यूपी: मुरादनगर हादसे में मरने वालों की संख्या 23 पहुंची, जेई और कंट्रेक्टर सहित कई के खिलाफ FIR
गाजियाबाद। मुरादनगर उखलारसी श्मशान घाट की छत भरभराकर गिरने से मलबे में दबकर मरने वालों की संख्या 23 पहुंच गयी है।मामले में मुरादनगर कोतवाली पुलिस ने नगर पालिका की ईओ निहारिका सिंह, जेई चंद्रपाल, सुपरवाइजर आशीष, कंट्रेक्टर अजय त्यागी व अन्य के खिलाफ गैर इरातदन हत्या, काम में लापरवाही व भ्रष्टाचार आदि के आरोपों में FIR दर्ज कर लिया है।
गाजियाबाद। मुरादनगर उखलारसी श्मशान घाट की छत भरभराकर गिरने से मलबे में दबकर मरने वालों की संख्या 23 पहुंच गयी है।श्मशान हादसे को लेकर शासन की सख्ती के बाद कमिश्नर अनीता सी मेश्राम और आइजी प्रवीण कुमार ने रविवार की रात अफसरों के साथ मोदीनगर तहसील में बैठकर स्थिति की समीक्षा की। मुरादनगर कोतवाली पुलिस ने नगर पालिका की ईओ निहारिका सिंह, जेई चंद्रपाल, सुपरवाइजर आशीष, कंट्रेक्टर अजय त्यागी व अन्य के खिलाफ गैर इरातदन हत्या, काम में लापरवाही व भ्रष्टाचार आदि के आरोपों में FIR दर्ज कर लिया है।
पुलिस में मृतक जयराम के पुत्र दीपक ने कंपलेन दी है। कंपलेन में कहा गया है कि उनके पिता जयराम की शनिवार की रात मौत हो गई थी। अंतिम संस्कार के लिए उनके रिश्तेदार और पास पड़ोस के लिए श्मशान आये थे। जहां श्रद्धांजलि के दौरान बरामदे का लैंटर गिर गया। इसमें 23 से लोगों की मौत हो गई। जबकि 20 से अधिक लोग घायल हो गये हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि ईओ समेत अन्य अफसरों ने ठेकेदार के साथ मिलीभगत कर घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया। जिसकी वजह से यह हादसा हुआ है।
उन्होंने हादसे में हुई मौतों को जिम्मेदार बताते हुए इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। एसएसपी कलानिधि नैथानी ने बताया कि कंपलेन के अधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। , मुरादनगर कोतवाली पुलिस ने बताया कि इस मामले में दो तीन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। हादसे में 20 से ज्यादा लोग गंभीर रुप से घायल हुए हैं। सभी को इलाज के लिए जिला अस्पताल में एडमिट करवाया गया है। ये सभी लोग अंतिम संस्कार में शामिल होने श्मशान गये थे। राहत कार्य तेजी से चल रहा है। आपदा प्रबंधन (NDRF) की टीम बचाव कार्य में जुटी है।
दो मिनट के मौन के बाद हमेशा के लिए चुप हो गये 23 लोग
गाजियाबाद के संगम विहार कॉलोनी में रहने वाले जयराम के अंतिम संस्कार के लिए बंबा रोड श्मशान में परिजन, पड़ोसी और रिश्तेदारों समेत लगभग 100 लोग पहुंचे थे। दो मिनट के मौन के बाद 23 लोग हमेशा के लिए चुप हो गये। दाह संस्कार कराने वाले पंडित जी उपदेश कर रहे थे। वह बताने वाले थे कि कि सोमवार की सुबह आकर वह फूल चुन सकते हैं। लेकिन इससे पहले उन्होंने सभी को दो मिनट का मौन रखकर मृतात्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने को कहा। वह खुद चुप हो गये। जैसे ही दो मिनट का समय पूरा हुआ और उन्होंने ओम शब्द का उच्चारण किया, पीछे से लिंटर का प्लास्टर गिरा। इसे देखने के लिए लोग पीछे मुड़े ही थे कि आगे से लैंटर ही भरभराकर गिर पड़ा।
मात्र 15 सेकेंड में हो गया पूरा घटनाक्रम
हादसे के समय बरामदे में 60 से 70 लोग मौजूद थे। संयोगवश इनमें से 12 से 18 लोग बाहर की तरफ थे और प्लास्टर गिरते ही पीछे हटकर बरामदे से बाहर निकल गये। मृतक जयराम के करीबी लोग जो अंदर की तरफ थे, उन्हें मौका ही नहीं मिला और वह मलबे की चपेट में आ गये।
मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि किसी को कुछ सोचने समझने का अवसर ही नहीं मिला। पूरा घटनाक्रम मात्र 15 सेकेंड में हो गया। जो लोग खड़े होकर श्रद्धांजलि दे रहे थे, 15 सेकेंड के अंदर बरामदे मलबे के नीचे से जान बचाने के लिए चीख पुकार करने लगे।
आंखों के सामने से गुजर गई मौत
संगम विहार कालोनी निवासी अरुण के अनुसार आज मौत से उसका साक्षात्कार हुआ है। बल्कि पलक झपकते ही मौत उसे थपकी देकर निकल गई। वह हादसे के समय किनारे की तरफ खड़ी एक स्कूटी से सटकर खड़ा था। जैसे ही लैंटर गिरा, वह बैठ गया और उसे स्कूटी से उसे आड़ मिल गई। बावजूद उसकी रीढ़ की हड्डी में गहरी चोट आई है। अरुण का कहना है कि जब यह हादसा हुआ तो एक बार उसे लगा कि अब खेल खत्म है। लगभग एक मिनट तक उसकी चेतना गायब हो गई। जब होश आया तो जैसे तैसे रेंग कर वह बाहर निकला। उस समय तक चारो ओर चींख पुकार मचनी शुरू हो गई थी।
हादसा नहीं ये मौत आई थी
इंदिरापुरम निवासी पंकज अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए आये थे। उन्होंने कहा कि यह हादसा नहीं था, बल्कि खुद मौत चलकर आई थी। लेकिन अभी जिंदगी कुछ शेष है। इसलिए वह मौत के मुंह से बाल- बाल बचे हैं। पंकज का कहना है कि डित जी तो ओम शब्द भी पूरा नहीं बोल पाये, उससे पहले ही वह हमेशा के लिए चुप हो गये। हादसे में पंकज को मामूली चोटें आई हैं।