बिहार: गवर्नर कोटे से उपेंद्र कुशवाहा समेत बीजेपी व जेडीयू के 12 लीडर बने MLC
गवर्नर के मनोनयन कोटे के 12 MLC के नाम का बुधवार को एलान कर दिया। आरएलएसपी का जेडीयू में विलय करने वाले उपेंद्र कुशवाहा को भी एमएलसी बनाया गया है
पटना। भारत निर्वाचन आयोग ने राज्यपाल फागू चौहान के आदेश पर मनोनयन कोटे के 12 MLC के नाम का बुधवार को एलान कर दिया। सीएम नीतीश कुमार ने JDU के पांच पुराने मेंबरों को दुबारा मौका दिया है।
आरएलएसपी का जेडीयू में विलय करने वाले उपेंद्र कुशवाहा को भी एमएलसी बनाया गया है। BJP की ओर से मात्र एक पूर्व एमएलसी राजेंद्र गुप्ता दूसरी बार एमएलसी बनाये गये हैं।पांच नये नाम हैं। जेडीयू ने उपेंद्र कुशवाहा, संजय गांधी, ललन सर्राफ, राम वचन राय, अशोक चौधरी और संजय सिंह को एमएलसी बनाया है। बीजेपी ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, संजय सिंह, निवेदिता सिंह, देवेश कुमार, डॉ. प्रमोद कुमार तथा घनश्याम ठाकुर को एमएलसी बनाया है।
कुशवाहा को मिनिस्टर जाने के कयास
एमएलसी बनाए जाने वाले उपेंद्र कुशवाहा ने हाल ही में अपनी पार्टी RLSP का जेडीयू में विलय किया है। सीएम नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी के संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया था। अब कुशवाहा को मिनिस्टर जाने के कयास भी लगाए जा रहे हैं।
जेडीयू व बीजेपी से ये बने एमएलसी
जेडीयू ने अपनी सूची में उपेंद्र कुशवाहा, संजय सिंह, राम वचन राय, अशोक चौधरी, संजय गांधी और ललन सर्राफ को जगह दी है। उधर, बीजेपी की सूची में राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, डॉ. प्रमोद कुमार, घनश्याम ठाकुर, निवेदिता सिंह, जनक राम व देवेश कुमार को जगह मिली है। दोनों दलों ने अपने अनुसार सामाजिक समीकरणों का ध्यान रखा है, लेकिन इस प्रक्रिया में जीतन राम मांझी व मुकेश सहनी को निराशा हाथ लगी है।
मांझी की पार्टी जताई नाराजगी
'हम' सुप्रीमो जीतन राम मांझी एमएलसी की एक सीट की मांग कर रखी थी। उन्हें उम्मीद थी कि यह सीट उन्हें मिलेगी। लेकिन जेडीयू से इस बार उन्हें निराशा मिली है। 'हम' के प्रवक्ता डॉ. दानिश रिजवान ने कहा है कि यह फैसला उनकी पार्टी से पूछे बिना लिया गया है, जिससे पार्टी में आक्रोश है। दानिश ने कहा कि अब पार्टी की नजर मांझी के फैसले पर है।
जेडीयू के अंदर से विरोध के स्वर
एमएलसी के मनोनयन को लेकर जेडीयू के अंदर से भी विरोध की स्वर उठने लगे है। जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि पार्टी ने उनके साथ न्याय नहीं किया है। जेडीयू में निष्ठा, कर्तव्यपरायणता और योग्यता की पूछ नहीं है। उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार तो समाज के सभी वर्गों को लेकर चलते थे, लेकिन इस बार केवल एक जाति विशेष की उपेक्षा की गई है। पार्टी का यह फैसला पीड़ा देने वाला है। पार्टी में कार्यकर्ताओं के लिए जगह रहनी चाहिए।