बिहार: विधानसभा में हंगामा व मारपीट, शर्मसार हुआ लोकतंत्र
बिहार विधानसभा में मंगलवार को पेश सशस्त्र पुलिस बल विधेयक 2021 को लेकर भारी हंगामा हुआ। स्थिति पर नियंत्रण के लिए पुलिस को बुलाना पड़ा। किसी भी स्थिति में विधेयक को पास होने से रोकने की जिद पर अड़े RJD और Congress के एमएलए के खिलाफ पुलिसकर्मियों को बल-प्रयोग भी करना पड़ा। विपक्षी एमएलए को धक्का मारकर और टांगकर सदन से बाहर निकाला गया। विपक्ष की महिला एमएलए को भी कुछ इसी तरह निकालना पड़ा। हंगामे और वॉकआउट के बीच बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 पारित हो गया।
पटना।बिहार विधान सभा में मंगलवार को बेहद शर्मनाक घटना घटी। बिहार विधानसभा में मंगलवार को पेश सशस्त्र पुलिस बल विधेयक 2021 को लेकर भारी हंगामा हुआ। विधान सभा के इतिहास में 23 मार्च का दिनकाले दिन के रुप में दर्ज होगा। हंगामे के कारण तीन बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।चौथी बार विधायकों ने सदन की कार्यवाही रोकने के लिए स्पीकर को उनके चैंबर में ही बंधक बना लिया। स्थिति पर नियंत्रण के लिए पुलिस को बुलाना पड़ा।स्पीकर ने कहा है कि आज सदन में तोड़-फोड़ और हंगामा करनेवालों पर जरूर कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि आज से पहले भी आरजेडी ने रात भर विरोध प्रदर्शन किया था मगर तब नेतृत्व परिपक्व था।
बिल की कॉपी फाड़ने से शुरू हुआ वाद-विवाद लात-जूता और मारपीट तक पहुंचा
किसी भी स्थिति में विधेयक को पास होने से रोकने की जिद पर अड़े RJD और Congress के एमएलए के खिलाफ पुलिसकर्मियों को बल-प्रयोग भी करना पड़ा। विपक्षी एमएलए को धक्का मारकर और टांगकर सदन से बाहर निकाला गया। विपक्ष की महिला एमएलए को भी कुछ इसी तरह निकालना पड़ा। हंगामे और वॉकआउट के बीच बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 पारित हो गया। विधानसभा में सरकार की जीत हुई और विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक पारित हो गया। विधानसभा में बिल की कॉपी फाड़ने से शुरू हुआ वाद-विवाद लात-जूता और मारपीट तक पहुंच गया।
विपक्ष किसी भी सूरत में बिहार विशेष पुलिस सशस्त्र विधेयक 2021 को पास होने देना नहीं चाहता था। जबकि सरकार को लगता है कि इस विधेयक के कानून बनने से महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा में मदद मिलेगी। सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि पुलिस विधेयक पर लोगों को जानबूझकर गुमराह किया जा रहा है। अब तक बिहार मिलिट्री पुलिस नाम था, इसका नामकरण विशेष सशस्त्र पुलिस किया गया है। सीएम ने बोधगया की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि हमने देखा है कि किस तरीके की घटना महाबोधि मंदिर के पास घटी थी। वहीं, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक की कॉपी को सदन में फाड़ दी और उनके साथ पूरा विपक्ष वॉकआउट कर गया। उनका आरोप है कि सरकार इस कानून के जरिए पुलिस राज लाना चाहती है।
विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा
बिहार विधानसभा में मंगलवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक को लेकर सदन में हंगामा शुरू हो गया। विपक्ष के सदस्यों का प्रदर्शन इतना बढ़ा कि विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को सदन की कार्यवाही दिन के 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ गई।सुबह में हंगामे से शुरू का सदन का सत्र शाम होते-होते पिटाई- तक पहुंच गया। आरजेडी के सतीश दास कई एमएलए को चोटें भी आई है। कुछ मीडियाकर्मी भी जख्मी हैं। जख्मी होनेवालों में शामिल हैं। जख्मी एमएलए सतीश दास के लिए एंबुलेंस को बुलाया गया। फिर स्ट्रेचर पर लाद कर उन्हें हॉस्पीटल में एडमिट कराया गया। सीपीआई एमएलए सत्येंद्र यादव और आरजेडी एमएलए रीतलाल यादव के भी घायल हैं। एमएलए का आरोप है कि पुलिस ने उनकी पिटाई की। रोहतास के करगहर से कांग्रेस एमएलए संतोष मिश्रा ने कहा कि पुलिस ने विधानसभा पोर्टिको में जूते से मारा। काफी दूर तक उनको घसीटा भी गया।
महिला एमएलए को भी जबरन सदन से निकाला गया
सदन से लेकर स्पीकर के चेंबर तक हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा। खींचा-तानी, धक्का-मुक्की हुआ। फिर पुलिस ने एमएलएको खींच-खींच कर बाहर निकाला। एमएलए ने आरोप लगाया कि उनके साथ पुलिस ने मारपीट की। विपक्षी एमएलए के इस हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही जब शुरू होने वाली थी। तब विपक्ष की महिला एमएलए ने अध्यक्ष के आसन को ही घेर लिया। इसके बाद विपक्ष की महिला एमएलए को हटाने के लिए महिला पुलिस को सदन के अंदर बुलाया गया। महिला एमएलए को जबरन सदन से बाहर निकाला गया।
स्पीकर को बंधक बनाया
हंगामा के कारण सुबह से ही ना प्रश्न काल चला, ना ही शून्य काल। दोपहर 12 बजे दोबारा सदन की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई, विपक्षी विधायकों ने नारेबाजी करते हुए रिपोटर्स टेबल (स्पीकर के आसन के सामने लगे टेबल जिसपर अधिकारी कार्यवाही की नोटिंग लेते हैं) पर कुर्सिया फेंकी, टेबल पर चढ़ गए। कागज फाड़कर उड़ाया। मार्शलों ने रोका तो धक्का-मुक्की की गई। दोपहर दो बजे तीसरी बार भी कार्यवाही नहीं चली। विधान सभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा अपने चैंबर में बैठे हुए थे तब विपक्षी एमएलए उनके चैंबर को घेरकर नारेबाजी करने लगे। आगे महिला एमएलए को बैठा दिया गया। 4.30 बजे जब सदन की कार्यवाही शुरू कराने को स्पीकर चैंबर से निकले तो उन्हें एमएलए ने निकलने नहीं दिया। दूसरे दरवाजे से अध्यक्ष को निकालने की कोशिश की गई तब दूसरे दरवाजे को एमएलए ने रस्सी से बांध दिया। स्पीकर की चैंबर से निकलने की कोशिश बेकार हो गई। वे लौट कर चैंबर में चले गये। बैठक बुलाने के लिए घंटी 10 मिनट से बज रही थी। बैठक की शुरुआत होनेवाली थी। मगर एमएलए स्पीकर को उनके कमरे में बंधक बनाये रहे। विधानसभा अध्यक्ष को चेंबर से बाहर निकलने ही नहीं दिया।स्पीकर सदन में नहीं जा सके।
मार्शल से नहीं संभलते देख स्पीकर ने पटना के डीएम और एसपी को बुला लिया। पुलिस ने शुरू में एमएलए से अपील की। मान-मनौव्वल करने की कोशिश की। मगर बात नहीं बनी। इसके बाद स्पीकर चेंबर के पास से पुलिसवालों ने सबसे पहले मीडिया को निकाला। इसके बाद एक-एक कर एमएलए को खींच-खींचकर बाहर फेंक दिया। जो नहीं मान रहे थे,उनको घसीटते हुए बाहर निकाला गया। पुलिस से भी एमएलए ने धक्का-मुक्की की। इसके बाद पुलिस ने नेताओं को खींच-खींचकर हटाया। कई राजद नेताओं को मुक्का मारा और सदन से बाहर फेंक दिया। अंत में महिला एमएलए स्पीकर के आसन को घेर कर खड़ी हो गई, उन्हें भी महिला पुलिस ने जबरन हटाया। शाम सात बजे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपने चैंबर से बाहर निकलकर आये। अपने नेताओं को समझाने की बजाय खुद भी पुलिस से हाथापाई की। इस बीच उनके बड़े भाई व एमएलए वीडियो बनाते रहे।
पुलिस ने मुक्के मारकर एमएलए को बाहर फेंका, तेजस्वी ने भी की जवानों से हाथापाई
विपक्षी विधायकों ने अध्यक्ष को उनके चैंबर में काफी देर तक बंधक बना लिया। भारी संख्या में पुलिस बुलानी पड़ी। पुलिस ने विधायकों की जमकर पिटाई की। महिला एमएलए ने भी स्पीकर की कुर्सी को घेरा। तेजस्वी ने भी पुलिस से हाथापाई की। समझाने से एमएलए नहीं मानें तब बल प्रयोग कर उन्हें हटाया जाने लगा। बड़ी संख्या में महिला पुलिस बल भी तैनात कर दिया गया। इसके बाद पुलिस और एमएलए के बीच मारपीट शुरू हो गई। एमएलए को रैफ ओर बिहार पुलिस के जवानों ने जबरन खींचकर हटाया। सत्येंद्र यादव को पुलिस ने मुक्का मारा।कई एमएलए को पीटकर सदन से बाहर फेंक दिया। काफी देर तक मारपीट के बाद डीएम ने विधान सभा का गेट खुलवाया।पुलिस कार्रवाई में एमएलए सुधाकर, सतीश दास, कांग्रेस के संतोष मिश्रा को काफी चोटें आई हैं। जिन्हें स्ट्रेचर पर डालकर इलाज के लिए ले जाया गया है।
विधानसभा में मंगलवार को हुए बवाल के दौरान कई विधायकों, पुलिसकर्मियों और पत्रकारों को चोटें आई हैं। इस दौरान राजद विधायक सतीश दास को गंभीर चोट आई है, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया है। वहीं सीपीआई के एमएलए सत्येन्द्र यादव और आरजेडी एमएलए रीतलाल यादव के भी घायल होने की सूचना आ रही है। एमएलए सतीस दास ने आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें पुलिस ने बुरी तरह से पीटा है। घायल एमएलए को स्ट्रेचर पर लाद कर हॉस्पीटल में एडमिट कराया गया है।सदन में मंत्री अशोक चौधरी और राजद विधायक चंद्रशेखर के बीच हाथापाई हो गई। अशोक चौधरी ने राजद एमएलए को धक्का दे दिया। एमएलए चंद्रशेखर ने भी मंत्री अशोक चौधरी की ओर माइक्रोफोन फेंका।
बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021
किसी को गिरफ्तार करने के लिए वारंट या मजिस्ट्रेट की इजाजत की जरूरत नहीं होगी।
विशेष सशस्त्र पुलिस बिना वारंट के किसी की तलाशी कर सकेगी, विरोध नहीं कर सकते।
किसी अफसर पर किसी अपराध का आरोप लगता है, तो कोर्ट खुद से संज्ञान नहीं ले पाएगी।
गिरफ्तारी के बाद प्रताड़ित करने का आरोप लगता है तो बिना परमिशन कोर्ट कुछ नहीं कर सकता।
प्रतिष्ठान की सुरक्षा की जवाबदेही होने पर बिना वारंट और बिना मजिस्ट्रेट के गिरफ्तार किया जा सकता है।
ऐसे किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता है जो सशस्त्र पुलिस को उसका काम करने से रोकता है।
हमले का भय दिखाने, बल प्रयोग करने, धमकी देने पर बिना वारंट सशस्त्र पुलिस गिरफ्तार कर सकती है।
बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस गठन के पीछे सरकार का तर्क
बिहार सैन्य पुलिस (BMP) की भूमिका और उसका अलग संगठनात्मक ढांचा को देखते हुए पहचान जरूरी।
बिहार तेजी से विकास कर रहा है, सांस्कृतिक महत्व के स्थलों, विद्युत संयंत्रों की सुरक्षा बहुत जरूरी है।
औद्योगिक ईकाइयां, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों, हवाई अड्डा, मेट्रो रेल की सुरक्षा के लिए सशस्त्र पुलिस बल जरूरी।
बिहार सरकार ने कार्यकारी व्यवस्था के तहत ज्यादातर प्रतिष्ठानों की सुरक्षा में बिहार सैन्य पुलिस को लगाया है।
बेहतर सुरक्षा प्रबंधन के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की तर्ज पर गिरफ्तारी और तलाशी की शक्ति जरूरी।
सशस्त्र पुलिस बल को स्पेशल शक्ति नहीं होने के कारण सुरक्षा जांच में कई तरह की परेशानी खड़ी हो सकती है।
बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 में अधिकारियों को विशेष शक्ति देने का प्रावधान CISF की तरह है।
शक्ति के इस्तेमाल के लिए विशेष प्रक्रिया बनाना आवश्यक है, ताकि इसका प्रयोग हो सके और दुरुपयोग न हो।
बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस
विपक्ष का आरोप है कि विधेयक में कई ऐसी बातें हैं, जिससे पुलिस ज्यादा निरंकुश होगी। इस विधेयक में बिना वारंट गिरफ्तार करने की शक्ति विशेष सशस्त्र पुलिस को दी गई है। विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक में बिना वारंट तलाशी लेने का अधिकार दिया गया है। दरअसल बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 आम पुलिस के लिए है ही नहीं। विशेष सशस्त्र पुलिस की यूनिट CISF की तर्ज कर काम करेगी। औद्योगिक, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान, हवाई अड्डा, मेट्रो रेल की सुरक्षा में लगी रहेगी। हाई प्रोफाइल सिक्योरिटी के लिए बिहार को सशस्त्र पुलिस की आवश्यकता है। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की तर्ज बिहार सशस्त्र पुलिस का गठन किया जा रहा। बिहार सशस्त्र पुलिस को मिलने वाला अधिकार पहले से CISF के पास है।