Dhanbad:एक्स MLA संजीव सिंह ने मांगी इच्छा मृत्यु, कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा- घुट-घुट कर जीने से मौत बेहतर
बीजेपी के झरिया के एक्स MLA संजीव सिंह ने इच्छा मृत्यु मांगी है। एक्स डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की मर्डर के मामले मे बीते छह वर्षों से जेल में बंद संजीव सिंह की ओर से एडवोकेट ने कोर्ट में अरजी दी है। कोर्ट में आवेदन पर सुनवाई पूरी हो गयी है। कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है।
धनबाद। बीजेपी के झरिया के एक्स MLA संजीव सिंह ने इच्छा मृत्यु मांगी है। एक्स डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की मर्डर के मामले मे पिछले छह वर्षों से जेल में बंद संजीव सिंह की ओर से एडवोकेट ने कोर्ट में अरजी दी है। कोर्ट में आवेदन पर सुनवाई पूरी हो गयी है। कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है।
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एक्स एमएलए अपनी बीमारी से तंग आकर मंगलवार को संजीव सिंह ने अदालत में आवेदन दाखिल कर इच्छामृत्यु देने की गुहार लगाई है। कोट को दिये गये आवेदन में संजीव के एडवोकेट मो. जावेद ने कहा है कि बेहतर इलाज उनका संवैधानिक अधिकार था, परंतु उन्हें बेहतर इलाज की सुविधा नहीं दी जा रही है। वह 14 दिन से इस एसएनएमसीएच में जिंदगी-मौत से लड़ रहे हैं। लिहाजा वह घुट-घुट कर जीना नहीं चाहते उन्हें इच्छा मौत दे दी जाए।
विचाराधीन बंदी के मौलिक अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता
एडवोकेट मो जावेद ने कोर्ट को बताया कि विचाराधीन बंदी के मौलिक अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गरिमा के साथ मरने का मेरा मौलिक अधिकार है। उन्होंने वर्ष 2018 के सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीश के खंडपीठ द्वारा पारित निर्णय कॉमन कौज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया का हवाला देते हुए कहा कि गरिमा के साथ जीवित रहना और गरिमा के साथ मरना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मनुष्य का मौलिक अधिकार है। संजीव सिंह इलाज के अभाव में एसएनएमएमसीएच हॉस्पिटल धनबाद में जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार की मानवता मर गयी है। कोर्ट में राज्य सरकार इनका इलाज का विरोध कर रही है। सरकारी अस्पताल में बेड पर इलाज के अभाव में तड़प कर मरने से अच्छा है कि गरिमा के साथ मरे।
मरणोपरांत उनका एक- एक अंग जरूरतमंद लोगों को दान देंगे
एडवोकेट जावेद ने यह भी कहा कि संजीव सिंह मरणोपरांत उनका एक- एक अंग जरूरतमंद लोगों को दान देंगे। दिनोंदिन संजीव का स्वास्थ्य गिर रहा है। वह 14 दिनों से बिना अन्न जल के है। वे एक दर्जन रोग से ग्रसित हैं। एसएनएमएमसी एच धनबाद में यूएसजी और एमआरआइ की कोई व्यवस्था नहीं है। संजीव सिंह बार-बार कोर्ट से अपने निजी खर्च पर प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज कराने की अपील कर रहे हैं, फिर भी सरकार उनका इलाज रिम्स रांची में कराने के लिए क्यों उत्सुक हैं। एडवोकेट ने बताया कि संजीव सिंह इतना कमजोर हो गये हैं की वह धनबाद से रांची की दूरी नही तय कर पायेंगे।
जेल में 10 जुलाई को कुर्सी से गिरे थे संजीव
धनबाद जेल में बंद एक्स एमएलए संजीव सिंह 10 जुलाई को अपने सेल में कुर्सी से गिरकर घायल हो गये थे। इलाज के लिए उन्हें जेल से एसएनएमएमसीएच में एडमिट कराया गया। अभी सीसीयू वार्ड में एडमिट है। इसके बाद एक्स एमएलए की वाइफ सह बीजेपी लीडर रागिनी सिंह ने कोर्ट में अर्जी देकर उन्हें प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज करने के लिए आवेदन दिया था। वहीं इस मामला को लेकर अस्पताल प्रशासन ने उन्हें रिम्स में इलाज के लिए रेफर किया था।
सुपर मल्टी स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल भेजे जाने का किया गया था आवेदन
संजीव के बेहतर इलाज के लिए सोमवार को सुपर मल्टी स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल भेजे जाने के आवेदन पर कोर्ट में सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान जेल प्रशासन ने संजीव सिंह की स्वास्थ्य संबंधी रिपोर्ट सौंपी थी। जिस पर कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा है।इसके पूर्व 22 जुलाई को कोर्ट में एसएनएमसीएच एवं मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी धनबाद के ऑफिस द्वारा रिपोर्ट कोर्ट में पेश किया गया था। एसएनएमसीएच ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पूर्व में संजीव सिंह को बेहतर इलाज के लिए रिम्स रांची भेजे जाने की अनुशंसा की गई थी।
लगतार बिगड़ती जा रही है संजीव की हालत
वहीं मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी के कार्यालय के रिपोर्ट में बताया गया था कि संजीव सिंह की जो बीमारी है उसका इलाज धनबाद के एशियन जलाल व अशर्फी हॉस्पिटल में उपलब्ध है। इस पर दलिल देते हुए संजीव सिंह के एडवोकेट मोहम्मद जावेद ने कहा था कि संजीव सिंह की हालत हॉस्पिटल में दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है यदि समय पर ठीक ढंग से इलाज की सुविधा नहीं मिली तो किसी अप्रिय घटना से इनकार नहीं किया जा सकता। संजीव सिंह का कई दिनों से यूरिन डिस्चार्ज नहीं हो रहा है,उनका बीपी बढ़ा हुआ है, उनकी मानसिक स्थिति लगातार बिगड़ रही है। वह सभी बात को भूल जा रहे हैं ऐसी स्थिति में उन्हें अविलंब उनके खर्चे पर ही सही सुपर मल्टी स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल में भेजा जाना चाहिए।