Atul Subhash Case: अपनी मां के साथ रहेगा अतुल सुभाष का बेटा, सुप्रीम कोर्ट का फैसला
बेंगलुरु के टेक इंजीनियर अतुल सुभाष की सुसाइड के बाद उनका चार साल का बेटा अपनी मां निकिता सिंघानियाके साथ रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी मां को सौंप दी है। कोर्ट के इस फैसले से पोचे की कस्टडी की मांग कर रही उसकी दादी अंजू देवी को झटका लगा है। उन्होंने याचिका दायर कर अपने चार साल के पोते की कस्टडी की मांग की थी।
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- दादी ने याचिका दायर कर मांगी थी पोते की कस्टडी
नई दिल्ली। बेंगलुरु के टेक इंजीनियर अतुल सुभाष की सुसाइड के बाद उनका चार साल का बेटा अपनी मां निकिता सिंघानियाके साथ रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी मां को सौंप दी है। कोर्ट के इस फैसले से पोचे की कस्टडी की मांग कर रही उसकी दादी अंजू देवी को झटका लगा है। उन्होंने याचिका दायर कर अपने चार साल के पोते की कस्टडी की मांग की थी।
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निकिता सिंघानिया के पास रहेगी बेटे की कस्टडी
इससे पहले जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने सुनवाई शुरू होते ही अतुल सुभाष के चार वर्षीय बेटे को आधा घंटा के अंदर वीडियो लिंक के माध्यम से कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया। इसके बाद लगभग 45 मिनट के ब्रेक के बाद बच्चे से ऑनलाइन माध्यम से न्यायाधीशों ने बात की। इस दौरान कोर्ट की कार्यवाही को ऑफलाइन कर दिया गया था। इस दौरान न्यायाधीश ने बच्चे से ऑनलइन माध्यम से बात की। बच्चे की पहचान छिपाने के लिए कोर्ट की कार्यवाही को ऑफलाइन किया गया था। न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एससी शर्मा ने वीडियो लिंक के माध्यम से बच्चे से बात करने के बाद फैसला सुनाया। कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि चार साल के बेटे की कस्टडी उसकी मां को मिलनी चाहिए।
अतुल सुभाष की मां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि पोते की कस्टडी उन्हें मिले। इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अधिक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा। हालांकि, न्यायमूर्ति नागरत्ना ने इस तरह के किसी भी अनुरोध को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यह एक बंदी प्रत्यक्षीकरण (याचिका) है, हम बच्चे को देखना चाहते हैं। बच्चे को पेश करें। अतुल सुभाष की मौत के बाद उनकी मां ने अपने पोते को रखने की मांग की थी। वहीं, अतुल सुभाष से अलग रह रहीं उनकी वाइफ निकिता सिंघानिया ने अपने बेटे की कस्टडी मांगी थी।
अतुल सुभाष की मां अंजू देवी का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील कुमार दुष्यंत सिंह ने बच्चे की कस्टडी की मांग की थी। आरोप लगाया था कि उनकी अलग रह रही बहू ने बच्चे का पता उनसे छिपा रखा है। उन्होंने तर्क दिया था कि छह वर्ष से कम आयुके बच्चे को बोर्डिंग स्कूल में नहीं भेजा जाना चाहिए। उन्हों नेउन तस्वीरों का हवाला दिया था, जिनमें दिखाया गया था कि जब बच्चा केवल कुछ साल का था, तब याचिकाकर्ता उससे बातचीत कर रही थी। इसके बाद कोर्ट ने 20 जनवरी को अगली सुनवाई पर बच्चे को कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया था और कहा था कि मामले का फैसला ‘मीडिया ट्रायल’ ( मीडिया में हो रही बहस) के आधार पर नहीं किया जा सकता।
उल्लेखनीय है कि इसी महीने की शुरुआत में निकिता सिंघानिया ने बताया था कि उनका चार साल का बेटा हरियाणा के फरीदाबाद के एक बोर्डिंग स्कूल का छात्र है। वह अपनी मां के साथ बेंगलुरु जाएगा। निकिता सिंघानिया के वकील ने कहा था कि हम बच्चे को बेंगलुरु ले जाएंगे। हमने लड़के को स्कूल से निकाल लिया है। जमानत की शर्तों को पूरा करने के लिए मां को बेंगलुरु में होना चाहिए।वहीं, अतुल सुभाष की मां निशा देवी ने इसी महीने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उनके चार साल के पोते की कस्टडी उन्हें दी जाए। इस याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दिया है। बता दें अतुल सुभाष ने दिसंबर में सुसाइड कर ली थी और अपनी वाइफ और उसके परिवार पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था। उन्होंने 24 पन्नों का डेथ नोट भी लिखा था।