Chaitra Navratri 2024: नौ दिन का होगा वासंतिक नवरात्र, नौ अप्रैल को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
प्रत्येक वर्ष चैत्र माह की अमावस्या के अगले दिन से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है। नवरात्र चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि नौ अप्रैल से शुरू हो रहे हैं। प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ आठ अप्रैल को रात 11:51 बजे से होगा। उदयातिथि अनुसार नौ अप्रैल को नवरात्रा प्रांरंभ होगा।
- घोड़े पर आयेंगी और हाथी पर सवार होकर जायेंगी माता रानी दशकों बाद चैत्र नवरात्र पर बन रहे हैं ये तीन शुभ योग
- नवरात्र नौ अप्रैल से, 13 को समाप्त होंगे खरमास
पटना। प्रत्येक वर्ष चैत्र माह की अमावस्या के अगले दिन से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है। नवरात्र चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि नौ अप्रैल से शुरू हो रहे हैं। प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ आठ अप्रैल को रात 11:51 बजे से होगा। उदयातिथि अनुसार नौ अप्रैल को नवरात्रा प्रांरंभ होगा।
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शुभ मुहूर्त
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आठ अप्रैल को देर रात 11 बजकर 50 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी आठ बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि मान होने के चलते नौ अप्रैल से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होगी। इस दिन घटस्थापना हेतु शुभ मुहूर्त सुबह छह बजकर दो मिनट से लेकर 10 बजकर 16 मिनट तक है। वहीं, अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक है। प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ आठ अप्रैल को रात 11:51 बजे से होगा। अगले दिन नौ अप्रैल को रात 8:29 बजे तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि प्रतिपदा होने के कारण नौ अप्रैल से ही चैत्र नवरात्र प्रारंभ होंगी।
घटस्थापना का मुहूर्त
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः 6:24 बजे से लेकर 10:28 बजे तक रहेगा। इस दिन अभिजीत मुहूर्त में अमृतसिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग का अद्भुत योग का निर्माण भी हो रहा है। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:03 बजे से शुरू होगा जो कि 12:54 बजे तक रहेगा। अमृतसिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग नौ अप्रैल को प्रातः 07:32 बजे से लेकर पूरे दिन रहेगा। यह घट नौ दिन तक स्थापित रहता है।
16 को अष्टमी व्रत, 17 को नवरात्र हवन
नवरात्र तो वैसे भी समस्त शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त माना जाता है, लेकिन विविध योगों के संयोग से यह और भी विशिष्ट माना जा रहा है। नौ अप्रैल से हिंदू नवसंवत्सर शुरू हो रहा है। इसी दिन से वासंतिक नवरात्र भी शुरू हो रहा है। शुभ योगों के साथ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा में प्रात:काल अशुभ योग वैधृति मिल रहा है। अत: घट स्थापन अभिजित मुहूर्त में किया जाएगा जो दिन के 11:34 बजे से 12 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। शास्त्र में वैधृति योग में घट स्थापन का निषेध बताया गया है। कहा गया है-'वैधृति पुत्रनाशिनी'। अर्थात वैधृति में किया गया घट स्थापन पुत्र नाशक होता है।
15-16 अप्रैल की मध्य रात्रि अष्टमी योग से महानिशा व बलिदान
महानिशापूजन सप्तमी युक्त अष्टमी की मध्य रात्रि (निशिथ व्यापिनी) में किया जाता है। अत: 15-16 अप्रैल की मध्य रात्रि अष्टमी योग से महानिशा व बलिदान आदि कार्य होंगे। महाअष्टमी व्रत 16 अप्रैल को किया जायेगा। नवमी तिथि में 17 अप्रैल को रामनवमी व्रत रखा जायेगा। नवरात्र का हवन-अनुष्ठान होगा। चढ़ती-उतरती यानी पहले व अंतिम दिन व्रत रखने वाले महाष्टमी व्रत का पारण नवमी तिथि में 17 अप्रैल को करेंगे। नवरात्र व्रत का पारण 18 अप्रैल को होगा। चैत्र नवरात्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-उपासना की जाती है। इस वर्ष चैत्र नवरात्र नौ अप्रैल से लेकर 17 अप्रैल तक है। धार्मिक मान्यता है कि ममतामयी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है।
चैत्र नवरात्र पर एक साथ तीन शुभ योग
ज्योतिषियों के अनुसार दशकों बाद चैत्र नवरात्र पर एक साथ तीन शुभ योग बन रहे हैं। कहा जा रहा है कि चैत्र नवरात्र के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इन दोनों योग का निर्माण सुबह सात बजकर 32 मिनट से लेकर अगले दिन 10 अप्रैल को सुबह पांच बजकर छह मिनट तक है। चैत्र नवरात्र पर अश्विनी नक्षत्र का भी योग बन रहा है। अश्विनी नक्षत्र सुबह 07 बजकर 33 मिनट से है, जो अगले दिन 10 अप्रैल को सुबह पांच बजकर छह मिनट तक है। इन योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी।
मां दुर्गा के आगमन और प्रस्थान के दौरान वाहन का विशेष महत्व
मां दुर्गा घोड़े पर आयेंगी और हाथी पर सवार होकर जायेंगी। नवरात्र में मां दुर्गा के आगमन और प्रस्थान के दौरान वाहन का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि मां दुर्गा के घोड़े पर सवार होकर आने से प्राकृतिक आपदा की आशंका प्रबल होती है। साथ ही सत्ता पक्ष में भी बदलाव देखने को मिलता है। नवरात्र का समापन 17 अप्रैल दिन बुधवार को होने से माता के प्रस्थान की सवारी गज (हाथी) होगी। माता का हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करना शुभ संकेत होता है। यह अच्छी बारिश, खुशहाली और तरक्की का संकेत देता है।
काल नाम के इस संवत्सर के राजा मंगल और मंत्री शनिदेव होने से यह वर्ष बहुत ही उथल-पुथल वाला रहेगा। शासन में कड़ा अनुशासन देखने को मिलेगा। वर्ष भर में पड़ने वाले चार नवरात्रों में नवरात्र चैत्र महीने में मनाई जातीं हैं। चैत्र नवरात्र से ही नव संवत्सर का आरंभ भी होता है। इस बार चैत्र नवरात्र की शुरुआत खरमास में हो रही है। 13 अप्रैल को खरमास समाप्त होंगे।
कलश स्थापना
शुभ योगों के साथ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा में प्रात:काल अशुभ योग वैधृति मिल रहा है। अत: घट स्थापन अभिजित मुहूर्त में किया जाएगा जो दिन के 11:34 बजे से 12 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। शास्त्र में वैधृति योग में घट स्थापन का निषेध बताया गया है। कहा गया है-'वैधृति पुत्रनाशिनी'। अर्थात वैधृति में किया गया घट स्थापन पुत्र नाशक होता है।
16 को अष्टमी व्रत, 17 को नवरात्र हवन
महानिशापूजन सप्तमी युक्त अष्टमी की मध्य रात्रि (निशिथ व्यापिनी) में किया जाता है। अत: 15-16 अप्रैल की मध्य रात्रि अष्टमी योग से महानिशा व बलिदान आदि कार्य होंगे। महाअष्टमी व्रत 16 अप्रैल को किया जायेगा। नवमी तिथि में 17 अप्रैल को रामनवमी व्रत रखा जायेगा। नवरात्र का हवन-अनुष्ठान होगा। चढ़ती-उतरती यानी पहले व अंतिम दिन व्रत रखने वाले महाष्टमी व्रत का पारण नवमी तिथि में 17 अप्रैल को करेंगे। नवरात्र व्रत का पारण 18 अप्रैल को होगा।