नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज की प्रदीप सोनोथिया की याचिका, राज्यसभा सांसद धीरज साहू के चुनाव को दी थी चुनौती

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू को सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने धीरज साहू के निर्वाचन को चुनौती देनेवाली प्रदीप संथालिया की याचिका को खारिज कर दिया है।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज की प्रदीप सोनोथिया की याचिका, राज्यसभा सांसद धीरज साहू के चुनाव को दी थी चुनौती

नई दिल्ली। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू को सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने धीरज साहू के निर्वाचन को चुनौती देनेवाली प्रदीप संथालिया की याचिका को खारिज कर दिया है। उल्लेखनीय है कि बीजेपी कैंडिडेट रहे प्रदीप संथालिया द्वारा राज्यसभा सांसद धीरज साहू के निर्वाचन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी थी। इससे हले झारखंड हाईकोर्ट से भी संथालिया की याचिका खारिज हो चुकी है। 

सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए प्रदीप संथालिया द्वारा दायर इलेक्शन पिटिशन को खारिज कर दिया है। धीरज साहू की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में सीनीयर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने पक्ष रखा। संथालिया ने अपनी याचिका में उन्होंने कहा था कि धीरज साहू का निर्वाचन गलत है। इसलिए धीरज साहू के निर्वाचन को कैंसिल किया जाना चाहिए। झारखंड हाईकोर्ट में जस्टिस अनंत विजय सिंह की कोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद वर्ष 2020 की 17 जनवरी को सांसद धीरज साहू के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने याचिका में चुनाव आयोग को पार्टी नहीं बनाने और रिकाउंटिंग की मांग नहीं किए जाने और अन्य बिंदु पर आपत्ति दर्ज करते हुए याचिका को खारिज किया था। इसके बाद प्रदीप सोंथालिया ने सुप्रीम कोर्ट कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 

वर्ष 2018 में राज्यसभा चुनाव में झारखंड से बीजेपी कैंडिडेट प्रदीप संथालिया और कांग्रेस के धीरज साहू थे।धीरज साहू राज्यसभा सांसद चुने गये थे। उनके चुनाव में वोटिंग करने के ठीक बाद जेएमएम के तत्कालीन एमएलए अमित महतो की सदस्यता रद्द हो गयी थी। इसी को आधार बनाकर प्रदीप संथालिया ने अमित महतो के वोट को कैंसिल करने की मांग करते हुए धीरज साहू के निर्वाचन को चुनौती दी थी। संथालिया ने आरोप लगाया था कि जेएमएम के विधायक अमित महतो ने जिस दिन राज्यसभा चुनाव में जो मत दिया था, उसी दिन रांची सिविल कोर्ट से उन्हें सजा दी गई थी. जिसके बाद उनकी सदस्यता समाप्त हो गई थी. इसलिए अमित महतो के मत की गिनती नहीं की जानी चाहिए थी।