धनबाद: सेल चासनाला कोलियरी डिवीजन में साला-जीजा की जोड़ी पावरफुल,सेंटिंग-गेटिंग से हो रहा है खेल
सेल की चासनाला कोलियरी डिवीजवन में साला व जीजा की जोड़ी अजकल ज्पादा पावरफुल हैं। साला व जीजा पावर व पहुंच का कोलियरी के अफसर ही नहीं कई यूनियन लीडर भी लोहा मनाते हैं। डिपार्टमेंट पॉलिटिक्स कर विवाद कराते हैं फिर सलटा सीनीयर अफसरों की नजर में करीबी बन जाते हैं। साला-जीजा की जोड़ी से अफसर व हो स्टाफ सभी खौफ खाते हैं। दोनों अलग-अलग डिपार्टमेंट के इंचार्ज हैं। अभी दोनों की सेटिंग-गेटिंग से बड़ा खेल हो रहा है। पुलिस की मदद से कंपनी में रात को कोयला चोरी भी हो रहा है।
- पुलिस की मिलीभगत से कंपनी की कोयला चोरी
धनबाद। सेल की चासनाला कोलियरी डिवीजवन में साला व जीजा की जोड़ी अजकल ज्पादा पावरफुल हैं। साला व जीजा पावर व पहुंच का कोलियरी के अफसर ही नहीं कई यूनियन लीडर भी लोहा मनाते हैं। डिपार्टमेंट पॉलिटिक्स कर विवाद कराते हैं फिर सलटा सीनीयर अफसरों की नजर में करीबी बन जाते हैं। साला-जीजा की जोड़ी से अफसर व हो स्टाफ सभी खौफ खाते हैं। दोनों अलग-अलग डिपार्टमेंट के इंचार्ज हैं। अभी दोनों की सेटिंग-गेटिंग से बड़ा खेल हो रहा है। पुलिस की मदद से कंपनी में रात को कोयला चोरी भी हो रहा है।
ED साहब की कृपा पर जीजा का हो गया कल्याण
जीजा साहब चासनाला के बदर कर कोल्हान भेज दिये गये थे। साला के बिना मन नहीं लगा पैरवी व जुगाड़ भिड़ाकर डिप्टेशन में फिर कोलियरी डिवीजन चासनाला चले आये। डिप्टेशन खत्म होने के बाद अपने साला पिस्टल वाले साहब की मदद से ED तक पहुंच गये हैं। ED साहब कंपनी की सेवा में चंद माह के मेहमान थे, पूरी तरह जुगड़ा फिट कर दिये हैं। साले साहब ने जीजा का डिप्टेशन एक्सटेंशन करवाकर चासनाला में रोकवा लिया। ED साहब को खुश कर दिया गया है। नोटसीट के एवज में ..... दे दिया गया है। अब फिक्स हो गया है कि साला-जीजा की जोड़ी नहीं टूटेगी। ED साहब जाते-जाते नोटसीट बढ़ाकर जीजा साहब को चासनाला में रुकने का प्रबंध कर दिया।
सीवीसी व सीबीआइ तक कंपलेन की तैयारी
सेल के अफसर अब मामले में विजीलेंस व सीबीआइ तक कंपलेन करने की तैयारी में हैं। चासनाला से मामले में सीवीसी तक कंपलेन की जाने की तैयारी है। कहा जायेगा कि चासनाला कोलियरी डिवीजन जीजा-साला के लिए फिक्स है तो दूसरे की क्या जरुरत है। समाजसेवा से जुड़े लोग सीवीसी व सेल के चेयरमैन तक साला व जीजा की करतूत पहुंचायेंगे। कोलियरी डिवीजन में गठजोड़ का भंडाफोड़ करेंगे। मामले को दिल्ली तक पहुंचाया जायेगा। हालांकि दंबग साहब कहते हैं कि उनका कुछ नहीं होगा। नाम छपने व सार्वजनिक होने से फर्क नहीं पड़ता है। नाम वाला का ही बड़ा नाम होता है।
किसी डिपार्टमेंट का फाइल बिना साले साहब के एप्रुवल के आगे नहीं बढ़ता
कथित दबंग साले साहब पहले ही कंट्रेक्टर के अंदर में मुंशी थे। 20 साल पहले इस्को चासनाला में ओवरमैन में बहाल हुए। बहाली के बाद बीबीए समेत अन्य डिग्री हासिल कर लिये। अब एजीएम बन गये हैं। कई ईडी व जीएम बदले लेकिन दबंग साहब अंगद की पांव की तरह चासनाला में जमे रहे। आठ-आठ बार प्रमोशन लेकर चासनाला में ही जमे रहे। दूसरे जगह ट्रांसफर नहीं हुआ। सीबीआइ व विजिलेंस में भी कंपलेन हुआ लेकिन इनका कुछ नहीं हुआ। इन्हें क्लीनचिट मिल गयी लेकिन बदले में जूनियर व कलिग फंस जाते हैं। जुगाड़ परफार्मेंस बल पर दबंग साहब एजीम होकर कोलियरी के महत्वपूर्ण डिपार्टमेंट चार्ज में रखे हुए हैं। कहा जाता है कि किसी डिपार्टमेंट का फाइल हो बिना पिस्टल वाले के एप्रुवल के आगे नहीं बढ़ता है। CGM साहब को भी अपने प्रभाव में ले रखे हैं। जिसका काम होना है वह चाहेंगे तो होगा अगर पिस्टल वाले साहब नाखुश है तो अड़ंगा लग जायेगा।
लाइजनिंग व सर्विस देने में हैं माहिर दबंग साहब
आरोप है कि अप्रत्यक्ष रुप से कोलियरी में इलिगल वर्क में पिस्टल वाले साहब की संलिप्ता रहती है। विरोध करने वालों को पुलिस में केस कर फंसाने की धमकी देते हैं। साहब लाइजनिंग व सर्विस देने में हैं माहिर हैं। आइएएस,आइपीएस व एडमिस्ट्रेटिव अफसर को करीबी बताकर यूनियन अफसर व नेताओं को भयक्रांत करते हैं। कहते हैं फलां अफसर को कंपनी ओर से गाड़ी दी है, तेल देते हैं। जब जिसे चाहेंगे जेल भिजवा देंगे। साहब पिस्टल लेकर ऑफिस में भी पहुंच जाते हैं। कहते हैं पावर हैं तभी तो प्रशासन ने पिस्टल का लाइसेंस दिया है। कोलियरी में किसी घटना को लेकर कोई विवाद हो दबंग साहब का उसमें अप्रत्यक्ष रुप से शामिल रहते हैं। सीनीयर अफसर परेशान होते हैं तो जुगड़ा तकनीक बताकर सलटाने के काम करते हैं। सीनीयर अफसर के सामने नेताओं व जन प्रतिनिधियों को फोन लगाकर अपनी संबंध दर्शाते हैं। साहब से सक्षम कई कोलियरी में ऑफिसर हैं बावजूद वह कंपनी का मलाईदार डिपार्टमेंट अपने जिम्मे में ले रखा है। अपनी निजी लड़ाई को कंपनी के माथे मढ़कर लड़ते हैं। इसमें कंपनी को आर्थिक क्षति उठाना पड़ता है।
मैनेज करने व सेटिंग-गेटिंग में हैं माहिर
पिस्टल व बुलेट वाले दबंग अफसर से सीनीयर हो या जूनियर सभी खौफ खाते हैं। साहब अपनी हुजूरगिरी से सीनीयर को प्रभाव में कर लेते हैं। भय से जूनियर को दबा कर रखते हैं। साहब का विरोध करने वाले कोलियरी डिवीजन से चलता कर दिये जाते हैं। सीबीआइ हो या विजीलेंस, प्रशासन हो या पुलिस पिस्टल वाले साहब की कंपलेन करने पर कुछ नहीं होता है। साहब के खिलाफ जांच होती है लेकिन उन्हें क्लीन चीट मिल जाता है। यही कारण है कि साहब चासनाला में 20 साल से खुंटा गाड़ कर जमे रहे हैं। अंगद की पांव से भी साहब का पांव भारी है तब ही तो कोई उखाड़ नहीं पा रहा है। कहने तो साहब अपने डिपार्टमेंट के HOD के बाद दूसरे नंबर पर है। लेकिन वह अपने HOD बाबा को बोतल की सेवा देकर खुश रखते हैं। बाबा को बाहर का नजारा देखने ही नहीं देते हैं। बाबा भी सेवा लेकर मौन साधे हुए हैं। साहब की गलत कृत्य का विरोध करने वाले साइड धरा दिये जाते हैं। साहब कहते हैं कि जो विरोध करेगा वह जायेगा जो साथ रहेगा व स्थिर रहेगा। साहब की एजुकेशन क्वालिफिकेशन पर भी सवाल खड़ा हो रहा है। बावजूद दिल्ली से लेकर रामनगर तक साहब का कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाता है तब ही तो 20 साल पार होने को है। साहब नेताओं को अपनी जेब में रखने का दावा करता है।
पुलिस व प्रशासनिक अफसरों में पकड़ होने का दावा
दबंग साहब जिले के आइएएस,आइपीएस व एडमिस्ट्रेटिव अफसर को अपना फ्रैंड बताते हैं। माफिया व डॉन संबंध होने की बात कह हरकाते रहते हैं। यही कारण है कि साहब से सक्षम कई कोलियरी में ऑफिसर हैं बावजूद वह कंपनी का वह डिपार्टमेंट अपने जिम्मे में ले रखा है। अपनी पर्सनल विवाद व लड़ाई को कंपनी के माथे मढ़कर लड़ते हैं। कंट्रेक्टर हो या कांटा, सिक्युरिटी हो या इस्टेट, पसर्नल हो या कोलियरी चारों ओर इनकी तूती बोलती है।