Bihar: हाईकोर्ट में IPS लिपि सिंह की पुलिसिया स्क्रिप्ट छलनी,एके 47 बरामदगी केस में अनंत सिंह बरी
पटना हाईकोर्ट ने बिहार के मोकामा के एक्स एमएलए अनंत सिंह को बाढ़ के लदमा स्थित पैतृक आवास से एके 47 और ग्रेनेड की बरामदी केस व पटना विधायक आवास से इंसास राइफल की छह कारतूस और बुलेट प्रूफ जैकेट मिलने के केस में भी रिहा कर दिया। हाई कोर्ट में एक्स सेंट्रल मिनिस्टर आरसीपी सिंह के बेटी IPS लिपि सिंह की स्क्रिप्ट यानी पुलिस की कहानी छलनी हो गयी है।
- पुलिस की कहानी में 12 झोल
पटना। पटना हाईकोर्ट ने बिहार के मोकामा के एक्स एमएलए अनंत सिंह को बाढ़ के लदमा स्थित पैतृक आवास से एके 47 और ग्रेनेड की बरामदी केस व पटना विधायक आवास से इंसास राइफल की छह कारतूस और बुलेट प्रूफ जैकेट मिलने के केस में भी रिहा कर दिया। हाई कोर्ट में एक्स सेंट्रल मिनिस्टर आरसीपी सिंह के बेटी IPS लिपि सिंह की स्क्रिप्ट यानी पुलिस की कहानी छलनी हो गयी है।
यह भी पढ़ें:Bihar: हाई कोर्ट से हम बरी हो गये, लिपि सिंह हैं दोषी, CBI जांच हो, अनंत सिंह ने मोदी-नीतीश सरकार से की डिमांड
उक्त दो केसों में सबसे महत्वपूर्ण केस बाढ़ के लदमा में अनंत सिंह के पैतृक आवास से एके 47, उसकी 26 गोलियां और दो हैंड ग्रेनेड मिलनेवाला था। कहा जा रहा था कि अनंत की कहानी का अंत हो गया है। अब वो बाकी जिंदगी जेल में रहेंगे। उस समय बाढ़ में एएसपी रहीं चर्चित आईपीएस लिपि सिंह ने 16 अगस्त 2019 को अनंत के पैतृक आवास पर रेड मारा था। लिपि तत्कालीन जेडीयू प्रसिडेंट व सेंट्रल मिनिस्टर आरसीपी सिंह की बेटी होना हाईकोर्ट के फैसले में राजनीतिक बदले के आधार के तौर पर दर्ज हो गया है। हाईकोर्ट ने अनंत सिंह को बरी करते हुए सिर्फ लोअर कोर्ट का फैसला नहीं पलटा बल्कि स्पष्ट कहा कि लिपि सिंह की राजनीतिक दुश्मनी और अति सक्रियता को खारिज नहीं किया जा सकता है। कोर्ट से अनंत के वकील ने कहा था कि केस में यूएपीए की धारा इसलिए जोड़ी गई थी जिससे लिपि सिंह केस की आईओ बन सकें क्योंकि इस सेक्शन में दर्ज केस का आईओ डीएसपी रैंक से नीचे का अफसर नहीं हो सकता। लिपि ने इस आरोप को कोर्ट में नकारा।
लिपि सिंह की स्क्रिप्ट यानी पुलिस की कहानी कोर्ट से हुई छलनी-छलनी
सर्च, सीजर और सील की कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन होना हाईकोर्ट ने सर्च, सीजर और सील (तलाशी, जब्ती और जब्त सामानों को कपड़े में लपेट कर मोहर के साथ बंद करना) की प्रक्रिया को कानूनी रूप से संचालित करने को सबसे महत्वपूर्ण बताते हुए इस केस में इसका भयंकर उल्लंघन पाया। सर्च, सीजर और सील के दौरान स्वतंत्र गवाह (गैर पुलिस) का नहीं होना अनंत सिंह के पैृतक आवास की तलाशी के दौरान पुलिस को वहां मौजूद सैकड़ों लोगों की भीड़ में कोई स्वतंत्र गवाह नहीं मिला। पुलिस ने इसके लिए किसी को नोटिस भी नहीं दिया जिस पर कोर्ट ने गौर किया। पुलिस ने कहा कि लोग अनंत के डर से गवाह नहीं बन रहे थे तो कोर्ट ने वो नोटिस दिखाने कहा जो उसने लोगों को गवाह बनने के लिए दिया हो। पुलिस ऐसा कोई नोटिस नहीं पेश कर सकी।
स्वतंत्र गवाह बनाये गये पुलिस जवानों और मजिस्ट्रेट तक का बयान नहीं दर्ज करवाया गया
पुलिस ने दो सिपाही श्रवण कुमार और अजीत कुमार सिंह को गवाह बनाया था। स्वतंत्र गवाह बनाये गये पुलिस जवानों और मजिस्ट्रेट तक का बयान नहीं दर्ज करवाया गया। पुलिस ने जिन दो सिपाही को सर्च, सीजर और सील का गवाह बनाया, उनके बयान 161 के तहत दर्ज नहीं करवाये गये। इन दोनों को चार्जशीट में भी गवाह नहीं बनाया गया। एक सिपाही ने कोर्ट में कह दिया कि मजिस्ट्रेट के कहने पर उसने सीजर पर साइन किया था। पुलिस ने उस मजिस्ट्रेट का भी बयान 161 के तहत दर्ज नहीं करवाया और ना उसे चार्जशीट में गवाह के तौर पर शामिल किया। यहां तक कि जब्ती सूची पर सिपाहियों के साइन भी नहीं थे। जब्ती पर मालखाना की एंट्री का नंबर भी नहीं मिला।
ताला और चाबी सीज नहीं होने से अनंत सिंह के घर के बंद या खुले होने पर सवाल
अनंत सिंह का पैतृक घर बंद था। भीड़ ने घर के रखवाले के तौर पर सुनील राम का नाम बताया तो उसे पकड़ा गया। उसके पास एक चाबी थी जिससे घर खोला गया। पुलिस ने सीज सामानों में उस ताले और चाबी को नहीं लिया। कोर्ट ने इसे एक गंभीर चूक माना। इसकी वजह से कोर्ट ने घर के खुला या बंद होने पर सवाल उठाया कि कैसे माना जाए कि तलाशी के समय घर बंद था या खुला।
एके 47 जब्ती सुबह 11.15 में लेकिन सील शाम 7.45, आठ घंटे की देरी पर फंसी पुलिस
कोर्ट ने नोट किया कि पुलिस के केस के अनुसार एके 47, 26 कारतूस और ग्रेनेड सुबह 11.15 बजे जब्त हुए। लेकिन इसे सील शाम 7.45 बजे किया गया। कोर्ट में पुलिस इस आठ घंटे की देरी पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सकी।
थानेदार ने कहा था हाथ से लिखा बयान दिया, लेकिन टाइप कॉपी निकली
केस के सूचक और बाढ़ थाना के थानेदार इंस्पेक्टर संजीत कुमार ने कहा था कि उन्होंने लिखकर बयान दिया है लेकिन कोर्ट में जो बयान पेश किया गया वो टाइप और प्रिंट कॉपी निकली। पुलिस ने माना कि जब्ती स्थल पर कंप्यूटर नहीं था। कोर्ट ने इस गड़बड़ी पर गौर किया है। बचाव पक्ष नेआरोप लगाया कि संजीत के हाथ से लिखे बयान को मन-मुताबिक ना पाकर लिपि सिंह ने फाड़ दिया और टाइप करवाकर संजीत से जबरन साइन करवाया। लिपि ने इस आरोप को नकारा।
16 अगस्त की पुलिस रेड में 27 अगस्त के अखबार में लिपटा ग्रेनेड कैसे मिला
पुलिस ने कहा कि 16 अगस्त 2019 को रेड में एक अखबार में लिपटा दो ग्रेनेड मिला था। अनंत के वकीलों ने तर्क दिया कि 16 अगस्त की रेड में 11 दिन आगे का अखबार कैसे मिल सकता है। थानेदार संजीत कुमार ने 27 अगस्त के अखबार की बात कोर्ट में भी दोहराई। कोर्ट को पुलिस इस बात का जवाब नहीं दे सकी कि 11 दिन आगे का अखबार कैसे मिला। कोर्ट ने अनंत के वकीलों के तर्क को सही मानते हुए रेड और जब्ती की कहानी को अविश्वसनीय माना।
अनंत सिंह का उनके पैतृक घर से कोई रिश्ता साबित नहीं कर सकी पुलिस
पुलिस ने अनंत सिंह के पैतृक आवास से संबंधित जमीन का कोई कागजात जैसे खाता, खेसरा पेश नहीं किया जिससे ये साबित हो सके कि ये घर उनके कब्जे में है। अनंत सिंह ने पुलिस को दिए बयान में कहा था कि वो कभी-कभार ही गांव जाते थे। पुलिस नहीं बता सकी कि अनंत इस घर में रेड से पहले या आखिरी बार कब गये थे। पुलिस ये भी साबित नहीं कर सकी कि घर में हथियार होने की जानकारी अनंत को थी। पुलिस ने अनंत की वाइफ नीलम देवी के लोकसभा चुनाव के नामांकन पत्र, एम्स में इलाज के पेपर में दर्ज पता को रेड वाले घर सेअनंत का रिश्ता दिखाने के लिए पेश किया लेकिन कोर्ट ने उसे नाकाफी माना।
ना तलाशी की फोटो, ना अनंत सिंह का फोटो या कपड़ा, वीडियो भी नहीं
कोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया कि पुलिस घंटों चली रेड, तलाशी या जब्ती का एक भी फोटो या वीडियो नहीं पेश कर सकी जबकि वहां बहुत सारे लोग स्मार्टफोन के साथ थे। कोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया कि घर से अनंत सिंह का कोई फोटो या कपड़ा बरामद नहीं हुआ जिससे ये साबित हो सके कि वो इस घर में रहते थे या उसका रेगुलर इस्तेमाल करते थे।
सुनील राम को अनंत सिंह के घर रखवाला तक नहीं साबित कर सकी पुलिस
पुलिस ने जिस सुनील राम को लोगों के बताने पर अनंत सिंह के घर का रखवाला मानकर पकड़ा और उससे मिली चाबी से घर का गेट खोला था, उसे भी कोर्ट में अनंत के घर का रखवाला साबित नहीं कर सकी। पुलिस ये भी नहीं साबित कर सकी कि सुनील को घर में हथियार की जानकारी है।
लिपि सिंह की पॉलिटिकल दुश्मनी और hyperactivity पर सवाल
हाईकोर्ट ने आरसीपी सिंह के हवाले से लिपि सिंह की राजनीतिक दुश्मनी और hyperactivity पर सवाल उठाया है। अनंत सिंह की वाइफ नीलम देवी ने मुंगेर लोकसभा सीट से 2019 का आम चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था जिन्हें हराकर जेडीयू के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह जीतेथे। नीलम की शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने लिपि सिंह को बाढ़ से हटा दिया था लेकिन चुनाव के बाद उन्हें फिर बाढ़ में तैनात कर दिया गया। कोर्ट ने सत्तारूढ़ पार्टी से संबंध रखनेवाले आरसीपी सिंह और ललन सिंह के इशारे पर नहीं चलने की वजह से अनंत पर केस को राजनीतिक बदले के तौर पर भी लिया है।
अनंत सिंह को रिमांड पर लाने जेडीयू लीडर की कार से दिल्ली में कोर्ट गई थीं लिपि
लिपि सिंह पर अनंत सिंह के वकीलों ने आरोप लगाया था कि इस केस में यूएपीए का सेक्शन सिर्फ इसलिए जोड़ा गया था कि केस की आईओ वो बन सकें क्योंकि इस सेक्शन में डीएसपी रैंक का ही अफसर जांच कर सकता है। लेकिन यूएपीए में चार्जशीट नहीं दाखिल की गई। लिपि सिंह ने कोर्ट से कहा कि उस सेक्शन में लगे आरोपों की जांच जारी है। अनंत सिंह को लाने दिल्ली गई लिपि पर जेडीयू एमएलसी रणवीर नंदन की कार इस्तेमाल करने का आरोप बचाव पक्ष ने लगाया जिस पर लिपि ने कहा कि उन्हें याद नहीं है कि दिल्ली में वो किस गाड़ी से कोर्ट गई थीं।
अनंत सिंह के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई हुई थी। पटना स्थित उनके आवास से 24 जून, 2015 को इंसास रायफल मैगजीन और बुलेट प्रूफ जैकेट व लदमा गांव स्थित पैतृक आवास से एक-47 राइफल उसकी गोलियां बरामद की गयी थी। बाढ़ में एएसपी रहीं चर्चित आईपीएस लिपि सिंह ने 16 अगस्त 2019 को पुलिस की रेड के दौरान अनंत सिंह के घर से एके 47 राइफल, ग्रेनेड और कारतूस मिले थे। इस मामले में पुलिस ने अनंत सिंह और उनके एक करीबी सुनील राम के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तगत केस दर्ज किया गया था। हालांकि, इस केस में अनंत सिंह शुरू में गिरफ्तारी से बचने में कामयाब रहे थे लेकिन एक हफ्ते के बाद उन्होंने दिल्ली के साकेत कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। लोअर कोर्ट से कोर्ट से एक्स एमएलए को 10 साल की सजा हुई थी। पटना हाई कोर्ट ने बुधवार को मोकामा के एक्स एमएलए अनंत सिंह को दोनों मामलों में बड़ी राहत देते हुए बरी कर दिया था। पटना हाई कोर्ट के जस्टिस चंद्र शेखर झा की सिंगल बेंच ने उनकी अपील पर सुनवाई करते हुए उनके खिलाफ दायर दोनों मामलों में सबूत के अभाव में बरी कर दिया।
अनंत सिंह का सियासी सफर
अनंत सिंह का सियासी सफर वर्ष 2005 में शुरू हुआ था। पहली बार जयूकी टिकट पर मोकामा सेविधानसभा का चुनाव जीत कर एमएलए बने थे। उसके बाद वे 2005 में दो बार, 2010, 2015 और 2020 में लगातार मोकामा से विधानसभा चुनाव जीतते रहे। जब एके 47 कांड में सजा होनेके बाद वह जेल चलेगए तो उनके वर्ष 2022 में हुए उपचुनाव में अनंत सिंह की वाइफ नीलम देवी आरजेडी की टिकट चुनाव लड़ा और विधयक बनीं।हालांकि 2024 में नीतीश कुमार के विश्वास प्रस्ताव के दौरान नीलम देवी ने राजद छोड़कर जदयू को समर्थन किया। इसके पहले लोकसभा चुनाव के दौरान अनंत सिंह पैरोल पर बाहर आए थे। हाई कोर्ट से बरी किये जाने के बाद अनंत सिंह बेऊर जेल से बाहर आ गये हैं। अब उनके खिलाफ कोई केस पेंडिंग नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनाव में अनंत सिंह ने अपनी पत्नी को कांग्रेस के टिकट पर मुंगेर लोकसभा सीट से नीतीश कुमार के खास ललन सिंह को चुनौती दे दी थी। हालांकि अनंत सिंह की पत्नी चुनाव तो नहीं जीत पाईं थी।