धनबाद: DPS की 10 वीं की स्टटूडेंट अंशिका ने लिखी द पेंटेड पोर्च नामक बुक
दिल्ली पब्लिक स्कूल धनबाद की 10 वीं की स्टटूडेंट अंशिका प्रसाद ने द पेंटेड पोर्च नामक बुक लिखी है। क्या बच्चें सुसाइड कर सकते हैं। अगर कर सकते है तो आखिर क्यों करते है?इसी थीम पर आधारित द पेंटेड पोर्च नामक अंग्रेजी बुक को अंशिका प्रसाद ने लिखा है।
धनबाद। दिल्ली पब्लिक स्कूल धनबाद की 10 वीं की स्टटूडेंट अंशिका प्रसाद ने द पेंटेड पोर्च नामक बुक लिखी है। क्या बच्चें सुसाइड कर सकते हैं। अगर कर सकते है तो आखिर क्यों करते है?इसी थीम पर आधारित द पेंटेड पोर्च नामक अंग्रेजी बुक को अंशिका प्रसाद ने लिखा है।
कोरोना काल में लिखी बुक
अंशिका पिछले वर्ष 2019 से ही इस पुस्तक को लिखना शुरू की। दो सालों की कड़ी मेहनत के बाद इस कोरोना काल मे इसे पूरा कर लिया है। अंशिका की 350 पेज की द पेंटेड पोर्च बाजारों में तथा नेट पर भी उपलब्ध है।
अमोली और चार्मी दो फ्रेंड की कहानी
अंशिका ने बताया सामान्यतः बच्चों में सुसाइड की प्रवृत्ति नही होती है। कई बार संदेहास्पद परिस्थितियों में मृत्यु का कारण सुसाइड मानकर समाज और व्यवस्था उसे स्वीकार कर लेता है। इस बुक में अमोली और चार्मी दो फ्रेंड की कहानी है।अंशिका ने बताया न्यूज में अक्सर सुसाइड से जुड़ी खबरें पढ़ने को मिलती है। उन्ही खबरों से इस थीम पर बुक लिखने का आइडिया आया।
पहली बुक वॉइस ऑफ द ब्लोसम एंड अदर स्टोरी
अंशिका का कहना है कि बुक लिखने का शौक पूर्व से ही रहा है। वर्ष 2016 में आठवीं क्लास में पढ़ाई के दौरान वॉइस ऑफ द ब्लोसम एंड अदर स्टोरी नामक अपनी पहली बुक लिखी। बुक में विभिन्न- विभिन्न विषयों जैसे पेड़ो की कटाई अभिभावकों का बच्चों पर अनावश्यक प्रेशर जैसी बातों को दर्शाया है।
अंशिका के पिता ने भी लिखी बुक
अंशिका के पिता पंकज प्रसाद एडवोकेट हैं। पंकज ने ए हेंडबुक ऑन कमर्शियल कोर्ट प्रैक्टिस नामक बुक लिखी है। उन्होंने लगभग 300 पेज की इस बुक को पिछले लॉक डाउन से ही लिखना शुरू कर दिया। इस वर्ष इसे पूरा कर लिया। पंकज प्रसाद ने बताया वर्ष 2015 में भारतीय संसद ने कमर्शियल कोर्ट एक्ट पारित कर कमर्शियल सूट के जल्द निबटारे के लिए सिविल प्रक्रिया संहिता में संशोधन किए। पहले एक करोड़ एवं उससे ज्यादा रूपयों के निर्दिष्ट मूल्यों के सिविल वाद के लिए झारखंड राज्य में तीन कमर्शियल कोर्ट रांची,जमशेपुर और धनबाद में बनाए गये थे। परन्तु उक्त अधिनियम में संशोधन किया गया। अब तीन लाख एवं उससे अधिक निर्दिष्ट मूल्यों के कमर्शियल सूट की सुनवाई कमर्शियल कोर्ट में होगी। झारखंड राज्य में हर जिला में सिविल जज, वरीय कोटि एवम् जिला जज के कोर्ट में कमर्शियल सूट एवम् अपील की सुनवाई होगी। इसी पृषठभूमि में एक पुस्तक ' ए हेंडबुक ऑन कमर्शियल कोर्ट प्रैक्टिस” प्रकाशित की है। इससे जूनियर एडवोकेट एवं मुकदमा के पक्ष कारों को लाभ मिलेगा।