र
आइसीयू से भी कल ही उनका एक पत्र नीतीश कुमार के नाम से जारी हुआ था। राजद से इस्तीफा देने वाले रघुवंश के सारे पत्र 10 सितंबर को ही लिखे हुए थे। शनिवार को फिर सीएम नीतीश कुमार के नाम से जारी पत्र में उन्होंने वैशाली की चिंता की थी। पत्र में उन्होंने वैशाली के तालाबों को जल-जीवन-हरियाली अभियान से जोडऩे का आग्रह किया। साथ ही विश्व के प्रथम गणतंत्र के सम्मान में महात्मा गांधी सेतु रोड में हाजीपुर के पास भव्य द्वार बनाकर मोटे अक्षरों में विश्व का प्रथम गणतंत्र वैशाली द्वार अंकित कराने का आग्रह किया था।
दिनकर की वैशाली से संबंधित कविताओं का जिक्र
उन्होंने राष्ट्रकवि दिनकर की वैशाली से संबंधित कविताओं को जगह-जगह मोटे अक्षरों में लिखवाने का आग्रह किया था, ताकि आने-जाने वाले लोग दूर से ही पढ़ सकें। वहीं उन्होंने बज्जीनां सत अपरीहानियां धम्मा के अनुसार सातो धर्मो का उल्लेख जगह-जगह बड़ी दीवार पर पाली, हिंदी और अंग्रेजी में लिखवाने तथा वैशाली के उद्धारक जगदीशचंद्र माथुर की प्रतिमा लगाने का भी आग्रह किया था।
लालू यादव का संकटमोचक कहे जाते रघुवंश
रघुवंश प्रसाद सिंह वर्ष 1977 से लगातार सियासत में रहे। वे लालू प्रसाद यादव के करीबी व उनके संकटमोचक माने जाते रहे। पार्टी में उन्हेंन दूसरा लालू भी माना जाता था। वे लगातार चार बार वैशाली से एमपी रहे। यूपीए की सरकार में मिनिस्टर भी रहे। विपक्ष में रहते हुए वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को घेरने में सबसे आगे रहे।
सादगी और मानवता की मिसाल थे रघुवंश
रघवुंश प्रसाद सिंह आरजेडी में लालू प्रसाद के बाद सबसे चर्चित चेहरे थे। रघुवंश प्रसाद लालू प्रसाद के सबसे करीबी नेताओं में गिने जाते रहे थे। दो दिन पहले ही रघुवंश प्रसाद सिंह ने पार्टी छोड़ने का एलान किया था तो लालू प्रसाद ने भावुक होकर उन्हें नहीं जाने की अपील की थी। रघवुंश प्रसाद लगभग पांच दशक से सक्रिय राजनीति का हिस्सा रहे। बिहार में लालू प्रसाद की पार्टी में वह कई सालों में सवर्ण चेहरा के रूप में स्थापित थे। राजपूत समुदाय से आने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह लालू प्रसाद की तरह ही देसी अंदाज में भाषण देने वाले वक्ता के रूप में चर्चित रहे।
फिजिक्स के प्रोफेसर रहे हैं रघुवंश
एक समय वे आरजेडी में लालू प्रसाद यादव के समानांतर नेता माने गये और पार्टी के अंदर स्वाभाविक रूप से नंबर दो हो गये थे। फिजिक्स के प्रोफेसर रहे रघुवंश प्रसाद सिंह राजनीति में सादगी से रहते हैं। एक बार मंत्री के रूप में वह दिल्ली के कनॉट प्लेट में चले गये थे जहां दुकानदार उन्हें पहचान पाया था और एक सामान के लिए अधिक कीमत ले ली थी।
वैशाली से पांच बार एमपी बने
74 वर्षीय रघुवंश प्रसाद सिंह ने अपना राजनीतिक सफर जेपी आंदोलन में शुरू किया। वर्ष 1977 में वह पहली बार विधायक बने और बाद में बिहार में कर्पूरी ठाकुर सरकार में मंत्री भी बने। वह बिहार के वैशाली लोकसभा क्षेत्र से पांच बार सांसद रह चुके हैं।सेंट्रल में यूपीए गवर्नमेंट में मिनिस्टर रहे।