Uttar Pradesh : मुख्तार गैंग के शूटर संजीव महेश्वरी की लखनऊ कोर्ट में गोली मारकर मर्डर
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात क्रिमिनल व माफिया डॉन मुख्तार अंसारी करीबी शूटर संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा की लखनऊ सिविल कोर्ट के बाहर गोली मारकर मर्डर कर दी गयी है।लंबे समय से लखनऊ जेल में ही सिक्योरिटी बैरक में बंद जीवा को सिविल कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया था।
- वकील की ड्रेस में आये क्रिमिनलों ने सिविल कोर्ट में पेशी पर लाये गये जीवा को गोलियों से भूना
लखनऊ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात क्रिमिनल व माफिया डॉन मुख्तार अंसारी करीबी शूटर संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा लखनऊ सिविल कोर्ट के बाहर गोली मारकर मर्डर कर दी गयी है।लंबे समय से लखनऊ जेल में ही सिक्योरिटी बैरक में बंद जीवा को सिविल कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया था।
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क्रिमिनल वकील की ड्रेस में आया था। उसने दोपहर 3.50 बजे कोर्ट के अंदर 9 MM की पिस्टल से 5-6 राउंड फायरिंग की। हमले में जीवा की मौके पर मौत हो गई। जबकि एक बच्ची और दो पुलिसकर्मियों को गोली लगी है। भाग रहे हमलावर को वकीलों ने पकड़ लिया। उसकी पिटाई की। पुलिस ने किसी तरह उसे वकीलों से छुड़ाया। हमलावर का नाम विजय यादव है। वह जौनपुर का रहने वाला है।
कंपाउंडर से कुख्यात बना संजीव जीवा
मुजफ्फरनगर का रहने वाला संजीव जीवा इटर स्टेट क्रिमिनल गैंग का लीडर था। उसके खिलाफमर्डर, रंगदारी, लूट, डकैती, अपहरण, गैंगस्टर जैसी संगीन धाराओं में दो दर्जन मुकदमे दर्ज हैं। कोलकाता के एक व्यापारी के बेटे का किडनैप कर दो करोड़ की फिरौती मांगने, पूर्वांचल के एमएलए ब्रह्मदत्त द्विवेदी और कृष्णानंद राय मर्डर में भी उसका नाम आया था। संजीव जीवा संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा ने वर्ष 1995 से संगीन घटनाओं को अंजाम दिया।
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जीवा को माफिया डॉन प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी के बेहद करीबी माना जाता था। बीजपी एमएलए कृष्णानंद राय की मर्डर के आरोपी मुन्ना बजरंगी की जेल में मर्डर के बाद से ही सह अभियुक्त संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई थी।संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा एक हाईप्रोफाइल गैंगस्टर हुआ करता था। संजीव जीवा अपने शुरुआती जीवन में एक आम इंसान की तरह नौकरी करने वाला व्यक्ति थ।जीवा एक मामूली कंपाउंडर से कुख्यात बदमाश बन गया था।देखते-देखते ही वह पूर्वांचल उत्तर प्रदेश में लोगों से लेकर प्रशासन तक के लिए सिर दर्द बन गया था।
बीजेपी एमएलए कृष्णानंद राय की मर्डर के आरोप सेबरी हो गया था। ब्रह्मदत्त द्विवेदी के कत्ल में उसे उम्रकैद की सजा मिली थी। संजीव जीवा की पत्नी ने 2021 मेंही पेशी के दौरान हसबैंड के मर्डर होने का डर जताया था। सुप्रीम कोर्ट से सुरक्षा की गुहार लगायी थी।
जीवा के आपराधिक जीवन की शुरुआत 90 के दशक से हुी थी। इसके पहले वह एक दवाखाना संचालक के यहां कंपाउंडर की नौकरी करता था।जीवा ने उस दवाखाना संचालक को ही किडनैप कर लिया, जिसके यहां वह कंपाउंडर की नौकरी करता था।इसी घटना के बाद जीवा नेअगला निशाना यूपी से सुदूर पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक कारोबारी को बनाया। कारोबारी के बेटे को अगवा कर दो करोड़ की फिरौती की मांग की। 90 के दशक में दो करोड़ की फिरौती मांगे जाना, काफी बड़े अपराधी द्वारा किया गया कांड माना जाता था। इस घटना के बाद जीवा उत्तराखंड के हरिद्वार जाकर नाजिम गैंग में शामिल हो गया। इसके बाद सतेंद्र बरनाला के साथ जुड़ गया। जीवा के अंदर अपनी गैंग बनाने की ललक सवार थी।
1997 में बीजेपी के कद्दावर नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की मर्डर में भी जीवा का नाम सामने आया था। इस मामले में कोर्ट ने जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस कांड के बाद जीवा मुन्ना बजरंगी गैंग में शामिल हुआ और उसने माफिया मुख्तार अंसारी से नजदीकियां बढ़ा ली।
मुख्तार अंसारी का करीबी होने के कारण जीवा का नाम 2005 में कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी सामने आया था। जीवा हथियारों को जुटाने के तिकड़मी नेटवर्क जानता था, जिस कारण अंसारी ने भी उसे अपनी शह दी हुई थी। हालांकि, कुछ सालों बाद कृष्णानंद राय हत्याकांड मामले में दोनों को कोर्ट ने बरी कर दिया था।
22 से ज्यादा मुकदमे, 17 में बरी
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा पर 22 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए हैं। इनमें से 17 मामलों में संजीव बरी हो चुका है। जीवा की गैंग में 35 से ज्यादा गुर्गे शामिल हैं। संजीव जेल में भी रहकर गैंग ऑपरेट करता था। साल 2017 में कारोबारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी मर्डर केस में भी जीवा पर आरोप लगे थे। इसमें कोर्ट ने जीवा समेत चार आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।