धनबाद: मुगमा कोक ओवन प्लांट में जिला प्रशासन की टीम का रेड, स्टॉक से 5211 टन अधिक मिला कोयला
धनबाद जिला प्रशासन की टीम ने मंगलवार को SDM के नेतृत्व में चिरकुंडा के एग्यारकुण्ड स्थित मुगमा कोक ओवन प्राइवेट लिमिटेड में दबिश दी। स्टॉक की मापी में कोयले में गड़बड़ी पायी गयी। संचालक ने पूरे स्टॉक का माइनिंग चालान नहीं दिखा पाया।
धनबाद। जिला प्रशासन की टीम ने मंगलवार को SDM प्रेम कुमार तिवारी के नेतृत्व में चिरकुंडा के एग्यारकुंड स्थित मुगमा कोक ओवन प्राइवेट लिमिटेड में दबिश दी। स्टॉक से 5211 टन अधिक कोयला मिला। एक ही लाइसेंस पर दो स्थानों पर कोयला भंडारण किया जा रहा था। संचालक द्वारा कोयला का ई-चालान भी नहीं दिखाया गया। मामले में माइनिंग अफसर मिहिर सलकर के कंपलेन पर प्लांट संचालक जलज चौधरी व विमल अग्रवाल के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गयी है।
कोल डिपो में बिना डीलर रजिस्ट्रेशन के 238 टन कोयला
एसडीएम प्रेम कुमार तिवारी को गुप्त सूचना मिली थी कि उक्त प्लांट में गलत ढंग से कोयला का स्टॉक और खरीद-बिक्री की जा रही है। टीम द्वारा कोयले की मापी में स्टॉक 2289 टन के स्थान पर 5211 टन कोयला अधिक पाया गया। प्सेलांट पांच सौ मीटर की दूरी पर स्थित कोल डिपो बिना डीलर रजिस्ट्रेशन के लगभग 238 टन कोयला मिला। कंपनी द्वारा अवैध रूप से कोयला खरीद-बिक्री का खुलासा हुआ। मामले में उद्योग संचालक जलज चौधरी व विमल अग्रवाल के खिलाफ अवैध रूप से कोयला-स्लरी खनिज का बिना डीलर निबंधन के भंडारण करने, उद्योग में भंडारण पंजी व मासिक विवरण में अंकित मात्रा से काफी अधिक कोयला भंडारण करने, कंपनी द्वारा अवैध रूप से कोयला खरीद-बिक्री करने, एक डीलर अनुज्ञप्ति पर दो जगह पर कोयला भंडारण करने, खनन राजस्व की क्षति एमएम (डीआर) एक्ट के तहत 1957 की धारा 4/21, झारखंड मिनरल ऑफ माइनिंग, ट्रांसपोर्टिंग, स्टोरेज रूल 2017 के नियम 7/9/3 और भादवि के तहत एफआइआर दर्ज किया गया है।
विदेशी कोयला लेनेवालों के पास झारखंड में लागू परिवहन व भंडारण चालान नहीं
.बताया जाता है कि हार्ड कोक के लिए विदेशी कोयला लेनेवालों के पास झारखंड में लागू परिवहन व भंडारण चालान नहीं रहता है। ऐसे में यह कोयला इलिगल हो रहा है। उक्त कोयले का सेल्स टैक्स पेड, इनवॉइस व वे चालान होता है। लेकिन माइनिंग कम्पनी जो फॉर्म D देती है वह देना संभव नहीं है। कोयला विदेशी माइनिंग कम्पनी का रहता है। ट्रेडर बंगाल और गुजरात का। कानून झारखंड का है।हार्ड कोक प्लांटों के पास फॉर्म D सिर्फ BCCL, ECL, CCL द्वारा प्रदत्त ही रहता है। जबकि धनबाद के सभी प्लांट मालिक US, रूस और ऑस्ट्रेलिया के कोयले का इस्तेमाल करते हैं। इसके बिना हार्ड कोक उद्योग का अस्तित्व भी बचना मुश्किल है।धनबाद के प्लांटों में चंद माह में दो लाख टन विदेशी कोयला इस्तेमाल हुआ है। इस कोयले का फॉर्म D कोई भी प्लांट मालिक नहीं दिखा सकते हैं।