धनबाद: पेट्रोल- डीजल पर सेंट्रल व स्टेट के टैक्स के बोझ से  पेट्रोलियम व्यवसाय पूरी तरह प्रभावित: अशोक सिंह 

झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अशोक सिंह ने कहा है कि  पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स व सेंट्रल स्टेट गवर्नमेंट्स लगातार टैक्स का बोझ बढ़ाते जा रही है। बंगाल की अपेक्षा झारखंड में टैक्स अधिक लिया जा रहा है। 

धनबाद: पेट्रोल- डीजल पर सेंट्रल व स्टेट के टैक्स के बोझ से  पेट्रोलियम व्यवसाय पूरी तरह प्रभावित: अशोक सिंह 

धनबाद। झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अशोक सिंह ने कहा है कि  पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स व सेंट्रल स्टेट गवर्नमेंट्स लगातार टैक्स का बोझ बढ़ाते जा रही है। बंगाल की अपेक्षा झारखंड में टैक्स अधिक लिया जा रहा है। उन्होंने उक्त बातें कोल फील्ड पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन की प्रेस कांफ्रेस में कही।  प्रेस कांफ्रेस में कोलफील्ड पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष माधव सिंह, महासचिव संजीव राणा तथा उपाध्यक्ष बृजेश राय एवं रितेश सिंह उपस्थित थे। 

झारखंड सरकार  वैट में कटौती कर व्यवसायी आम जनता को दे राहत
अशोक सिंह ने कहा कि कोल एसोसिएशन की ओर से आयोजित प्रेस कांफ्रेस में कहा कि बंगाल में वर्तमान में वैट 17 परसेंट हैं।  जबकि झारखंड में यह आंकड़ा 22 परसेंट है। मसलन झारखंड में टैक्स बंगाल की तुलना में पांच परसेंट ज्यादा है। एक लीटर तेल में यह फासला एक रु 30 पैसा अभी वर्तमान में है। बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने टैक्स में एक परसेंट की कटौती की घोषणा कर दी है। ऐसे में झारखंड में यह फासला और बढ़ेगा। झारखं में तेल बंगाल की अपेक्षा दो रु 30 पैसा महंगा होगा। इस परिस्थिति में झारखंड में पेट्रोलियम व्यवसायी पूरी तरह से धरासाई हो जायेगी। झारखंड सरकार से मांग है कि वैट में कटौती कर व्यवसायी आम जनता को राहत दे। 

टैक्स के बढ़ते बोझ से किसान मजदूर पेट्रोलियम व्यवसायी खासे प्रभावित
अशोक सिंह ने कहा कि टैक्स बढ़ने से लागत बढ़ता है। मुनाफा भी लगातार घटता जा रहा है। ऐसे हालात में व्यपार कर पाना बेहद मुश्किल शाबित होता जा रहा है। झारखं सरकार वैट में चार परसेंट की कटौती कर टैक्स 18 परसेंट करे। उन्होंने कहा एक वर्ष पूर्व जब हेमंत सरकार आई उस समय एक लीटर डीजल पर टैक्स 10 रु था। एक वर्ष में टैक्स में पांच परसेंट की बढ़ोत्तरी कर दी गई। एक लीटर डीजल की कीमत पर सीधे पांच रु की बढ़ोत्तरी कर दी गई। सेंट्रल व स्टेट गवर्नमेंट दोनो ही पेट्रोलियम उत्पादों पर अत्यधिक टैक्स ले रही है। टैक्स के आंकड़े को देखे तो तकरीबन 100 रु के तेल पर 69 रु टैक्स लिया जा रहा है। इसमे करीब 47 रुपये सेंट्रल गवर्नमेंट और  22 रुपये राज्य सरकारें ले रही है। उन्होंने कहा कि सेंट्रल गवर्नमेंट डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 30 रु और पेट्रोल पर 32 रु ले रही है। टैक्स के बढ़ते बोझ से किसान मजदूर पेट्रोलियम व्यवसायी खासे प्रभावित है।