पीएम मोदी ने की मन की बात, देश के युवाओं से कहा- भारत में भी गेम्स बनाइये,भारत के भी गेम्स बनाइये
- युवा बनायें एप्स व गेम्स
- मन की बात में किसान, कोरोना व खिलौना की चर्चा
- दो गज की दूरी संकल्प का पूरी तरह से पालन करेंगे कोरोना तभी हारेगा
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में किसान, कोरोना व खिलौना की चर्चा की। अपने मासिक रेडियो मन की बात कार्यक्रम में देश को संबोधित करते हुए भारत को आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए कई नयी बातों का उल्लेख किया।
उन्होंने देश में खिलौनों के उद्योग के बारे में एक विशेष उल्लेख किया और स्टार्अप को टीम बनाने और पूरे विश्व के लिए स्वदेशी रूप से खिलौने बनाने का आग्रह किया क्योंकि "भारत में प्रतिभा और खिलौना हब बनने की क्षमता है।" उन्होंने यह भी कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी बच्चों के लिए उनकी रचनात्मकता और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए खिलौने पर केंद्रित है। पीएम ने युवाओं से कहा कि लोकल को वोकल बनाना है। उन्होंने कहा कि मैं देश के युवा टैलेंट से कहता हूं। आप, भारत में भी गेम्स बनाइये। भारत के भी गेम्स बनाइये। कहा भी जाता है- Let the games begin ! तो चलो, खेल शुरू करते हैं !
कोरोना तभी हारेगा जब आप सुरक्षित रहेंगे
पीएम ने कहा कि कोरोना काल में नागरिकों में अपने दायित्वों का एहसास है। देश में हो रहे हर आयोजन में जिस तरह का संयम और सादगी इस बार देखी जा रही है, वो अभूतपूर्व है। कोरोना तभी हारेगा जब आप सुरक्षित रहेंगे, जब आप 'दो गज की दूरी का पूरी तरह से पालन करेंगे। उन्होंने कहा कि अब सभी के लिए लोकल खिलौनों के लिए वोकल होने का समय है। आइए, हम अपने युवाओं के लिये कुछ नए प्रकार के अच्छी क्वालिटी वाले खिलौने बनायें। आज जब हम देश को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहे हैं तो हमें पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना है, हर क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाना है।असहयोग आंदोलन के रूप में जो बीज बोया गया था उसे अब आत्मनिर्भर भारत के वट वृक्ष में परिवर्तित करना हम सब का दायित्व है। इस जमाने में कंप्यूटर गेम्स का भी बहुत ट्रेंड है। लेकिन इनमें जितने भी गेम् होते हैं उनकी थीम्स अधिकतर बाहर की होती हैं। हमारे देश में इतने आइडियाज़ और कॉन्सेप्ट हैं। मैं देश के युवा से कहता हूं कि भारत में और भारत के भी गेम्स बनाइयें।
टीम अप फॉर टॉएज़- आइए मिलकर खिलौने बनाएं
पीएम ने कहा कि पूरे देश में सितम्बर महीने को न्यूट्रिशन मंथ के रूप में मनाया जायेगा। नेशन और न्यूट्रिशन का बहुत गहरा सम्बन्ध होता है। हमारे यहां एक कहावत है- 'यथा अन्नम तथा मन्न्म' यानी जैसा अन्न होता है, वैसा ही हमारा मानसिक और बौद्धिक विकास भी होता है।बच्चों के जीवन के अलग-अलग पहलू पर खिलौनों का जो प्रभाव है। इस पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी बहुत ध्यान दिया गया है। खेल-खेल में सीखना, खिलौने बनाना सीखना, खिलौने जहां बनते हैं वहां की विजिट करना, इन सबको करिकुलम का हिस्सा बनाया गया है।खिलौने जहां ऐक्टिविटी को बढ़ाने वाले होते हैं, तो खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं। खिलौने केवल मन ही नहीं बहलाते, खिलौने मन बनाते भी हैं और मकसद गढ़ने वाले भी होते हैं। हमारे देश में लोकल खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है। कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं। भारत के कुछ क्षेत्र खिलौनों के केन्द्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं।ग्लोबल टॉय इंडस्ट्री 7 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक है। इतना बड़ा कारोबार लेकिन भारत का उसमें हिस्सा बहुत ही कम। मैं अपने स्टार्ट अप मित्रों, नए उद्यमियों से कहता हूं टीम अप फॉर टॉएज़- आइए मिलकर खिलौने बनाएं। अब सभी के लिए लोकल खिलौनों के लिए वॉकल होने का समय आ गया है।
हमारे पर्व और पर्यावरण के बीच एक बहुत गहरा नाता
उन्होंने कहा कि हमारे देश में इस बार खरीफ की फसल की बुआई पिछले साल के मुकाबले सात परसेंट ज्यादा हुई है। धान इस बार 10 परसेंट, दालें पांच परसेंट, मोटे अनाज लगभग तीन परसेंट, ऑयल सीड लगभग 13 परसेंट, कपास लगभग तीन परसेंट बोये गये हैं। इसके लिए मैं देश के किसानों को बधाई देता हूं। मोदी ने कहा कि बिहार के पश्चिमी चंपारण में सदियों से थारू आदिवासी समाज के लोग 60 घंटे के लॉकडाउन, उनके शब्दों में ‘60 घंटे के बरना’ का पालन करते हैं। प्रकृति की रक्षा के लिए बरना को थारू समाज के लोगों ने अपनी परंपरा का हिस्सा बना लिया है और ये सदियों से है। हम बहुत बारीकी से अगर देखेंगे, तो एक बात अवश्य हमारे सामने आयेगी- हमारे पर्व और पर्यावरण। इन दोनों के बीच एक बहुत गहरा नाता है। जहां एक ओर हमारे पर्वो में पर्यावरण और प्रकृति के साथ सहजीवन का संदेश छिपा होता है तो दूसरी ओर कई सारे पर्व प्रकॉति की रक्षा के लिए ही मनाए जाते हैं।आम तौर पर ये समय उत्सव का है। जगह-जगह मेले लगते हैं, धार्मिक पूजा-पाठ होते हैं। कोरोना के इस संकट काल में लोगों में उमंग और उत्साह तो है ही, मन को छू लेने वाला अनुशासन भी है। एक रूप में देखा जाए तो नागरिकों में दायित्व का एहसास भी है। लोग अपना और दूसरों का ध्यान रखते हुए रोजमर्रा के काम कर रहे हैं।
कुत्ता पालने की सोचें तो आप भी जरूर भारतीय नस्ल को ही घर लाएं
पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र में सुरक्षा अभियानों में कुत्तों की भूमिका की सराहना की। उन्होंने भारतीय सेना के कुत्तों विदा और सोफी के बारे में भी बात की, जिन्हें विभिन्न अभियानों में उनकी भूमिका के लिए इस वर्ष 74 वें स्वतंत्रता दिवस पर सेनाध्यक्ष ‘कमेंडेशन कार्ड्स से सम्मानित किया गया।उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले ही आपने शायद TV पर एक बड़ा भावुक करने वाला दृश्य देखा होगा, जिसमें, बीड पुलिस अपने साथी Dog रॉकी को पूरे सम्मान के साथ आख़िरी विदाई दे रही थी। रॉकी ने 300 से ज्यादा केसों को सुलझाने में पुलिस की मदद की थी । भारतीय नस्ल के कुत्ते भी बहुत अच्छे और सक्षम होते हैं। अब हमारी सुरक्षा एजेंसियां भी इन्हें अपने सुरक्षा दस्ते में शामिल कर रही हैं। अगली बार जब आप भी कुत्ता पालने की सोचें तो आप भी जरूर भारतीय नस्ल को ही घर लाएं।