Bihar : 37 वर्ष पहले दो रुपये वसूली करते पकड़ाये थे छह पुलिसकर्मी, पांच होमगार्ड जवान बरी, ASI की हो चुकी है मौत
बिहार के बेगुसराय में में दो रुपये की वसूली के मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों को 37 साल बाद कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव बरी कर दिया है। भागलपुर व्यवहार न्यायालय के एडीजे पंचम सुदेश श्रीवास्तव की कोर्ट ने बेगूसराय के लाखों-लखमिनिया चेकपोस्ट पर वाहनों से अवैध वसूली के वर्ष 1986 के केस में पांच होमगार्ड जवानों को बरी कर दिया है।
- वर्ष 1986 में बेगूसराय के लाखों-लखमिनिया चेकपोस्ट पर तैनात जवानों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था FIR
- बेगूसराय के लाखों-लखमिनिया चेकपोस्ट पर वाहनों से अवैध वसूली का मामला
- 37 सालों से लंबित था मामला
- 1986 में दर्ज मामले में साक्ष्य के आभाव में एडीजे सुदेश ने किया बरी
पटना। बिहार के बेगुसराय में में दो रुपये की वसूली के मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों को 37 साल बाद कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव बरी कर दिया है। भागलपुर व्यवहार न्यायालय के एडीजे पंचम सुदेश श्रीवास्तव की कोर्ट ने बेगूसराय के लाखों-लखमिनिया चेकपोस्ट पर वाहनों से अवैध वसूली के वर्ष 1986 के केस में पांच होमगार्ड जवानों को बरी कर दिया है।
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दो रुपये की वसूली करते एसपी ने पकड़ा था
कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में कैलाश शर्मा, ज्ञानी शंकर सिंह, रामबालक राय, युगेश महतो और रामरतन शर्मा को बरी किया है। वाहनों से अवैध वसूली के इस केस में 37 बाद रिहाई मिली। बेगूसराय के लाखो-लखमिनिया चेक पोस्ट पर गुजरने वाली ट्रक से तब होमगार्ड जवान कैलाश शर्मा, ज्ञानी शंकर सिंह, रामबालक राय, युगेश महतो और रामरतन शर्मा को वसूली करते पकड़ा था।ASI भरत पांडेय उन जवानों का नेतृत्व कर रहे थे। उनकी मौत आरोप गठन से पहले ही हो गई थी। इन पांच होमगार्ड जवानों पर मामला तब से चला आ रहा था।अभियोजन पक्ष से उन पर लगे आरोपों को पुष्ट करने के लिए एक भी गवाह की गवाही कोर्ट में नहीं कराई गई। अंतत: न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान साक्ष्य के नहीं रहने के कारण पांचों को बरी कर दिया।
354 रुपये 50 पैसे जवानों के पास से हुए थे बरामद
वर्ष 1986 में बेगूसराय के तत्कालीन एसपी ने चेकपोस्ट पर प्रतिनियुक्त जवानों को ट्रक से वसूली किए जाने की सूचना पर औचक निरीक्षण कर पकड़ा था। ट्रक के खलासी से दो रुपये लेते होमगार्ड जवान को पकड़ा गया था। जवानों की जेबों की तलाशी लेते समय 354 रुपये 50 पैसे गिनती कराई गई थी। इसके बाद मामले में कार्रवाई कर उन जवानों के नेतृत्व करने वाले एसआई भरत पांडेय को भी आरोपित बनाया गया था। भरत पांडेय की मौत ट्रायल शुरू होने से पहले ही हो गई थी।