भारत की एकता और अखंडता बढ़ाने के लिए सभी को करना चाहिए प्रयास: मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि देश की सीमाओं पर दुश्मनों को अपनी ताकत दिखाने के बजाय हम आपस में लड़ रहे हैं। भागवत गुरुवार को आरएसएस कैडरों के लिए अधिकारी प्रशिक्षण शिविर (संघ शिक्षा वर्ग) के विदाई समारोह को संबोधित कर रहे थे।
- सीमा पर बैठे दुश्मनों को ताकत दिखाने के बजाय आपस में लड़ रहे हैं हम
नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि देश की सीमाओं पर दुश्मनों को अपनी ताकत दिखाने के बजाय हम आपस में लड़ रहे हैं। भागवत गुरुवार को आरएसएस कैडरों के लिए अधिकारी प्रशिक्षण शिविर (संघ शिक्षा वर्ग) के विदाई समारोह को संबोधित कर रहे थे।
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#WATCH पूरी दुनिया में इस्लाम का आक्रमण हुआ, स्पेन से मंगोलिया तक छा गया। धीरे-धीरे वहां के लोग जागे, उन्होंने आक्रमणकारियों को परस्त किया। तो अपने कार्य क्षेत्र में इस्लाम सिकुड़ गया। सबने सब बदल दिया। अब विदेशी तो यहां से चले गए लेकिन इस्लाम की पूजा कहां सुरक्षित चलती है, यहीं… pic.twitter.com/uBdULvYKY0
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 1, 2023
उन्होंने कहा कि भारत के प्रत्येक नागरिक को देश की एकता और अखंडता को बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक संकट और कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने सभी देशों के बीच अच्छा प्रदर्शन किया। भागवत ने कहा कि हमारे समाज में धर्म और पंथ से जुड़े कई विवाद हैं।
दुश्मनों को ताकत दिखाने की जरूरत
भागवत ने कहा कि हम सीमा पर बैठे दुश्मनों को अपनी ताकत नहीं दिखा रहे हैं, लेकिन हम आपस में लड़ रहे हैं। हम भूल रहे हैं कि हम एक देश हैं। सभी को भारत की एकता और अखंडता बढ़ाने के लिए प्रयास करना चाहिए और अगर कोई कमी है, तो हम सभी को उन पर काम करना चाहिए।उन्होंने कहा कि कुछ धर्म भारत के बाहर के थे और हमारे उनके साथ युद्ध हुए थे, लेकिन बाहर वाले तो चले गये। अब तो सब देश के अंदर हैं। फिर भी यहां बाहरी लोगों के प्रभाव में लोग हैं और वे हमारे लोग हैं। उन्हें यह समझना होगा। अगर उनकी सोच में कोई कमी है, तो सुधार की हमारी जिम्मेदारी है।
सदियों से भारत में सुरक्षित है इस्लाम धर्म
भागवत ने इस्लाम धर्म पर राजनीति कर रहे लोगों को कहा कि बाहरी लोग चले गये, लेकिन इस्लाम सदियों से यहां सुरक्षित है।उन्होंने कहा कि 'कुछ लोग इस धारणा का समर्थन करते हैं कि इतिहास काल में भारत में कोई जातिगत भेदभाव नहीं था, लेकिन यह स्वीकार करना होगा कि हमारे देश में जाति व्यवस्था के कारण अन्याय हुआ है। आरएसएस चीफ ने कहा कि हम अपने पूर्वजों का गौरव लेकर चलते हैं, तो हमें उनकी गलतियों को भी सुधारना होगा।