बिहार: सीनीयर आइपीएस अरविंद पांडेय के खिलाफ 25 वर्ष पुराने मामले में हुई कार्रवाई
बिहार गवर्नमेंट ने डीजी नागरिक सुरक्षा व सीनीयर आइपीएस अफसर अरविंद पांडेय के खिलाफ 25 वर्ष पुराने मामले में कार्रवाई की है। श्री पांडेय की चार वेतन वृद्धि रोक दी गयी है।
- डीजीपी की रेस से रोकने के लिए एक्शन
- कार्रवाई के बाद पांडेय डीजीपी की रेस में पिछड़े
- वर्ष 1995 में एकीकृत बिहार के पलामू के एसपी थे अरविंद पांडेय
- बीडीओ भवनाथ झा की हुई थी मर्डर
- सीएम जीतन राम मांझी ने 2014 में पूरे मामले को समाप्त करने का जारी किया था आदेश
पटना। बिहार गवर्नमेंट ने डीजी नागरिक सुरक्षा व सीनीयर आइपीएस अफसर अरविंद पांडेय के खिलाफ 25 वर्ष पुराने मामले में कार्रवाई की है। श्री पांडेय की चार वेतन वृद्धि रोक दी गयी है। होम डिपार्टमेंट ने मंगलवार को संबंधित आदेश जारी कर दिया। श्री पांडेय को वर्तमान में मिल रहे वेतन में दो वेतन वृद्धियां घटा दी जायेंगी। इसके अलावा भविष्य में भी दी जाने वाली दो वेतन वृद्धियां नहीं दी जायेंगी।गवर्नमेंट की इस कार्रवाई के बाद पांडेय डीजीपी की रेस में पिछड़ गये हैं।
पलामू के मामले में हुई कार्रवाई
बिहार कैडर के 1988 बैच के तेज तर्रार आइपीएस अफसर अरविंद पांडेय पर एकीकृत बिहार में पलामू के एसपी रहते हुई घटना पर कार्रवाई की गई है। पलामू में 1997 में नक्सलियों का काफी प्रभाव था। मनातू में नक्सलियों की तूती बोला करती थी। अफसर और स्टाफ मनातू प्रखंड में अपना योगदान देने से डरते थे। प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी (उस समय एमसीसी) ने मनातू स्थित बीडीओ के भवनाथ झा सरकारी आवास में घुसकर उनकी बेरहमी से मर्डर कर दी थी.अरविंद पांडेय पर आरोप है कि उन्होंने एसपी रहते जिम्मेदारियों का उचित निर्वहन नहीं किया। डिपार्टमेंट जांच में पांडेय की कार्यशैली में लापरवाही पाई गई थी। इसी मामले में पांडेय के खिलाफ विभागीय कार्यवाही संचालित की गई थी।
मांझी दंड को कर चुके थे माफ, सात साल बाद माफी याचिका अस्वीकृत
अरविंद पांडेय के अनुरोध पत्र पर वर्ष 2014 में तत्कालीन सीएम जीतन राम मांझी ने उन्हें आरोप मुक्त कर पूरे मामले को समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया था। सात वर्षों तक मामले में दबा कर रखा गया। अब नये सिरे से मांझी के आदेश को पलटकर माफी याचिका को अस्वीकृत कर दिया गया है।
सत्ता के समीकरण के एक वर्ग में में फिट नहीं हैं पांडेय
सितंबर माह में गुप्तेश्वर पांडेय के डीजीपी पोस्ट से Voluntary retirement मंजूर करने के बाद नये DGP की नियुक्ति नहीं हो पायी है। डीजी होमगार्ड संजीव कुमार सिंघल ही अभी डीजीपी के प्रभार में चल रहे हैं।अरविंद पांडेय डीजीपी के रेस में चल रहे थे। वह सत्ता समीकरण में एक प्रमुख दल व उनके नेताओं के समीकरण में फिट नहीं है। यही कारण है कि आनन-फानन में पुराने मामले में उनके खिलाफ कार्रवाई की गयी है।
तलाश हो रही है। बिहार में डीजी रैंक के अभी नौ पुलिस अफसर हैं, जिनमें चार Central deputation पर हैं। वहीं, पांच बिहार में विभिन्न पदों पर तैनात हैं। डीजीपी की रेस में पंजाब के रहने वाले और बिहार कैडर के तीन आइपीएस भी शामिल हैं। इसमें संजीव कुमार सिंघल, मनमोहन सिंह और आरएस भट्टी हैं।हालांकि, बिहार कैडर के नौ टॉप आइपीएस अफसरों की लिस्ट में फिलहाल तीन अफसर कप्तानी की रेस में आगे चल रहे थे। इसमें फिलवक्त डीजीपी पद का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे 1988 बैच के आइपीएस संजीव कुमार सिंघल के अलावा पुलिस निर्माण निगम के सीएमडी व पुलिस ट्रेनिंग के डीजी आलोक राज और नागरिक सुरक्षा निदेशालय के डीजी अरविंद पांडेय का नाम शुमार है। हालांकि गवर्नमेंट की ओर से सभी नौ आइपीएस अफसरों की लिस्ट यूपीएसी को भेजे जाने की बात कही जा रही है।
डीजीपी पोस्ट के दावेदार
वर्तमान में डीजीपी पोस्ट के दावेदारों की लिस्ट में नौ डीजी हैं। इनमें डीजीपी पोस्ट के एडीशनल चार्ज संभाल रहे 1988 बैच के आइपीएस संजीव कुमार सिंघल के अलावा पुलिस निर्माण निगम के सीएमडी व पुलिस ट्रेनिंग के डीजी आलोक राज, नागरिक सुरक्षा निदेशालय के डीजी अरविंद पांडेय हैं। इसी तरह खेल प्राधिकरण के डीजी दिनेश सिंह बिष्ट, बीएमसपी के डीजी डीजी आरएस भट्टी का नाम भी प्रमुख दावेदारों में है। इन पांच नामों के अलावा सेंट्रल डिपुटेशन पर तैनात बिहार के कैडर चार आइपीएस अफसर भी नियमानुसार डीजीपी पोस्ट के दौर में शामिल हैं। इसमें कुमार राजेश चंद्रा, शील वद्र्धन सिंह और मनमोहन सिंह का नाम है।