बिहार: ग्रैजुएट बेटी को नौकरी नहीं मिली तो पटना में लगाया टी स्टॉल, सात दिनों में ही छा गयी प्रियंका गुप्ता
बिहार की राजधानी पटना की एक 'चायवाली' की सोशल मीडिया पर इन दिनों के खूब छायी हुई है। इकोनॉमिक्स में ग्रैजुएट प्रियंका गुप्ता को दो साल तक तलाश के बाद नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने पटना में चाय बेचना शुरू कर दिया है।
पटना। बिहार की राजधानी पटना की एक 'चायवाली' की सोशल मीडिया पर इन दिनों के खूब छायी हुई है। इकोनॉमिक्स में ग्रैजुएट प्रियंका गुप्ता को दो साल तक तलाश के बाद नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने पटना में चाय बेचना शुरू कर दिया है।
Bihar: Priyanka Gupta, an economics graduate sets up a tea stall near Women's College in Patna
— ANI (@ANI) April 19, 2022
I did my UG in 2019 but was unable to get a job in the last 2 yrs. I took inspiration from Prafull Billore. There are many chaiwallas, why can't there be a chaiwali?, she says pic.twitter.com/8jfgwX4vSK
पटना वीमेंस कॉलेज के पास स्टॉल लगाने वाली प्रियंका ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, ''मैंने 2019 में ग्रेजुएशन किया, लेकिन पिछले दो साल में नौकरी नहीं पा सकी। मैंने प्रफुल्ल बिलोर से प्रेरणा ली। चायवाले तो बहुत हैं, कोई चायवाली क्यों नहीं हो सकती। सोशल मीडिया पर प्रियंका की फोटो खूब वायरल हो रही हैं, जिसके बाद उनकी दुकान पर कस्टमर्स की संख्या भी बढ़ गई है। उल्लेखनीय है कि प्रफुल्ल ने एमबीए की पढ़ाई बीच में छोड़कर चाय बेचना शुरू कर दिया। अब उनका चार करोड़ रुपए का टर्नओवर है। एएनआई के ट्वीट पर प्रफुल्ल ने प्रियंका से संपर्क साधने को मदद मांगी।
पटना के सबसे वीआइपी इलाके में एक बेली रोड पर पटना वीमेंस कालेज के ठीक सामने 'ग्रेजुएट चाय वाला' की प्रियंका गुप्ता इंटरनेट पर कम वक्त में छा गई हैं। केवल सात दिनों में ही उनकी दुकान चल निकली है। और अब वे अपनी दुकान को नई जगह पर विस्तार देने की योजना बनाने में भी जुट गई हैं। जब उन्होंने यह दुकान खोलने का इरादा किया तो उनके पास कोई पूंजी भी नहीं थी।
वाराणसी से इकोनॉमिक्स में किया है ग्रेजुएट
प्रियंका ने वाराणसी से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया है। वह मूल रूप से पूर्णिया के बनमनखी की रहने वाली हैं। दो भाइयों से बड़ी 24 वर्षीय प्रियंका 2019 में वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से अर्थशास्त्र में स्नातक करने के बाद कई सालों तक प्रतियोगी परीक्षा के लिए तैयारी करती रहीं। परीक्षा में लगातार असफलता मिलने के बाद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपने गांव वापस जाने की बजाय पटना में चाय का ठेला लगा कर आत्मनिर्भर भारत का रास्ता चुना है।
प्रियंका ने बताया कि चाय बेचने का आइडिया 'एमबीए चाय वाला' प्रफुल्ल बिलोर का वीडियो देखने के बाद आया। वाराणसी से लौटने के बाद गांव से 30 जनवरी 2022 को पटना आईं। यहां आने के बाद जल्द से जल्द दुकान खोलने की ललक थी। शहर के कई चौक-चौराहों की चाय की दुकानों पर गईं और चाय बेचने का काम कैसे होता है, इसके बारे में जानकारी प्राप्त की। चाय की दुकान खोलने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। उन्होंने कई बैंकों से संपर्क किया, ताकि प्रधानमंत्री मुद्रा लोन स्कीम के तहत पैसे मिल जाए। उनका दावा है कि किसी बैंक ने कोई मदद नहीं की। इसके बाद दोस्तों से 30 हजार रुपये की मदद लेकर 11 अप्रैल को पटना वीमेंस कालेज के पास चाय की दुकान खोल दी। प्रियंका बताती हैं कि चाय के सबसे बड़ी ग्राहक वीमेंस कालेज की छात्राएं हैं, जो हमें सपोर्ट करने के साथ हौसला भी बढ़ाती हैं।
स्टाल पर लिखी पंचलाइन करती है आकर्षित
प्रियंका की दुकान पर कुल्हड़ चाय, पान चाय, मसाला चाय और चाकलेट चाय खास है। इसकी कीमत 15-20 रुपये के बीच है। कस्टमर्स को दुकान तक लाने के लिए प्रियंका ने स्टाल के आगे बैनर पर पंचलाइन 'पीना ही पड़ेगा', 'और सोच मत.. चालू कर दे बस', 'लोग क्या सोचेंगे अगर, ये भी हम सोचेंगे, तो फिर लोग क्या सोचेंगे' लिखा है। ये सभी पंचलाइन कस्टमर्स को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
कम पूंजी में बेहतर मुनाफा
प्रियंका बताती हैं कि पिता प्रभाकर प्रसाद गुप्ता उर्फ जानी की किराने की दुकान पूर्णिया जिले के बनमनखी में है। जब भी गांव जाने का अवसर मिलता है तो पिता के साथ दुकान पर जाती। काम को समझने का अवसर भी मिलता। बिजनेस का माहौल बचपन से ही घर में देखा था। चाय बेचने का कार्य कम लागत में अच्छा मुनाफा देता है। कालेज के सामने सुबह छह बजे से दोपहर 12 बजे तक दुकान लगाने के बाद प्रतिदिन 12-15 सौ रुपये कमा लेती हैं। उनका इरादा आने वाले दिनों में वे श्रीकृष्ण पुरी पार्क में शाम के समय चाय की दुकान लगाने का है।