Bihar: 800 साल बाद जीवंत हुआ नालंदा यूनिवर्सिटी
पूरी दुनिया मेंशिक्षा का प्रमुख केंद्र रहा नालंदा यूनिवर्सिटी लगभग 800 सालों के बाद फिर से जीवंत हो उठा है। 17 देशों के सहयोग से भारत सरकार ने राजगीर के पास नालंदा यूनिवर्सिटी का नया कैंपस बनाया। नये कैंपस का पीएम नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकार्पण किया।
यह पैंस ऐतिहासिक नगरी राजगीर की पंच पहाड़ियों में से एक वैभारगिरि की तलहटी में बनाया गया है। लगभग 455 एकड़ में फैलेनए कैंपस में 1750 करोड़ रुपये की लागत से नये भवनों और अन्य सुविधाओं का निर्माण किया गया है। अभी इस कैंपस का काम चल रहा है। नालंदा यूनिवर्सिटी के कैंपस में 24 इमारतें हैं।
प्राकृतिक छटाओं और पानी से गिरा है नया कैंपस
प्रकृति की गोद में बसा नालंदा यूनिवर्सिटी के नये कैंपस का नजारा बहुत मनमोहक है। इस कैंपस के एक चौथाई हिस्से में पानी है। विभिन्न भवनों के आसपास जलाशय बनाये गये हैं। जो बिहार की पारंपरिक आहर पईन जल संयन प्रणाली पर आधारित हैं।इस कैंपस में आधुनिकता के साथ परंपरा का भी संगम देखने को मिलता है।
वर्ष 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की पहल पर इसे एक नई यूनिवर्सिटी को बनाने के लिए एक बिहार असेंबली में विधेयक पास हुआ।नई यूनिवर्सिटी 2014 को अस्थाई रूप से 14 स्टूडेंट्स के साथ संचालित होना शुरू हुई। वर्ष 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राजगीर के पिलखी विलेज में नालंदा यूनिवर्सिटी के स्थाई कैंपस की आधारशिला रखी थी। नये कैंपस का निर्माण कार्य साल 2017 से प्रारंभ किया गया और 19 जून 2024 को इसका उद्घाटन हुआ।
455 एकड़ में फैले कैंपस की खासियत
लगभग 455 एकड़ के दायरे में फैला यह कैंपस विश्व का सबसे बड़ा नेट जीरो ग्रीन कैंपस माना जाता है। इसकी इमारतें कुछ इस तकनीक से बनाई गई हैं, जो गर्मी में ठंडी और ठंड के दिनों में गर्म बनी रहती हैं। नये कैंपस में एक हजार 750 करोड़ रुपये की धनराशि से नये भवनों और अन्य सुविधाओं का निर्माण कराया गया। नालंदा यूनिवर्सिटी की दो एकेडमिक बिल्डिंग्स हैं। इनमें 40 क्लास रूम्स बनाये गये हैं। 300 सीटों वाला एक एक भव्य आडिटोरियम बनाया गया है।
नालंदा यूनिवर्सिटी के नये कैंपस में विशाल लाइब्रेरी, खुद का पावर प्लांट भी है। इस यूनिवर्सिटी में 26 विभिन्न देशों के विद्यार्थी स्टडी कर रहे हैं। पोस्ट ग्रेजुएशन, डॉक्टरेट रिसर्च कोर्स, शॉर्ट सर्टिफिकेट कोर्स, इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के लिए 137 स्कॉलरशिप खास विशेषता है।
नालंदा यूनिवर्सिटी का नया कैंपस प्राचीन खंडहरों के समीप ही है। 800 से ज्यादा वर्षों तक खंडहर में रहने वाली नांलदा यूनिवर्सिटी कभी भारत का वैभव हुआ करती थी। यहां एक दुनियाभर के करीब 10 हजार स्टूडेंट विद्या अध्ययन के लिए आते थे।नालंदा यूनिवर्सिटी की स्थापना गुप्त वंश में हुई थी। इस वंश के शासक कुमार गुप्त ने 425 ईसवी से 470 ईसवी के बीच इसकी स्थापन की थी। गुप्तवंश में भारत की समृद्धि और ख्याति दुनिया भर में फैली हुई थी और नालंदा विवि भी वैश्विक शिक्षा का अहम केंद्र बन गया था।
गुप्त वंश के पतन के बाद भी भारत के हर्षवर्धन के काल में यह यूनिवर्सिटी फलता फूलता रहा। इस दौरान लगभग छह शताब्दियों तक इस यूनिवर्सिटी की ख्याति का लोहा दुनिया ने माना। प्राचीन नालंदी यूनिवर्सिटी इतना भव्य था कि यहां पूर्व में चीन, जापान, कोरिया, तिब्बत जैसे देशों के स्टूडेंट अध्ययन के लिए आते थे। वहीं मिडिल ईस्ट से ईरान जैसे देशों के स्टूडेंट भी यहां पढ़ने आए। प्राचीन यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी बहुत समृद्ध थी।
बताया जाता है कि यहां तीन लाख से भी ज्यादा पुस्तकें सहेजकर रखी गई थीं। यही नहीं 300 रूम और सात बड़े सभागार भी इस यूनिवर्सिटी की शोभा बढ़ाते थे।जब 13वीं सदी में खिलजी शासकों ने भारत पर आक्रमण किया और कई ऐतिहासिक धरोहरों को नुकसान पहुंचाया। इसकी जद में नालंदा यूनिवर्सिटी भी आया।
तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने नालंदा यूनिवर्सिटी पर जोरदार हमला किया। इसे बर्बाद कर दिया। कई बौद्ध भिक्षुओं का कत्लेआम किया।आक्रमणकारियों ने इस यूनिवर्सिटी को आग के हवाले कर दिया। चूंकि इस यूनिवर्सिटी में लाखों किताबें थीं, इसलिए नालंदा यूनिवर्सिटी तीन महीने तक धू धू करके जलता रहा, आग की लपटों में इस यूनिवर्सिटी के ही नहीं, भारत के वैभव को भी जला डाला था।