बिहार: मगध यूनिवर्सिटी के वीसी के ठिकानों पर विजीलेंस रेड,70 लाख कैश मिला, करोड़ों की अवैध कमाई का खुलासा
बिहार की स्पेशल विजिलेंस यूनिट बुधवार को मगध यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. राजेंद्र प्रसाद के ठिकानों पर रेड की है। वीसी के गया स्थित सरकारी आवास, बोधगया के ऑफिस और गोरखपुर स्थित घर की सर्च की गयी है। गोरखपुर के घर से 70 लाख रुपये कैश, लगभग पांच लाख की विदेशी मुद्रा और 15 लाख रुपये के ज्वेलरी बरामद हुए हैं। जमीन के कई कागजात के साथ बैंक अकाउंट और लॉकर की भी जानकारी मिली है।
- एफआइआर दर्ज करने के बाद गया और गोरखपुर में चल रही छापामारी
पटना। बिहार की स्पेशल विजिलेंस यूनिट बुधवार को मगध यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. राजेंद्र प्रसाद के ठिकानों पर रेड की है। वीसी के गया स्थित सरकारी आवास, बोधगया के ऑफिस और गोरखपुर स्थित घर की सर्च की गयी है। गोरखपुर के घर से 70 लाख रुपये कैश, लगभग पांच लाख की विदेशी मुद्रा और 15 लाख रुपये के ज्वेलरी बरामद हुए हैं। जमीन के कई कागजात के साथ बैंक अकाउंट और लॉकर की भी जानकारी मिली है।
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स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने 16 नवंबर को मगध यूनिवर्सिटी के कुलपति राजेंद्र प्रसाद सिंह, इनके निजी सचिव सुबोध कुमार एक फार्म पूर्व ग्राफिक्स एंड ऑफसेट प्रिंटर के मालिक, ओम प्रकाश सिंह वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी आरा के फाइनेंशियल ऑफिसर व जितेंद्र कुमार रजिस्ट्रार पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी एवं अन्य के खिलाफ एफआइआर दर्ज किया। आरोप है कि मगध और वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी के वीसी रहते डॉ. राजेन्द्र प्रसाद पर नाजायज ढंग से यूनिवर्सिटी के उपयोग के लिए उत्तर पुस्तिका, पुस्तक और गार्ड की प्रतिनियुक्ति आदि के काम मनमाने ढंग से किए। उन्होंने बैगर किसी जरूरत और उपयोगिता के निविदा प्रक्रिया के विरुद्ध अपने चहेते आपूर्तिकर्ताओं से खरीदारी दिखाई।
एफआइआर दर्ज होने के बाद स्पेशल विजिलेंस कोर्ट ने सर्च वारंट जारी किया था। उस आलोक में ही सर्च व रेड की कार्रवाई की जा रही है। वीसी व अन्य के खिलाफ 120 बी, 420 आईपीसी, पीसी एक्ट 1988 व अन्य सेक्शन में केस दर्ज किया गया था। विजीलेंस अफसरों की टीम अभी भी आवास व ऑफिस में है। यूनिवर्सिटी में वीसी केऑफिस के बाहर के ग्रिल को बंद कर दिया गया था। टीम में शामिल अफसर एक-एक कर संचिका देख रहे हैं। कुछ अफसरों को बुलाकर पूछताछ किया गया।
गोरखपुर आवास से मिले जमीन के कागजात
एसवीयू को गोरखपुर स्थित आवास की तलाशी में करीब एक करोड़ की जमीन के कुछ कागजात मिले हैं। बताया जाता है कि ये जमीन हाल के वर्षों में ही खरीदी गई है। इसके अलावा कई बैंक एकाउंट और कुछ लॉकर का भी पता चला है जिसे फ्रीज कर दिया गया है।शेयर में भी उन्होंने निवेश कर रखा है। गोरखपुर में तारामंडल (आजाद नगर पूर्वी) स्थित मकान में राजेंद्र प्रसाद के पुत्र अशोक प्रसाद अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहते हैं। विदेशी मुद्रा की बरामदगी को लेकर एसवीयू जल्द ही कस्टम विभाग को सूचित करेगी।
वीसी ने तीन साल में की 30 करोड़ की काली कमाई
मगध यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ. राजेंद्र प्रसाद अपने लोगों के साथ मिलकर बड़े स्तर पर काली कमाई की। इसके लिए कुलपति ने फर्जी डॉक्युमेंट्स बनाये, जो लोग ड्यूटी करते ही नहीं थे, उनके नाम पर अपने लोगों से फर्जी सिग्नेचर कराये। फर्जीवाड़ा कर सरकारी राशि की निकासी की। इस काले कारनामे के जरिए वीसी ने पिछले तीन सालों में 30 करोड़ की काली कमाई की। बिहार सरकार को इतने की चपत लगा दी। यह खेल सिर्फ बोध गया स्थित मगध यूनिवर्सिटी में नहीं हुआ है। यहां से पहले डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद भोजपुर जिला स्थित वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी के भी वीसी रहे हैं। दोनों ही यूनिवर्सिटी से उन्होंने अवैध तरीके से खूब कमाई की है।
सिक्योरिटी गार्ड की बहाली और सैलरी के नाम पर घपला
आरोप है कि वीसी ने दोनों यूनिवर्सिटी में एग्जाम के क्वेश्चन पेपर, उसकी कॉपी के साथ-साथ सुरक्षा के नाम पर बहाल किये गये सिक्योरिटी गार्ड की संख्या व उनकी सैलरी को लेकर बड़ी धांधली की है।अपने लोगों के साथ मिलकर फर्जी बिल बनवाकर उसे पास करवाया। सिक्योरिटी गार्ड की कुल संख्या 47 है। मगर, कागज पर इनकी संख्या बढ़ाकर 86 दिखाई गई। बढ़े सिक्योरिटी गार्ड के फर्जी नाम और उनकी संख्या को आधार बना सैलरी के रूप में हर महीने मोटी रकम की निकासी हुई।
एक करोड़ की मिली चल-अचल संपत्ति
वीसी के ठिकानों पर रेड के दौरान सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि जिन फाइलों को स्पेशल विजिलेंस यूनिट के अफसर बोध स्थित यूनिवर्सिटी के ऑफिस में खोज रहे थे, वो सारी फाइलें वीसी के गोरखपुर स्थित घर पर मिली।डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद एक करोड़ रुपये से अधिक के चल-अचल संपत्ति के मालिक निकले हैं। इनके घर से कई और डॉक्युमेंट्स हाथ लगे हैं।काले कारनामे में वीसी के PA सुबोध कुमार, आरा स्थित वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी के फाइनेंशियल ऑफिसर ओम प्रकाश, पटना स्थित पाटलिपुत्रा यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार जितेंद्र कुमार और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मेसर्स पूर्वा ग्राफिक्स एंड ऑफसेट व मेसर्स एक्सलिकट सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मालिक शामिल हैं।
रिश्तेदारों के फर्म से दिखाई खरीदारी
एसवीयू के अनुसार लखनऊ के जिन फर्म से खरीदारी दिखाई गई है वह वीसीके रिश्तेदारों से जुड़ी हैं। इस संबंध में भी जांच की जा रही है। जांच के दौरान जानकारी मिली है कि जिन सामानों की खरीदारी दिखाई गई है उनकी न तो मांग थी ना ही खरीद की जरूरत। बताया जाता है कि उन्होंने करोड़ों की खरीद यूनिवर्सिटी के नाम पर की लेकिन न तो जेम पोर्टल का इस्तेमाल किया ना ही राज्य सरकार द्वारा तय नियमों का पालन किया गया।
कई शैक्षिक उपलब्धियां हैं प्रो. राजेंद्र के नाम
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के नाम कई शैक्षिक उपलब्धियां दर्ज हैं। वह पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी और इलाहाबाद स्टेट यूनिवर्सिटी प्रयागराज के वीसी भी रह चुके हैं। वह रक्षा अध्ययन विषय के आचार्य हैं।वर्ष 2019 में उन्हें मगध यूनिवर्सिटी का वीसीबनाया गया था। इससे पहले वह इलाहाबाद राज्य यूनिवर्सिटी वीसीभी रह चुके हैं। इससे पहले राज्य यूनिवर्सिटी के ओएसडी थे। इससे पहले वे दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर रह चुके हैं। राजेन्द्र प्रसाद यादव गोरखपुर यूनिवर्सिटी में चार बार चीफ प्रॉक्टर रहे हैं। इसके अलावा वे डीन, रजिस्ट्रार एवं वित्त अधिकारी भी रह चुके हैं। कई सारे शैक्षिक एवं अकादमिक पदों पर कार्य कर चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि यह रेड फरवरी 2021 में दर्ज एक मामले के तहत की जा रही है। एबीवीपी ओर से कंपलेन की गई थी। विजीलेंस की इस कार्रवाई से मगध यूनिवर्सिटी के अफसरों एवं कर्मियों में हड़कंप मचा है। इससे पहले भी मगध विवि यूनिवर्सिटी रहे प्रो अरुण कुमार सहित कई वीसी, अफसरों व कर्मियों के खिलाफ विजीलेंस की कार्रवाई हो चुकी है। उल्लेखनीय है कि वीसी मंगलवार की देर रात ही अवकाश के बाद गया पहुंचे थे। विजीलेंस टीम बुधवार की सुबह लगभग सात बजे से उनके आवास पर दस्तक दे दी। उसके बाद वीसी आवास से एक कर्मी को लेकर यूनिवर्सिटी ऑफिस पहुंची थी।