Bihar:निर्दलीय कैंडिडेट वंशीधर बृजवासी ने जीता तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से MLC चुनाव
बिहार विधान परिषद के तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव में शिक्षक संघ के पूर्व नेता वंशीधर बृजवासी ने भारी मतो से जीत हासिल की है। बिहार विधान परिषद के तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र का ये उपचुनाव सीएम नीतीश कुमार की जनता दल (यू) के लीडर देवेश चंद्र ठाकुर के इस्तीफे के कारण हुआ था।
- PK के अलावा नीतीश-लालू के कैंडिडेट को भी चटायी धूल
- आरजेडी तीसेर व जेडीयू चौथे नंबर पर रही
मुजफ्फरपुर। बिहार विधान परिषद के तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव में शिक्षक संघ के पूर्व नेता वंशीधर बृजवासी ने भारी मतो से जीत हासिल की है। बिहार विधान परिषद के तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र का ये उपचुनाव सीएम नीतीश कुमार की जनता दल (यू) के लीडर देवेश चंद्र ठाकुर के इस्तीफे के कारण हुआ था। देवेश चंद्र ठाकुर ने इस साल सीतामढ़ी से लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इस चुनाव में जनता दल (यू) के उम्मीदवार अभिषेक झा को हार का सामना करना पड़ा और वह चौथे स्थान पर रहे।
यह भी पढ़ें:Karnataka: बेंगलुरु में इंजीनियर अतुल सुभाष ने किया सुसाइड,1.20 घंटे का वीडियो मैसेज, 24 पन्नों में लिखा सुसाइड नोट
तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार वंशीधर ब्रजवासी ने जन सुराज के उम्मीदवार डॉ. विनायक गौतम को 11 हजार से अधिक वोटों से हराया। 22 वर्षों बाद तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से नया चेहरा एमएलसी बना है। आरजेडी कैंडिडेट तीसरे और जदयू चौथे नंबर पर रहे। जदयू ने यह सीट गंवा दी। ब्रजवासी को 27774 वोट मिले। डॉ. गौतम को 16829 वोट मिले।
शिक्षक की नौकरी से हुए निलंबित, उपचुनाव में उतरे, बन गये MLC
शिक्षक से नेता बने वंशीधर ब्रजवासी शिक्षकों के अधिकारों को लेकर चर्चा में रहे हैं। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव रहे केके. पाठक ने इस साल की शुरुआत में वंशीधर ब्रजवासी नौकरी से सस्पेंड कर दिया था। उन्हें बिहार सरकार ने सेवा से सस्पेंड कर दिया था। हालांकि, बाद में उन्होंने विभागीय प्रक्रिया से सेवा मुक्ति ले ली थी। नौकरी से हटने के बाद ब्रजवासीउपचुनाव में कूद गये। वे शिक्षकों और स्नातकों के अधिकारों की लड़ाई को अपनी पहली प्राथमिकता बताते हैं।
ब्रजवासी ने कहा कि वह सरकार को इसलिए धन्यवाद देना चाहेंगे क्योंकि अगर सरकार ने उन्हें नौकरी से नहीं हटाया होता तो आज वह एमएलसी नहीं बनते। सरकार ने कार्रवाई की तभी शिक्षक गोलबंद हुए और उसका नतीजा सामने है। उन्होंने कहा कि सरकारी तंत्रों की तानाशाही के खिलाफ संघर्ष, चाहे वह शिक्षक कर रहा हो, पत्रकार कर रहा हो, संविदा कर्मी कर रहा हो या पंचायत में काम कर रहे लोग कर रहे हों, उनकी एकजुटता इस जीत का कारण है। वही नायक भी हैं। उनकी कोशिश रहेगी, उनके इस संघर्ष को मुकाम तक पहुंचाने में सहायक बनें.”जीत दर्ज करने के बाद वंशीधर बृजवासी ने पत्रकारों से कहा कि यहां मैं नहीं सभी शिक्षक और लोग चुनाव लड़ रहे थे। यह सभी लोगों की जीत है।
ब्रजवासी पर केके पाठक ने लिया था एक्शन
ब्रजवासी पर शिक्षा विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने कड़ा एक्शन लिया था। बताया जाता है कि उनपर केके पाठक के निर्देशों का उल्लंघन करने का आरोप लगा था। वंशीधर पर इस साल मार्च में एक्शन लिया गया था। दरअसल, वह परिवर्तनकारी शिक्षक संघ से जुड़े थे। उनके साथ अन्य 19 शिक्षकों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गई थी। यह कार्रवाई संगठन की आड़ में लाठी और गुलदस्ता लेकर धरना प्रदर्शन करने के मामले में की गई थी।
पहले तत्काल प्रभाव से वंशीधर का वेतन बंद कर दिया गया था। इसके अलावा, उनसे 24 घंटे के अंदर जवाब मांगा गया था।शिक्षा विभाग का कहना था कि शिक्षकों के किसी भी संगठन के बैनर तले या व्यक्तिगत रूप से सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन पर पूर्व में ही रोक लगा रखी है। इसके बावजूद परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ ने खुदीराम बोस स्मारक स्थल पर शिक्षकों के बीच लाठी बांटने का कार्य किया, जो शिक्षकीय चरित्र, दायित्व एवं आचरण के पूर्णतया प्रतिकूल है।इस मामले में संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर वंशीधर पर एक्शन हुआ था। हालांकि, बाद में उन्होंने विभागीय प्रक्रिया से सेवा मुक्ति ले ली थी।