Bihar: जेल में थे अनंत सिंह, पुलिस ने घर पर बताया, 35 मिनट में ही बनवा ली बैलिस्टिक रिपोर्ट, बनावटी केस का सत्यानाश
बिहार में मोकामा के एक्स एमएलए अनंत सिंह को पटना हाईकोर्ट ने एक साथ दो केस में बाइज्जत बरी कर दिया। इसके बाद अनंत सिंह उर्फ छोटे सरकार की जेल रिहाई हुई। हााई कोर्ट से फैसले से साबित हो गया है कि राजनीतिक साजिश के तहत एक्स सेंट्रल मिनिस्टर आरसीपी सिंह की पुत्री आईपीएस अफसर लिपि सिंह ने अनंत सिंह को फंसाया था।
पटना। बिहार में मोकामा के एक्स एमएलए अनंत सिंह को पटना हाईकोर्ट ने एक साथ दो केस में बाइज्जत बरी कर दिया। इसके बाद अनंत सिंह उर्फ छोटे सरकार की जेल रिहाई हुई। हााई कोर्ट से फैसले से साबित हो गया है कि राजनीतिक साजिश के तहत एक्स सेंट्रल मिनिस्टर आरसीपी सिंह की पुत्री आईपीएस अफसर लिपि सिंह ने अनंत सिंह को फंसाया था।
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एक केस तो बाढ़ के लदमा में अनंत सिंह के पैतृक आवास से एके 47, 26 कारतूस और दो ग्रेनेड की बरामदी का था। दूसरा केस पटना में अनंत सिंह के विधायक आवास से इंसास राइफल की छह गोलियों और बुलेटप्रूफ जैकेट बरामद होने का था। पुलिस ने एके 47 केस व इंसास राइफल गोली और बुलेटप्रूफ जैकेट केस में फिल्मी स्टाइल में स्क्रिप्ट लिखकर इन्विस्टीगेशन किया। हाईकोर्ट ने दोनों केस में लोअर कोर्ट का फैसला पलट दिया और अनंत सिंह को रिहा कर दिया।
अनंत सिंह के पटना विधायक आवास पर 24 जून 2015 को रेड मारा गया था। पुलिस ने कहा कि यह रेड बाढ़ पुलिस स्टेशन में दर्ज एक केस में कोर्ट से जारी तलाशी वारंट के आधार पर मारा गया था लेकिन पुलिस वो वारंट पेश नहीं कर सकी। पुलिस ने बाढ़ के जिस वारंट की तामील के लिए रेड मारा, उसमें कोई बाढ़ का पुलिस अफसर ही नहीं था जबकि कायदे से दूसरे पुलिस स्टेशन एरिया में रेड के लिए संबंधित पुलिस स्टेशन का कोई अफसर वारंट के साथ जाता है। लोकल पुलिस स्टेशन का आफसर सहयोगी की भूमिका में होते हैं।
कोर्ट में पुलिस की असल किरकिरी तो तब हुई जब पता चला कि पुलिस ने केस में अनंत सिंह को रेड के दौरान विधायक के तौर पर उन्हें मिले सरकारी आवास में मौजूद बताया। यह भी दावा किया कि अनंत सिंह ने सीजर लिस्ट पर साइन करने से मना कर दिया। जबकि सच्चाई यह थी कि अनंत सिंह बिहटा पुलिस स्टेशन के एक केस में जेल में बंद थे। इस केस में उनका रिमांड हुआ था। कोर्ट ने माना कि यह रेड और तलाशी अनंत सिंह की गैर मौजूदगी में हुई। पुलिस एके 47 केस की तरह इस केस में भी ये साबित नहीं कर पाई कि अनंत सिंह को विधायक आवास में छुपाकर रखे गये इंसास राइफल के कारतूस या बुलेटप्रूफ जैकेट के बारे में जानकारी थी।
हाईकोर्ट ने पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि सिर्फ इन्विस्टीगेशन गड़बड़ नहीं है बल्कि अभियोजन पक्ष एक भी बुनियादी सवाल का जवाब नहीं दे पाया। सीजर लिस्ट और बरामद सामान को सील करने के जगह और समय को लेकर पुलिस अफसरों के बयान एक-दूसरे के विरोधाभासी निकले। रेड में शामिल रहा अफसर भी अपने बयान सेपलट गया। कोर्ट ने इस बात का भी नोटिस लिया कि इंसास राइफल की बरामद गोलियों की बैलिस्टिक रिपोर्ट मात्र 35 मिनट में तैयार हो गई। कोर्ट ने पूछा भी कि किस साइटिफिक तरीके से कारतूस की जांच की गई कि 35 मिनट में जांच भी हो गई और उसकी रिपोर्ट भी तैयार हो गई।
अनंत सिंह का सियासी सफर
अनंत सिंह का सियासी सफर वर्ष 2005 में शुरू हुआ था। पहली बार जयूकी टिकट पर मोकामा सेविधानसभा का चुनाव जीत कर एमएलए बने थे। उसके बाद वे 2005 में दो बार, 2010, 2015 और 2020 में लगातार मोकामा से विधानसभा चुनाव जीतते रहे। जब एके 47 कांड में सजा होनेके बाद वह जेल चलेगए तो उनके वर्ष 2022 में हुए उपचुनाव में अनंत सिंह की वाइफ नीलम देवी आरजेडी की टिकट चुनाव लड़ा और विधयक बनीं।हालांकि 2024 में नीतीश कुमार के विश्वास प्रस्ताव के दौरान नीलम देवी ने राजद छोड़कर जदयू को समर्थन किया। इसके पहले लोकसभा चुनाव के दौरान अनंत सिंह पैरोल पर बाहर आए थे। हाई कोर्ट से बरी किये जाने के बाद अनंत सिंह बेऊर जेल से बाहर आ गये हैं। अब उनके खिलाफ कोई केस पेंडिंग नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनाव में अनंत सिंह ने अपनी पत्नी को कांग्रेस के टिकट पर मुंगेर लोकसभा सीट से नीतीश कुमार के खास ललन सिंह को चुनौती दे दी थी। हालांकि अनंत सिंह की पत्नी चुनाव तो नहीं जीत पाईं थी।