नेपाल में PM केपी ओली ने संसद भंग करने की सिफारिश की, राष्ट्रपति ने दी मंजूरी,अप्रैल में होगे चुनाव

नेपाल के पीएम के पी शर्मा ओली ने संसद को भंग करने की सिफारिश कर दी है। उन्होंने रविवार सुबह कैबिनेट की आपाकालीन बैठक में यह फैसला लिया। इसके बाद में वह राष्ट्रपति से मिलकर कैबिनेट की सिफारिश सौंप दी। राष्ट्रपति ने कैबिनेट की सिफारिश मंजूर कर लिया है।

नेपाल में PM केपी ओली ने संसद भंग करने की सिफारिश की, राष्ट्रपति ने दी मंजूरी,अप्रैल में होगे चुनाव
  • पीएम ने कैबिनेट की आपातकालीन बैठक में संसद को भंग करने की सिफारिश की है

काठमांडू। नेपाल के पीएम के पी शर्मा ओली ने संसद को भंग करने की सिफारिश कर दी है। उन्होंने रविवार सुबह कैबिनेट की आपाकालीन बैठक में यह फैसला लिया। इसके बाद में वह राष्ट्रपति से मिलकर कैबिनेट की सिफारिश सौंप दी। नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने ओली सरकार की सिफारिश को स्वीकार करते हुए देश की संसद को  को भंग कर दिया।

नेपाल में अब मध्यावधि चुनावों की घोषणा हो चुकी है। अप्रैल में दो चरणों में चुनाव होंगे। राष्ट्रपति के अनुसार तीस अप्रैल और दस मई को चुनाव होना तय हुआ है। इस फैसले को जारी करते हुए राष्ट्रपति भवन ने एक विज्ञ्पति भी साझा की है जिसमें फ़ैसले के लिए संवैधानिक परंपराओं का हवाला दिया गया है।राष्ट्रपति भवन से जारी नोटिस में कहा गया है कि राष्ट्रपति बिद्या भंडारी ने केपी शर्मा ओली की संसंद भंग करने की सिफारिश को मंजूर कर लिया। नेपाल के संविधान के आर्टिकल 76 (1) और (7) ,आर्टिकल 85 के तहत इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। 

उल्लेखनीय है कि पीएम ओली पर संवैधानिक परिषद एक्ट के एक अधिनियम को वापस लेने का दबाव था। इस अधिनियम को सरकार मंगलवार को लेकर आई थी। उसी दिन अधिनियम को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया था। नेपाल के पीएम के पी शर्मा ओली और एक्स पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड के बीच काफी समय से शक्ति प्रदर्शन चल रहा है।

नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के सीनीयर लीडर प्रचंड और माधव कुमार लंबे समय से प्रधानमंत्री ओली पर प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए दबाव बना रहे हैं। माना जा रहा है कि सत्ता पार्टी में प्रचंड और माधव कुमार के समर्थक नेता निर्णय का प्रबल विरोध करेंगे। पीएम ओली के इस निर्णय के खिलाफ पार्टी के ही नेता सुप्रीम कोर्ट भी जाने का मन बना रहे हैं।नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के प्रवक्ता नारायनकाजी श्रेष्ठ ने कहा कि यह निर्णय जल्दबाजी में लिया गया है। बैठक में सभी मंत्री भी मौजूद नहीं थे। यह पूरी तरह से असंवैधानिक है। राहै।इधर मुख्य विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस ने बदलती परिस्थितियों को लेकर आपातकालीन बैठक बुलाई है। सरकार का यह निर्णय आने से एक दिन पहले विपक्षी दलों नेशनल कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता पार्टी ने राष्ट्रपति से संसद का विशेष सत्र बुलाने का आग्रह किया था। नेपाल की संसद का चुनाव 2017 में हुआ था और इसके 275 सदस्य हैं।