Vote for Note Case: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से JMM को लगेगा झटका, शिबू सोरेन और बहू सीता सोरेन की बढ़ेंगी मुश्किलें
सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय संविधान पीठ ने पांच सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा 1998 में पीवी नरसिंह राव मामले (झारखंड मुक्ति मोर्चा रिश्वत कांड) में दिये गये फैसले को पलट दिया है। कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा, रिश्वत लेकर सदन में वोट करने या भाषण देने पर आपराधिक मुकदमे से छूट नहीं है।
- शिबू सोरेन पर नरसिंह राव की सरकार बचाने के लिए रिश्वत लेकर वोट देने का आरोप
- सीता सोरेन वर्ष 2012 के राज्यसभा चुनाव में रिश्वत लेकर वोट देने के मामले में आरोपित
रांची। सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय संविधान पीठ ने पांच सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा 1998 में पीवी नरसिंह राव मामले (झारखंड मुक्ति मोर्चा रिश्वत कांड) में दिये गये फैसले को पलट दिया है। कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा, रिश्वत लेकर सदन में वोट करने या भाषण देने पर आपराधिक मुकदमे से छूट नहीं है।
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शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन परिवार को 'चोरी फिर सीनाजोरी' करने की आदत हो गई है। ये लोग अपने अपराध को छुपाने के लिए बेसिर पैर की दलीलें दिया करते हैं।
— Babulal Marandi (Modi Ka Parivar ) (@yourBabulal) March 4, 2024
मामला पुराना हो जाने के कारण शिबू लोकपाल की कारवाई से बचना चाहते थे। हेमंत सोरेन भ्रष्ट तरीके से ली हुई अवैध जमीन और खनन पट्टे को… pic.twitter.com/uzbE1txcgu
शिबू सोरेन और सीता सोरेन की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
एमएलए सीता सोरेन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के उक्त निर्णय दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अब झामुमो प्रसिडेंट शिबू सोरेन और उनकी एमएलए बहू सीता सोरेन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। शिबू सोरेन फिलहाल झामुमो के राज्यसभा सदस्य हैं। सीता सोरेन जामा विधानसभा क्षेत्र से झामुमो की एमएलए हैं। शिबू सोरेन समेत झामुमो के चार तत्कालीन सांसदों पर 1991 में नरसिंह राव की सरकार बचाने के लिए रिश्वत लेकर उनके पक्ष में वोट करने का आरोप है।
जामा एमएलए सीता सोरेन वर्ष 2012 के राज्यसभा चुनाव में रिश्वत लेकर वोट देने के मामले में आरोपित हैं। सीता सोरेन पर वर्ष 2012 में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान निर्दलीय प्रत्याशी आरके अग्रवाल से डेढ़ करोड़ रुपये लेकर वोट देने का आरोप है। उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। उन्होंने सीबीआई कोर्ट में सरेंडर किया। उन्हें जेल भी जाना पड़ा। हाईकोर्ट में उन्होंने कार्रवाई को चुनौती दी, लेकिन याचिका खारिज हो गई। हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद सीता सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट से झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन समेत चार तत्कालीन सांसदों को रिश्वत कांड में मिली राहत का हवाला देते हुए आपराधिक मुकदमे से छूट की मांग की थी।
शिबू सोरेन का परिवार सिर्फ 'पैसों की राजनीति' करता आया है। ये लोग संसदीय अधिकार की आड़ में पैसे लेकर सदन में वोट डालने के अपराध से बचना चाहते थे, जिसे माननीय सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से खारिज कर दिया।@BJP4India @narendramodi @JPNadda @AmitShah @blsanthosh… pic.twitter.com/gQdpdRIJAi
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सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस ने इस मामले को खंडपीठ को भेज दिया। खंडपीठ ने पूर्व के फैसले पर दोबारा विचार करने का फैसला देते हुए कहा था कि क्या किसी सांसद अथवा विधायक को वोट के बदले नोट लेने की छूट दी जा सकती है? क्या ऐसा कर कोई आपराधिक मुकदमे से बचने का दावा कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय संविधान पीठ ने पांच सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा 1998 में पीवी नरसिंह राव मामले (झारखंड मुक्ति मोर्चा रिश्वत कांड) में दिये गये फैसले को पलट दिया। कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा, रिश्वत लेकर सदन में मतदान करने या भाषण देने पर आपराधिक मुकदमे से छूट नहीं है।
सोरेन फैमिली हमेशा से भ्रष्टाचार में लिप्त रहा: बाबूलाल
बीजेपी के स्टेट प्रसिडेंट बाबूलाल मरांडी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। रांची बीजेपी स्टेट हेडक्वार्टर में सोमवार को प्रेस कांफ्रेस में बाबूलाल कहा कि शिबू सोरेन का परिवार हमेशा से भ्रष्टाचार में लिप्त रहा है। इस केस के शिकायतकर्ता में वे स्वयं शामिल रहे हैं। फैसले से शिबू सोरेन परिवार की सच्चाई फिर उजागर हुई है।
2012 के राज्यसभा चुनाव से जुड़ा है मामला
झारखंड से जुड़ा यह मामला 2012 के राज्यसभा चुनाव से जुड़ा है, जिसमें झामुमो एमएलए सीता सोरेन के ठिकानों से पैसे बरामद हुए थे। मरांडी ने कहा कि यह फैसला कई मिथक को तोड़ने वाला है। चाहे सदन हो या कहीं और यदि मामला आपराधिक है तो आपराधिक ही माना जायेगा। कोई पैसा लेकर सवाल पूछे या वोट दे सभी आपराधिक हैं।उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन फैमिली का राजनीतिक उद्देश्य है केवल पैसा कमाना।