धनबाद: पंचतत्व में विलीन हुए कामरेड एसके बक्शी, मजदूर लीडर की अंतिम यात्रा में उमड़े लोग
बिहार कोलियरी कामगार यूनियन के अध्यक्ष व सीनीयर लेबर लीडर एसके बक्शी रविवार की शाम पंचतत्व में विलीन हो गये। रीति-रिवाज से साढ़े पांच बजे शव का अंतिम संस्कार किया गया। मुखाग्नि बड़े सुपुत्र जय बख्शी ने दी।
धनबाद। बिहार कोलियरी कामगार यूनियन के अध्यक्ष व सीनीयर लेबर लीडर एसके बक्शी रविवार की शाम पंचतत्व में विलीन हो गये। रीति-रिवाज से साढ़े पांच बजे शव का अंतिम संस्कार किया गया। मुखाग्नि बड़े सुपुत्र जय बख्शी ने दी।
इससे पहले उनका पार्थिव शरीर शाम साढ़े चार बजे पार्टी के लाल झंडे में लिपटा व लाल सलाम के नारों से गूंजता हुआ मोहलबनी मुक्तिधाम दामोदर नदी घाट पहुंचा। आखिरी सलाम देने के लिए बीसीकेयू, मासस, माकपा के दर्जनों लोग शामिल हुए। बक्शी दा के निधन पर उनके अमलापाड़ा झरिया आवास के बाहर मजदूरों की भीड़ उमड़ पड़ी। मजदूरों ने रोते हुए मजदूर मसीहा को श्रद्धांजलि दी। बड़ी संख्या में यूनियन के अनेक लोग उनकी शव यात्रा में शामिल हुए। माकपा के राज्य सचिव गोपीकांत बक्शी ने उनके शव पर पार्टी का झंडा ओढ़ाकर सम्मान दिया। घर में पत्नी संध्या बक्शी व परिवार के लोगों की ओर से अंतिम विदाई देने के बाद दिन के तीन बजे शव यात्रा निकली। लक्षमिनिया मोड़, सब्जी पट्टी, बाटा मोड़, मेन रोड चार नंबर इंदिरा चौक तक सैकड़ों लोग पैदल शव यात्रा में शामिल हुए। इसके बाद वाहन से सभी मोहलबनी मुक्तिधाम को प्रस्थान किए। शव यात्रा व अंतिम संस्कार में एक्स एमएलए आनंद महतो, सुरेश गुप्ता, मानस चटर्जी, शिवबालक पासवान, हलधर महतो, हरि प्रसाद पप्पू, सबुर गोराई, शिव कुमार सिंह, कंचन महतो, एएम पाल, सुंदर लाल महतो, दामाद शुभा मुखर्जी, सुंदरलाल महतो, योगेंद्र महतो, जितेंद्र मिश्रा, अरुण यादव, सुरेंद्र कुमार, अखिलेश साहू, निताई महतो, सबूर गोराई, चंदन महतो, अनूप साव, सेल के अधिकारी अजय कुमार, सुरेश प्रसाद गुप्ता, संजय माथुर, समीर मंडल, चंदन घोष, अमरजीत पासवान, बदरुद्दीन सिद्दीकी, मानस चटर्जी, कृष्णबल्लभ पासवान, रामप्रवेश आदि उपस्थित थे।
सेल में चासनाला के ग्रामीणों को दिलाया था नियोजन: सुंदरलाल
बीसीकेयू सेंट्रल कमेटी के सेकरेटरी सुंदरलाल महतो ने एसके बक्शी ने मजदूर आंदोलन के साथ चासनाला, कांड्रा गांव के ग्रामीणों की आवाज बन सेल प्रबंधन से उनका हक दिलाया था। चासनाला में वर्ष 1975 में हृदयविदारक जलप्लावन खान दुर्घटना हुई थी। सैकड़ों मजदूरों की मौत हो गई थी।दुर्घटना के बाद माइंस पूरी तरह से बंद हो गया था। मैनेजमेंट माइंस को चालू करने के पक्ष में नहीं था। एसके बख्शी ने ही चासनाला व कांड्रा के ग्रामीणों के सहयोग व मैनेजमेंट से बात कर ईस्ट व वेस्ट ओपन कास्ट क्वायरी को चालू कराया था। इसके अलावा मैनेमेंट पर दबाव बनाकर नियोजन दिलाया था।1975 में कोयलांचल में गुंडागर्दी के राज का खुलकर विरोध किया था। 18 जनवरी 1978 को माफिया व ग्रामीणों के बीच लड़ाई में सुरेंद्र महतो शहीद हो गये थे। उनके निधन से यहां के लोगों को अपूरणीय क्षति हुई है।