Bihar Assembly Election 2020: नीतीश की भावुक अपील, यह मेरा आखिरी चुनाव, अंत भला तो सब भला
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लास्ट फेज के चुनाव प्रचार में अंतिम दिन सीएम नीतीश कुमार वोट के लिए आखिरी पास फेका है। नीतीश ने कहा है कि यह उनका अंतिम चुनाव है। इसके बाद वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसलिए अंत भला तो सब भला।
- कहा- अब नहीं लड़ूंगा चुनाव
- नीतीश ने फाइनल राउंड में मांगे वोट, कहा-अंत भला तो सब भला
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लास्ट फेज के चुनाव प्रचार में अंतिम दिन सीएम नीतीश कुमार वोट के लिए आखिरी पास फेका है। नीतीश ने कहा है कि यह उनका अंतिम चुनाव है। इसके बाद वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसलिए अंत भला तो सब भला। नीतीश ने एनडी कैंडिडेट के लिए प्रचार करते हुए कहा कि परसो (सात नवंबर) चुनाव है।और यह मेरा अंतिम चुनाव है। अंत भला तो सब भला। इनको (प्रत्याशी) वोट दीजियेगा न। सीएम ने कैंडिडेट को को विजय का माला पहना दिया।
पूर्णिया जिले के धमदाहा विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार में नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर बड़ी घोषणा की। हालांकि, इसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। माना जा रहा है कि नीतीश ने यह घोषणा कर सहानुभूति कार्ड खेला है। चुनाव में इसका लाभ भी मिल सकता है।
बिहार में औद्योगिक नीति लागू की जायेगी
धमदाहा से पहले सीएम नीतीश ने कटिहार के चुनावी सभा में कहा कि अगर इस बार एनडीए की सरकार बनेगी तो बिहार में अगले पांच साल में औद्योगिक नीति लागू की जायेगी। जिसकी पूरी तैयारी की जा चुकी है। बिहार में औद्योगिक नीति लागू होने के बाद बिहार से पलायन समाप्त हो जायेगा। उन्होंने कहा कि बिहार लगातार विकास के पथ पर चल रहा है। विपक्ष पर हमलावर होते हुए उन्होंने कहा कि वे सिर्फ अपने परिवार की बात करते हैं और एनडीए बिहार के करोड़ो परिवार की बात करता है। अब बिहार के लोगों को चुनना है कि उन्हें कौन सरकार चाहिये।
सुशासन बाबू' नीतीश का चुनावी 'ब्रह्मास्त्र'!
'सुशासन बाबू' के नाम से जाने जाने वाले बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा चुनाव के लास्ट दिन अपने संन्याहस के बारे में संकेत देते हुए कहा कि यह उनका अंतिम चुनाव है। नीतीश के इस ऐलान से राजनीति में नई हलचल मच गई। जेडीयू की एक नई रणनीति वोटिंग से ठीक पहले बिहार के लोगों के सामने नीतीश की इस भावुक अपील का क्या असर पड़ा यह तो 10 नवम्बर को ही पता चलेगा। फिलहाल बिहार में सबसे बड़ा सवाल यह है कि 43 साल से राजनीतिक सफलता मेंछह बार सीएम रह चुके नीतीश 15 साल से बिहार पर एकछत्र राज कर रहे हैं। नीतीश क्या वाकई संन्यानस ले लेंगे? क्या इस भावुक अपील के बाद उन्हेंड एक और मौका मिलेगा।नीतीश की इस भावुक अपील के बाद बिहार में पूछा जाने लगा कि क्याय नीतीश को एक आखिरी मौका मिलेगा। नीतीश की इस अपील को उनके ब्रह्मास्त्र के तौर पर देखा जा रहा है।
नीतीश ने 43 साल की सियासत में कई उतार-चढ़ाव
बिहार के सीएम नीतीश कुमार की अभी 69 साल के है। वर्ष 1977 में नीतीश का राजनीतिक कैरियर शुरू हुआ था। 43 साल की सियासत में नीतीश ने तमाम उतार चढ़ाव देखे हैं। नीतीश कुमार, छह बार बिहार के सीएम पद की शपथ ले चुके हैं। तीन मार्च 2000 से 10 मार्च 2000 तक, 24 नवंबर 2005 से 24 नवंबर 2010 तक, 26 नवंबर 2010 से 19 मई 2014 तक, 22 फरवरी 2015 से 19 नवंबर 2015 और 20 नवंबर 2015 और 2015 से अभी तक वह बिहार के सीएम बने हुए हैं।
जेपी-लोहिया-कर्पूरी ठाकुर और जार्ज से सीखे राजनीति के गुर
वर्ष 1951 में जन्मे नीतीश कुमार पटना इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली है। । नीतीश का उपनाम मुन्ना है। नीतिश के पिता एक स्वतंत्रता सेनानी थे। नीतीश ने जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, कर्पूरी ठाकुर और जॉर्ज फर्नाडीज से राजनीति के गुर सीखे थे। नीतीश ने वर्ष 1973 की 22 फरवरी को मंजू कुमारी सिन्हा से शादी की थी। नीतीश कुमार का एक बेटा है जो बीआईटी से ग्रेजुएट है।
1977 से हुई नीतीश के राजनीतिक सफर की शुरुआत
नीतीश के राजनीतिक कैरियर की शुरुआत वर्ष 1977 में हुई थी। नीतीश ने वर्ष 1977 में ही जनता पार्टी के टिकट पर पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। वह वर्ष 1985 बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गये। वर्ष 1987 को नीतीश कुमार बिहार के युवा लोकदल के अध्यक्ष बने। नीतीश कुमार को वर्ष 1989 में युवा जनता दल का महासचिव बना दिया गया। इसी साल नीतीश 9वीं लोकसभा के लिए चुने गये। इसके बाद साल 1990 में नीतीश सेंट्रल में अप्रैल से नवंबर तक कृषि एवं सहकारी विभाग के राज्य मंत्री रहे। वह वर्ष 1991 में दसवीं लोकसभा का चुनाव जीते। इसी साल नीतिश कुमार जनता दल के महासचिव व लोकसभा में जनता दल के उपनेता भी बने। लगभग दो साल बाद 1993 को नीतीश को कृषि समित का चेयरमैन बनाया गया। नीतीश वर्ष 1996 में 11वीं लोकसभा के लिए चुने गये। वह वर्ष 1996-98 तक रक्षा समिति के सदस्य भी रहे। वह वर्ष 1998 ने फिर से 12वीं लोकसभा के लिए चुने गए। नीतीश 1998-99 तक सेंट्रल रेल मिनिस्टर रहे। वर्ष 1999 में नीतीश कुमार 13वीं लोकसभा के लिए चुने जाने के बागद केंद्रीय कृषि मंत्री भी रहे। नीतीश कुमार वर्ष 2000 में पहली बार बिहार के सीएम बने। उनका कार्यकाल तीन मार्च 2000 से 10 मार्च 2000 तक चला। नीतीश वर्ष 2000 में फिर से केंद्रीय कृषि मंत्री रहे। वर्ष 2001 में नीतीश को रेलवे का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया।
सेंट्रल में रेल कृषि मंत्री रहे
वर्ष 2001 से 2004 तक नीतीश केंद्रीय रेलमंत्री रहे। वर्ष 2002 के गुजरात दंगे भी नीतीश कुमार के कार्यकाल के दौरान हुए थे। वर्ष 2004 में नीतीश 14वीं लोकसभा के लिए चुने गये। वह वर्ष 2005 में एक बार फिर से सीएम बने। बिहार के 31वें सीएम के रुप में नीतीश का ये कार्यकाल 24 नवंबर 2005 से 24 नवंबर 2010 तक रहा। उन्होंने वर्ष 2010 में फिर सीएम पद की शपथ ली, लेकिन कार्यकाल के पूरा होने के पहले ही 2014 के लोकसभा चुनाव में हुई करारी हार का जिम्मा लेते हुए उन्होंने इस्तीफा दे दिया। जीतन राम मांझी को सीएम पद का कार्यभार दिया था।नीतीश ने 22 फरवरी 2015 को उन्होंने एक बार फिर महागठबंधन की सरकार बनाई। हालांकि 18 महीने बाद ही यह गठबंधन टूट गया। इसके बाद नीतीश ने एक बार फिर बीजेपी की मदद से एनडीए में शामिल होकर बिहार में अपनी सरकार बनाई।