Uttar Pradesh:आजम खां के बेटे अब्दुल्ला की विधानसभा सदस्यता हुई रद्द, सीट 'रिक्त' घोषित
उत्तर प्रदेश की राजनीति में आजम खां और उनके परिवार को बुधवार को एक और बड़ा झटका लगा है। रामपुर स्वार विधानसभा से एसपी एमएलए अब्दुल्ला आजम खां की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है। विधानसभा सचिवालय ने अब्दुल्ला आजम की सीट को रिक्त घोषित किया है।आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार टांडा सीट से एमएलए थे। दो दिन पहले मुरादाबाद की कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में आजम खां और उनके परिवार को बुधवार को एक और बड़ा झटका लगा है। रामपुर स्वार विधानसभा से एसपी एमएलए अब्दुल्ला आजम खां की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है। विधानसभा सचिवालय ने अब्दुल्ला आजम की सीट को रिक्त घोषित किया है।आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार टांडा सीट से एमएलए थे। दो दिन पहले मुरादाबाद की कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी।
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आजम खां की सदस्यता पहले ही हो चुकी है रद्द
अब्दुल्ला खां के पिता आजम खां भी रामपुर विधान सभा सीट से एमएलए चुने गये थे। अपमानजनक टिप्पणी के मुकदमे में बीते साल उन्हें दोषी पाया गया था। उस मामले में आजम खां को तीन साल की सजा हुई है। इसके चलते उनकी भी सदस्यता रद्द की जा चुकी है।
दो बार एमएलए बने अब्दुल्ला, एक भी कार्यकाल पूरा न कर सके
समाजवादी पार्टी के फायरब्रांड नेता आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम दो बार विधायक बने, लेकिन दोनों बार ही कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। पहले उनकी विधानसभा सदस्यता दो साल में चली गई थी।र इस बार 11 महीने में ही चली गई। विस सदस्यता जाने की वजह से क्षेत्र का विकास भी नहीं करा पाये। विधायक निधि के तीन करोड़ रुपये भी खर्च नहीं हो सके।अब्दुल्ला आजम 2017 में पहली बार स्वार-टांडा से विधानसभा चुनाव लड़े। उनके मुकाबले चुनाव लड़ रहे पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने नामांकन के दौरान ही आपत्ति दाखिल कर दी थी। उनका कहना था कि अब्दुल्ला की उम्र 25 साल से कम है, इसलिए उनका पर्चा खारिज किया जाए, लेकिन नवेद मियां इस संबंध में कोई साक्ष्य पेश नहीं कर सके। इस कारण अब्दुल्ला का पर्चा वैध पाया गया और वह चुनाव भी जीत गये।
हालांकि बाद में नवेद मियां साक्ष्य जुटा लिए और हाईकोर्ट मंं याचिका दायर कर दी। तब कोर्ट ने दिसंबर 2019 में अब्दुल्ला की विधायकी खत्म कर दी थी। हाईकोर्ट के फैसले के विरोध में अब्दुल्ला सुप्रीम कोर्ट चले गये। इस कारण उपचुनाव नहीं हो सका, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही उनकी सीट रिक्त घोषित कर दी गई थी। ऐसे में वह एमएलए को मिलने वाले लाभ का फायदा नहीं उठा सके।अब्दुल्ला 26 फरवरी 2020 को वह कोर्ट में हाजिर होने के बाद जेल चले गये थे। 23 महीने बाद जेल से बाहर आए थे। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में वह दूसरी बार स्वार-टांडा से विधायक बने। अब मुरादाबाद की कोर्ट ने उन्हें एक मामले में दो साल की सजा सुना दी। इस कारण उनकी विधायकी चली गई। उनकी विधायक निधि की धनराशि भी खर्च नहीं हो सकी। चालू वित्त वर्ष में विधायक निधि की दो किश्तों में तीन करोड़ रुपये मिले हैं। अब्दुल्ला ने पिछले महीने ही 95 कार्यों के प्रस्ताव दिए थे, लेकिन बाद में इन्हें निरस्त कराकर 100 से ज्यादा कार्यों को प्रस्ताव दिए। यह प्रस्ताव पांच दिन पहले ही दिए। इस कारण इन्हें मंजूरी भी नहीं मिली और विधायकी चली गई। ऐसे में उनके प्रस्ताव भी स्वीकृत नहीं हो सके। अब नये विधायक के द्वारा ही प्रस्ताव दिये जायेंगे।
लंबे समय तक जेल में रहे अब्दुल्ला
अब्दुल्ला के खिलाफ 46 मुकदमे दर्ज हैं। इन मुकदमों के कारण ही उन्हें लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा। इस कारण वह विकास कार्यों से संबंधित बैठकों में भी शामिल नहीं हो सके। विधायक बनने के बाद जिला योजना की बैठक में भी कभी शामिल नहीं हुए और न ही निगरानी समिति एवं जिला ग्रामीण विकास अभिकरण की शासी निकाय की बैठक में शामिल हो सके।