धनबाद। जज उत्तम आनंद मर्डर में मंगलवार को सीबीआइ ने इंस्पेक्टर सह धनबाद थाना प्रभारी विनय कुमार सिंह का बयान दर्ज कराया। सीबीआइ के स्पेशल जज रजनीकांत पाठक की कोर्ट में गवाही दिया।
पुलिस इंस्पेक्टर विनय कुमार ने कोर्ट में बताया कि 28 जुलाई 2021 को वह धनबाद थाना में प्रभारी के रूप में पोस्टेड थे। उसी दिन सुबह नौ बजे कांस्टेबल सौरभ साहू थाना पर आकर बताया कि वह जज उत्तम आनंद का बाडीगार्ड है। जज साहब अपने आवास से सुबह मार्निंग वाक के लिए निकले थे, जो अभी तक घर नहीं पहुंचे हैं। इस सूचना पर सनहा दर्ज कर कर उन्हें खोजने थाना से पुलिस बल के साथ निकल पड़े। खोजबीन के दौरान वाटसएप पर एक वायरल फोटो देखा। उस फोटो की पहचान जज साहब के रूप में हुई थी। उसके बाद वह एसएनएमएमसीएच धनबाद गये। वहां जाने पर इस बात की पुष्टि हुई कि अस्पताल में जख्मी हालत में पड़े व्यक्ति की मृत्यु हो गई है। वह जज उत्तम आनंद हैं। इसके बाद उन्होंने एसएसपी को बॉडी का पोस्टमार्टम कराने हेतु प्रार्थना पत्र दिया। अनुमंडल दंडाधिकारी की देखरेख में मेडिकल बोर्ड से उत्तम आनंद के शव का पोस्टमार्टम कराया गया। मृतक जज की पत्नी कीर्ति सिन्हा का आवेदन 28 जुलाई 2021 को प्राप्त हुआ। इसके आधार पर FIR दर्ज की गई।
उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया जो गंगा मेडिकल हाल रणधीर वर्मा के समीप स्थित है। घटनास्थल का नक्शा तैयार किया। अनुसंधान के क्रम में सीसीटीवी के फुटेज से प्राप्त आटो का फोटो एवं संदिग्ध अभियुक्त के फोटो की पहचान के लिए रेलवे स्टेशन के स्टैंड में पूछताछ किया गया तो वहां पता चला कि पिछली रात यह लड़का आटो लेकर आया था और उसके साथ एक गोरा लड़का भी था, जो अभी स्टैंड में मौजूद है। इसी सूचना पर उक्त लड़के को पकड़ा गया और पूछताछ किया गया तो उसने अपना नाम राहुल वर्मा बताया एवं इस कांड में अपनी संलिप्तता की बात बताई। राहुल कुमार वर्मा को अरेस्ट किया राहुल वर्मा के कब्जे से चार मोबाइल एवं एक सिम बरामद हुआ था।
लखन कुमार वर्मा को घटना में प्रयुक्त आटो सहित गिरिडीह से गिरफ्तार किया गया। 29 जुलाई 2021 को डीजीपी झारखंड के आदेश पर घटना की जांच के लिए एसआइटी का गठन हुआ था। इसके अध्यक्ष संजय आनंद लाटकर एडीजी आपरेशन झारखंड को बनाया गया था। अन्य के अलावा वह भी इसके सदस्य थे। 29 जुलाई 2021 को जब्त आटो का उन्होंने निरीक्षण किया था। एमवीआइ को इस कांड में इस आटो की यांत्रिक जांच कराने के लिए पत्र प्रेषित किया गया था। 29 जुलाई 2021 को जिला कंट्रोल रूम में लगे सीसीटीवी कैमरा का डीवीआर देखा जिससे रणधीर वर्मा चौक का कैमरा कनेक्टेड था। उन्होंने बताया कि पुलिस ने अभियुक्त लखन वर्मा एवं राहुल वर्मा का यूरिन सैंपल लेने का प्रतिवेदन यह जानने के लिए दिया था कि उनके यूरिन में अल्कोहल या अन्य नशीले पदार्थ की मात्रा है या नहीं। समय अभाव के कारण थानेदार विनय सिंह की गवाही मंगलवार को पूरी नहीं हो सकी है। कोर्ट ने गवाही के लिए बुधवार की तारीख निर्धारित की है। सीबीआइ इस मामले में अब तक 54 गवाहों का परीक्षण करा चुकी है।
फ्लैश बैक
जज उत्तम आनंद वर्ष 2021 की 28 जुलाई से सुबह लगभग पांच बजे मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे। रणधीर वर्मा चौक के समीप ऑटो ने जज को धक्का मार दिया। वह बेहोश होकर गिर गये। घायल जज को SNMMCH ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। जज के घर वापस नहीं आने पर पत्नी कीर्ति सिन्हा ने रजिस्ट्रार को फोन कर इसकी सूचना दी। रजिस्ट्रार ने मामले की सूचना एसएसपी धनबाद को दी, इसके बाद पुलिस महकमा जज को ढूंढने में लग गया था। इसके बाद उनके एक्सीडेंट होने का पता। पहले इसे सामान्य सड़क हादसा माना गया लेकिन सीसीटीवी फुटेज में एक ऑटो को जानबूझकर धक्का मारते दिखने पर सनसनी फैल गई। मामले में जज की पत्नी कृति सिन्हा की कंपलेन पर धनबाद पुलिस स्टेशन में केस नंबर 300/21 दर्ज की गयी थी। मामले में जज की वाइफ के कंपेलन पर धनबाद पुलिस स्टेशन ऑटो ड्राइवर के खिलाफ मर्डर की एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने गिरिडीह से ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथ बैठे राहुल वर्मा को अरेस्ट कर लिया।
सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया
मामले में सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया। मामले में झारखंड गवर्नमेंट ने एडीजी (ऑपरेशन) संजय आनंद लाठकर के नेतृत्व में एसआईटी गठित की। एसआईटी को अब तक की जांच में सुनियोजित मर्डर से जुड़ा कोई एवीडेंस नहीं मिला था। पुलिस मामले में ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा व उसके सहयोगी राहुल वर्मा को अरेस्ट कर जेल भेजा गया। जज को धक्का मारने वाला ऑ़टो भी बरामद कर लिया गया है। झारखंड सरकार ने 30 जुलाई को मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की थी। इसी आधार पर सीबीआई बीते चार अगस्त ने मामले में एफआइआर दर्ज कर जिला पुलिस की केस को टेकओवर कर लिया था। अब सीबीआई दिल्ली स्पेशल क्राइम ब्रांच-1 इस मामले की जांच कर रही है। सीबीआइ ने मर्डर के अलावा ऑटो चोरी एवं मोबाइल चोरी की दो अलग एफआइआर भी दर्ज की है।मामले में सीबीआई ने 20 अक्टूबर को चार्जशीट दाखिल की थी। सीबीआई ने आईपीसी की धारा 302, 201 और 34 के तहत चार्जशीट दाखिल की थी। कोर्ट ने 16 नवंबर 2021 को उपरोक्त धाराओं में संज्ञान लिया। सीबीआइ ने चार्जशीट में 169 लोगों को गवाह बनाया है।
आरोपियों की हो चुकी है नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग
सीबीआई ने ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथी राहुल वर्मा को रिमांड पर लेकर पूछताछ की है। छह अगस्त के कोर्ट के आदेश के बाद सात अगस्त को सीबीआई दोनो आरोपितों को रिमांड पर ले गई थी। दोनों की साइ डिटेक्टर समेत अन्य जांच करायी जा चुकी है। 11 अगस्त को दोनों को वापस जेल भेज दिया गया था। सीबीआई की स्पेशल सेल ने नौ अगस्त को कोर्ट से दोनों आरोपीयों से सच्चाई पता करने के लिए नार्को टेस्ट,ब्रेन मैपिंग टेस्ट सहित चार अन्य टेस्ट कराने की अनुमति ली थी। नौ एवं 10 अगस्त को सिंफर के गेस्ट हाऊस सत्कार में राहुल और लखन का लाई डिटेक्टर टेस्ट ,ब्रेन इलेक्ट्रिकल आक्सीलेशन व अन्य टेस्ट किया गया था। टेस्ट में मिली जानकारी के बाद सीबीआई की टीम फॉरेंसिक एक्सपर्ट के साथ घटनास्थल पर आई थी।सीबीआई धनबाद रेलवे स्टेशन से घटनास्थल तक पहुंचने के तमाम रास्तों में लगे सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला था। परंतु अब तक सीबीआई मामले की गुत्थी नहीं सुलझा सकी है। सीबीआइ घटनास्थाल पर तीन बार क्राइम सीन रिक्रियेट की है। सीबीआई दोनों आरोपियों की अहमदाबाद में नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग करायी है। दोनों की फिस से ब्रैन मैपिंग व अन्य जांच करायी जा रही है।
जज को जानबूझकर धक्का मारा लेकिन साजिश का नहीं चला पता
सीबीआइ अभी तक सीबीआई टक्कर मारने के पीछे की मंशा नहीं भांप पाई है। लखन और राहुल सीबीआई से भी बार-बार यही कह रहे हैं कि नशे में धुत्त रहने के कारण ऑटो रोड किनारे दौड़ रहे व्यक्ति की तरफ मुड़ गया, जिससे उन्हें टक्कर लग गई। हालांकि सीबीआई दोनों के बयान को अंतिम सत्य नहीं मान रहे हैं। सीबीआइ परिस्थितिजन्य और वैज्ञानिक साक्ष्यों से टीम घटना के तह तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। दोनों के मोबाइल सीडीआर, घटनास्थल से मिले कॉल डंप, फोरेंसिक जांच के परिणाम के अलावा चिह्नित लोगों से लगातार हो रही पूछताछ के जरिए मामले में नये एंगल की तलाश हो रही है। दोनों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की कर चुकी है। हाईकोर्ट सीबीआई जांच की मोनेटरिंग कर रही है। प्रत्येक सप्ताह सीबीआइ जांच की प्रगति रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश करती है। सीबीआइ की अब तक की जांच से हाई कोर्ट असंतुष्ट है। सीबीआई की ओर से हाई कोर्ट में बतायी गयी है कि जज को जानबूझकर धक्का मारा गया था। हालांकि इसके पीछे साजिश का अभी तक पता नहीं चल सका है। सीबीआइ अभी तक की जांच में स्पष्ट नहीं कर पायी है कि जज की मर्डर क्यों की गयी और इस षड्यंत्र के पीछे कौन लोग हैं।