Anand Mohan:  एक्स एमपी Anand Mohan रिहा, सहरसा जेल से अहले सुबह आये बाहर

बिहार में गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णय्या मर्डर केस में उम्रकैद की सजा काट रहे एक्स एमपी आनंद मोहन गुरुवार की सुबह सहरसा जेल से बाहर निकल गये। उन्हें सरकार ने स्थायी तौर पर रिहा कर दिया है।

Anand Mohan:  एक्स एमपी Anand Mohan रिहा, सहरसा जेल से  अहले सुबह आये बाहर
आनंद मोहन (फाइल फोटो)।

पटना। बिहार में गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णय्या मर्डर केस में उम्रकैद की सजा काट रहे एक्स एमपी आनंद मोहन गुरुवार की सुबह सहरसा जेल से बाहर निकल गये। उन्हें सरकार ने स्थायी तौर पर रिहा कर दिया है। आनंगद मोहन सुबह साढ़े बजे ही जेल से निकल गये। समर्थकों से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी।

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आनन्द मोहन के स्वागत में उमड़ी भीड़, नहीं हो सकी दीदार, मायूस लौटे समर्थक

आनंद मोहन की रिहाई की खबर सुनकर समर्थक सहरसा जेल के बाहर जमा हो गये। आनंद मोहन जेल से सुबह ही निकल चुके थे। आनंद मोहन की दीदार को लेकर दिनभर समर्थकों का हुजूम इंतजार करतेरहेगये। जेल गेट से सर्किट हाउस और शहर में दिनभर समर्थकों का हुजूम इंतजार करते रहे गये। हालांकि बाद में एक्स एमपी के पुत्र चेतन आनंद ने पारिवारिक कारणों से नहीं पहुंचने की बात कही। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आनंद मोहन को जेल गेट पर लोगों से मिलना था। इसके बाद डीबी रोड होते पैतृक गांव पंचगछिया में आयोजित सभा में शामिल होना था। इस दौरान भी राव अंबेडकर और वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण का भी कार्यक्रम था। आनंद मोहन के कार्यक्रम को लेकर कई जिलों के समर्थक सुबह से ही सहरसा पहुंचने लगे थे। खासकर सर्किट हाउस में लोगों का तांता लगा रहा। 

लेकिन दोपहर बाद एमएलए चेतन आनंद बहन सुरभि आनंद के साथ सर्किट हाउस पहुंचकरलोगों का अभिवादन किया। एमएलए ने इस दौरान मीडिया से बात करने से साफ इंकार करते समर्थकों से मुखातिब होकर कहा कि मेरे यहां मांगलिक कार्य है। मांगलिक कार्य की दृष्टिकोण से पिताजी उसी काम में लगे हुए हैं। उन्होंने सभी को धन्यवाद देते बताया कि मां और पिताजी जिले से बाहर निकल चुके हैं। इसके बाद समर्थक धीरे-धीरे निकलने लगे।

चेतन ने लोगों से  कहा कि पापा भी आपलोगों से मिलने के लिये काफी उत्साहित थे। उन्होंने कहा कि अभी के वर्तमान समय में कुछ कहना नही है। मैं सीएम नीतीश कुमार व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को धन्यवाद देना चाहता हूं जिसके बदौलत मेरे पिताजी की आज रिहाई हुई है। आनंद मोहन बुधवार को पेरोल समाप्त होने पर जेल गये थे। इससे पहले वो अपने बेटे आरजेडी एमएलए चेतन आनंद की बेटे सह एमएलए चेतन आनंद की सगाई के मौके पर 15 दिनों पैरोल पर जेल से बाहर आये थे। इसी बीच सरकार ने उनके पूर्ण रिहाई का आदेश दिया। आनंद मोहन गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में जेल में थे। उन्हें रिहा करने के लिए बिहार सरकार ने जेल नियमों में बदलाव किया, तब जाकर उनकी रिहाई का रास्ता साफ हुआ। आनंद मोहन के साथ 27 अन्य कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया गया।

कृष्णैया की बेटी व वाइफ ने जताया विरोध
आनंद मोहन की रिहाई पर दिवंगत आइएएस अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने आपत्ति जताई है। जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने आनंद मोहन को फिर से जेल भेजने की अपील की। उन्होंने कहा कि जनता आनंद मोहन की रिहाई का विरोध करेगी, उसे वापस जेल भेजने की मांग करेगी। उसे रिहा करना गलत फैसला है। उमा देवी ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार को इस तरह की चीजों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। अगर आनंद मोहन भविष्य में चुनाव लड़ेंगे तो जनता को उनका बहिष्कार करना चाहिए।


जी कृष्णैया की बेटी बोली-ये अनुचित, नीतीश सरकार ने गलत मिसाल कायम की
डीएम जी कृष्णैया के परिवार ने आनंद मोहन की रिहाई का विरोध जताया है। उनकी बेटी ने कहा कि आनंद मोहन सिंह का आज जेल से छूटना हमारे लिए बहुत दुख की बात है। सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। मैं नीतीश कुमार जी से अनुरोध करती हूं कि इस फैसले पर दोबारा विचार करें। इस फैसले से उनकी सरकार ने एक गलत मिसाल कायम की है। ये अनुचित है।
आनंद मोहन के पुत्र और आरजेडी एमएलए चेतन आनंद ने दिवंगत आइएएस अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया और परिवार के दूसरे सदस्यों से मिलने की इच्छा जाहिर की है।चेतन आनंद ने कहा है कि कृष्णैया परिवार के साथ मेरी पूरी सहानुभूति है। हम उनके परिवार से संपर्क कर रहे हैं। अगर सहमति मिली तो हम पूरे परिवार के साथ उनसे मिलने जायेंगे।

आनंद मोहन की रिहाई नियम कानून के प्राविधानों के तहत
बिहार के चीफ सेकरटेरी आमिर सुबहानी ने कहा कि रिहाई के पूर्व आनंद मोहन का पूरा रिकॉर्ड देखा गया है। बिहार सरकार का कहना है कि सरकार की नजर में आईएएस, बासा के अधिकारी या अन्य किसी भी आम आदमी में कोई अंतर नहीं है। जेल मैनुअल 2012 के तहत यह प्रावधान है कि कैदी ने जेल में कम से कम 14 साल बिताये हों। इस अवधि में उसका चाल-चलन अच्छा हो तो ऐसे कैदी को 20 वर्ष परिहार अवधि हो जाने पर जेल से रिहा किया जा सकता है।  बिहार के चीफ सेकरेटरी आमिर सुबहानी ने कहा कि आनंद मोहन ने भी 15 वर्ष नौ माह की अवधि जेल में बिताई है और परिहार सहित जेल में बिताई कुल अवधि 22 वर्ष 13 दिन की हो चुकी है। इस वजह से तमाम नियम कायदे-कानून का पालन करते हुए जेल मैनुअल में किये प्रावधानों के तहत उन्हें रिहा किया गया है। इस फैसले को राजनीतिक रंग देना कहीं से उचित नहीं है।

मोबाइल रखने के मामले को टाल दिया
आमिर सुबहानी ने कहा कि रिहाई के पूर्व आनंद मोहन का पूरा रिकॉर्ड देखा गया है। यह पूछे जाने पर कि उन पर जेल में मोबाइल रखने से जुड़ी एक एफआइआर पिछले वर्ष दर्ज की गई। इस संबंध में मुख्य सचिव ने जानकारी होने से अनभिज्ञता जाहिर की।एक प्रश्न के उत्तर में मुख्य सचिव ने कहा कि नियम के तहत प्रोबेशन अफसर अपराधी के गांव जाकर यह पता लगाते हैं कि उस कैदी के छूटने से सामाजिक माहौल पर कोई बुरा प्रभाव तो नहीं पड़ेगा। इस आकलन को भी नियम में शामिल किया गया है और इसका पालन भी आनंद मोहन के मामले में किया गया है।


जेल नियमों में बदलाव के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में याचिका दाखिल
आनंद मोहन की  रिहाई को लेकर जेल नियमों में हुए बदलाव के खिलाफ बुधवार को पटना हाईकोर्ट में एक सामाजिक कार्यकर्ता ने याचिका दायर की है। पटना हाईकोर्ट में बिहार सरकार की ओर से जारी उस अधिसूचना को निरस्त करने के लिए लोकहित याचिका दायर की गई है, जिसके तहत बिहार कारागार नियमावली, 2012 के नियम 481(i)(क) में संशोधन कर 'ड्यूटी पर तैनात लोक सेवक की हत्या' वाक्य को हटाया दिया गया। इस लोकहित याचिका को सामाजिक कार्यकर्ता अमर ज्योति ने अपने अधिवक्ता अलका वर्मा के माध्यम से दायर किया है। याचिका में राज्य सरकार की ओर से बिहार कारागार नियमावली, 2012 के नियम 481(i) (क) में किए गए संशोधन को गैरकानूनी बताया गया है। यह अधिसूचना कानून व्यवस्था पर प्रतिकूल असर डालने वाली है और ड्यूटी पर मौजूद लोक सेवकों और आम जनता के मनोबल को गिराती है।इस मामले पर एडवोकेट और जनहित याचिकाकर्ता अलका वर्मा ने कहा कि जेल मैन्यल में संशोधन का प्रयोजन क्या है? ऐसा कोई भी संशोधन जनहित में होना चाहिए, ये जनहित में नहीं है। यह मनमानी कार्रवाई है। यह संशोधन मनमाना है और यह अनुचित है।

फ्लैश बैक
बिहार के मुजफ्फरपुर में गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की पांच दिसंबर, 1994 को भीड़ ने पहले पीटा और फिर गोली मारकर मर्डर कर दी थी। इस मामले में आरोप लगा था कि इस भीड़ को आनंद मोहन ने ही उकसाया था। साल 2007 में इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि, 2008 में हाइकोर्ट की तरफ से ही इस सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया। 2012 में आनंद मोहन ने सुप्रीम कोर्ट में सजा कम करने की अपील की थी, जो खारिज हो गयी थी। गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की मर्डर मामले में आनंद मोहन अपनी 14 साल की कारावास अवधि पूरी कर चुके हैं। आनंद मोहन सिंह बिहार के सहरसा जिले के पचगछिया गांव के कहने वाले हैं। उनके दादा एक स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1990 में की थी।आनद मोहन एमएलए व एमपी रह चुके है। उनकी वाइफ लवली आनंद भी एमएलए व एमपी रह चुकी है।