नई दिल्ली: कोरोना से मां-बाप को खोने वाले बच्चों की देखभाल व सुरक्षा के लिए गाइडलाइन, डीएम होंगे संरक्षक

सेंट्रल गवर्नमेंट ने कोरोना संक्रमण के कारण माता-पिता को खोने वाले असुरक्षित, बेसहारा, अनाथ और असहाय बच्चों की सुरक्षा, सेहत और शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्टेट को दिशा- निर्देश जारी किए हैं। गवर्नमेंट ने ऐसे बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए डीएम, पुलिस, पंचायती राज तथा शहरों में स्थानीय निकायों तक की जिम्मेदारी फिक्स की है। 

नई दिल्ली: कोरोना से मां-बाप को खोने वाले बच्चों की देखभाल व सुरक्षा के लिए गाइडलाइन,  डीएम होंगे संरक्षक

नई दिल्ली। सेंट्रल गवर्नमेंट ने कोरोना संक्रमण के कारण माता-पिता को खोने वाले असुरक्षित, बेसहारा, अनाथ और असहाय बच्चों की सुरक्षा, सेहत और शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्टेट को दिशा- निर्देश जारी किए हैं। गवर्नमेंट ने ऐसे बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए डीएम, पुलिस, पंचायती राज तथा शहरों में स्थानीय निकायों तक की जिम्मेदारी फिक्स की है। 
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सभी स्टेट व यूटी को लिखा पत्र
ऐसे बेसहारा बच्चों के संरक्षक डीएम होंगे। डीएम पैतृक संपत्ति में बच्चे के अधिकार भी सुरक्षित करेंगे और यह देखेंगे कि संपत्ति न तो बेची जाए और न ही उस पर अवैध कब्जा हो। यह राजस्व विभाग की निगरानी के जरिये सुनिश्चित होना चाहिए।
सेंट्रल की ओर जारी आदेश में कहा गया है कि बच्चे को दी गई आर्थिक मदद माता-पिता के बकाए लोनको चुकाने या उनकी जिम्मेदारियों को निपटाने में नहीं खर्च की जायेगी। चाइल्ड केयर संस्थाएं ऐसे बच्चों की भी देखभाल करेंगी, जिनके माता-पिता कोरोना संक्रमित हैं। उनकी देखभाल के लिए परिवार में कोई अन्य सदस्य नहीं है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव राम मोहन मिश्रा ने इस संबंध में सभी सभी स्टेट के चीफ सेकरेटरी व यूटी के प्रशासकों को पत्र लिखकर कोरोना महामारी से प्रभावित हो मुश्किल में फंसे बच्चों की जरूरतों का ध्यान रखने को कहा है।

बच्चों की पहचान कर सुरक्षा, शिक्षा और सेहत सुनिश्चित करने का निर्देश

सेंट्रल गवर्नमेंट ने कहा है कि सभी संबंधित विभाग और जिम्मेदार लोग हर तरह से बच्चों का ध्यान रखेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि एक भी असुरक्षित असहाय बच्चा सुरक्षा दायरे से बाहर न रह जाए। 

ऐसे बच्चों के डाटाबेस में गोपनीयता रहेगी

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने स्टेट गवर्नमेंट से कहा है कि मुश्किल में फंसे ऐसे बच्चों की पहचान करें। प्रत्येक बच्चे की प्रोफाइल का डाटाबेस तैयार किया जाए, जिसमें हर बच्चे की विशेष आवश्यकता का भी ब्योरा होगा। सचेत किया गया है कि बच्चों के डाटाबेस में गोपनीयता बनाए रखी जाए। उनकी पहचान उजागर नहीं होनी चाहिए। बच्चों का यह डाटा सेंट्रल गवर्नमेंट के ट्रैक चाइल्ड पोर्टल पर अपलोड किया जायेगा।कहा  गयाहै कि चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के संपर्क नंबर और चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर (1098) का हॉस्पीटल के रिसेप्शन और अन्य प्रमुख स्थलों पर व्यापक प्रचार किया जायेगा। पुलिस बच्चों के खिलाफ अपराध, बाल मजदूरी, बाल विवाह, बाल तस्करी और गैरकानूनी गोद लेने को रोकने के लिए सतर्क और सावधान होकर निगरानी रखेगी। केंद्र ने कहा है कि खतरे की जद में आने वाले बच्चों का डाटाबेस तैयार किया जाएगा, ताकि नियमित निगरानी व फालोअप हो सके।
डीएम की होगी जिम्मेदारी
सेंट्रल की ओर से कहा गया है कि असुरक्षित यानी आसानी से निशाना बनने की जद में आने वाले और बेसहारा बच्चों के संरक्षक डीएम होंगे। वे ऐसे बच्चों के पुनर्वास के लिए प्रयास करेंगे। इसमें या तो बच्चे को स्वजन यानी एक्सटेंडेड फैमिली के साथ पुनर्वासित किया जायेगा या केंद्रीय अथारिटी कारा के जरिये बच्चे को गोद दिया जायेगा। बच्चे को सिर्फ सरकार स्वीकृत चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन में रखा जायेगा। एक मल्टीलेवल टास्क फोर्स बनाई जायेगी, जो बच्चों की जरूरतों को देखते हुए सुनिश्चित करेगी की सारे लाभ प्रभावित बच्चे तक पहुंचें। पंचायती राज स्तर पर चाइल्ड प्रोटेक्शन कमेटी ऐसे बच्चों की पहचान कर जिला प्रशासन को सूचित करेगी।सभी अनाथ बच्चों को मुफ्त शिक्षा सभी अनाथ बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जायेगी। सरकारी स्कूलों में और जरूरत पड़ने पर प्राइवेट स्कूलों में आरटीई के तहत दी जायेगी। योग्य अनाथ बच्चों को छात्रवृत्ति में शामिल करने के प्रयास होंगे। योजना में आने वाले बच्चों को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत स्वास्थ्य बीमा में शामिल किया जायेगा।
पीएम नरेंद्र मोदी ने 29 मई को कोरोना महामारी के कारण बेसहारा और अनाथ हुए बच्चों की मदद के लिए पीएम केयर्स फार चिल्ड्रन योजना की घोषणा की थी। महामारी से बेसहारा हुए बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट भी सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने भी केंद्र सरकार से पीएम केयर्स योजना का ब्योरा व योजना लागू करने की निगरानी का तंत्र पूछा है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भी सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में पक्षकार है।