नई दिल्ली: ममता बनर्जी ने की सोनिया गांधी से मुलाकात, राहुल भी रहे मौजूद, विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी बुधवार शाम को कांग्रेस प्रसिडेंट सोनिया गांधी से 10 जनपथ स्थित उनके आवास पर मुलाकात की। ममता की सोनिया गांधी संग मुलाकात के दौरान कांग्रेस के लीडर राहुल गांधी भी उपस्थित थे।
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी बुधवार शाम को कांग्रेस प्रसिडेंट सोनिया गांधी से 10 जनपथ स्थित उनके आवास पर मुलाकात की। ममता की सोनिया गांधी संग मुलाकात के दौरान कांग्रेस के लीडर राहुल गांधी भी उपस्थित थे।
सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद ममता बनर्जी ने कहा कि सोनिया गांधी ने मुझे चाय पर बुलाया था। इस दौरान हमने कई मुद्दों पर चर्चा की। हमने राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा की। इसके अलावा पेगासस जासूसी कांड और कोरोना संक्रमण से पैदा हुए हालातों को लेकर भी चर्चा की। ममता बनर्जी ने कहा कि मीटिंग के दौरान हमारी चर्चा विपक्ष की एकता को लेकर हुई। यह एक बहुत अच्छी और सकारात्मक मुलाकात थी।
बंगाल में लगातार तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीतकर सीएम बनने वालीं ममता अप्रैल-मई में बंगाल में हुए चुनावों के बाद यह पहला दिल्ली दौरा था। इस दौरान ममता बनर्जी ने शरद पवार, आनंद शर्मा समेत विपक्षी दलों के कई नेताओं से मुलाकात की है। ममता की इन मुलाकातों को 2024 के आम चुनावों में विपक्ष को एकजुट करने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है।
क्षेत्रीय दलों पर भरोसा करे कांग्रेस, 2024 में विपक्ष इतिहास रचेगा
मीडिया से बात करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि सोनिया गांधी भी विपक्ष की एकजुटता के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी क्षेत्रीय दलों पर भरोसा करती है। छोटी पार्टियों को भी उस पर यकीन है। मजबूत विपक्ष के लिए कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों पर और क्षेत्रीय दलों को कांग्रेस पर भरोसा करना होगा। यही नहीं ममता बनर्जी ने बीजेपी को मजबूत पार्टी करार देते हुए कहा कि उससे लड़ाई के लिए विपक्ष को भी मजबूत बनना होगा। तभी इतिहास बनेगा। 2024 के आम चुनावों के लिए हमारी यही उम्मीद है।
ममता बनर्जी ने केंद्र की राजनीति में बदलाव की उम्मीद जाहिर करते हुए कहा कि पॉलिटिक्स में चेंज होता रहता है। जब राजनीतिक तूफान आता है तो फिर स्थितियों को संभालना कठिन होता है।ममता ने सेंट्रल गवर्नमेंट को चुनौती देते हुए कहा कि गैर भाजपाई सीएम के साथ उनके रिश्ते काफी अच्छे हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर उद्धव ठाकरे और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन इन सभी से उनके रिश्ते अच्छे हैं। अगर एक राजनीतिक आंधी आई तो आप उसे रोक नहीं पायेंगे। अगर विपक्षी पार्टियां गंभीर हो जाएं तो छह महीने में नतीजे सामने आ जायेंगे।
ममता ने कहा कि बीजेपी को हराने के लिए सबका साथ आना जरूरी है। मैं अकेले कुछ नहीं कर सकती। सबको मिलकर काम करना होगा। मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूं। मैं कोई चेहरा भी नहीं थोपना चाहती। यह उस समय की परिस्थिति पर निर्भर करेगा।'अगर विपक्ष की ओर से कोई दूसरा चेहरा भी सामने आता है तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है। जब मामले पर चर्चा होगी तो हम इस पर फैसला करेंगे। मैं नेता नहीं बनना चाहती, बल्कि एक साधारण कैडर बनकर काम करना चाहती हूं।
पेगासस पर जवाब क्यों नहीं दे रही सरकार
पेगासस स्कैम को लेकर ममता ने कहा कि पेगासस पर सरकार क्यों नहीं जवाब दे रही है? लोग यह जानना चाहते हैं। अगर पॉलिसी डिसीजन संसद में नहीं लिए जायेंगे, वहां चर्चा नहीं होगी तो कहां होगी। ये टी स्टाल पर नहीं होता है, ये संसद में ही होता है।ममता ने तंज करते हुए कहा कि जो केंद्र सरकार का विरोध करते हैं, असल में उन्हीं के पास काला धन होता है।