किसान हिंसा मामला: दिल्ली पुलिस ने दर्ज कीं चार FIR, उपद्रव में 83 पुलिसकर्मी घायल, डीसीपी पर ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश
सेंट्रल गवर्नमेंट के तीनों कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं से ट्रैक्टर मार्च के दौरान उपद्रव व हिंसक झड़प में मंगलवार को 83 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। किसानों द्वारा एडिशनल डीसीपी (ईस्ट) के ऊपर ट्रैक्टर चढ़ाने की भी कोशिश की गई। आठ बसों और 17 प्राइवेट गाड़ियों में तोड़फोड़ की गयी है।दिल्ली पुलिस ने मामले में चार FIR दर्ज की है।
- आठ बसों और 17 प्राइवेट गाड़ियों में तोड़फोड़
- लाल किला में घुसे सभी किसानों को देर रात वापस दिल्ली बार्डर की ओर भेज दिया गया
- पंजाब एवं हरियाणा में हाई अलर्ट
नई दिल्ली। सेंट्रल गवर्नमेंट के तीनों कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं से ट्रैक्टर मार्च के दौरान उपद्रव व हिंसक झड़प में मंगलवार को 83 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। किसानों द्वारा एडिशनल डीसीपी (ईस्ट) के ऊपर ट्रैक्टर चढ़ाने की भी कोशिश की गई। आठ बसों और 17 प्राइवेट गाड़ियों में तोड़फोड़ की गयी है।दिल्ली पुलिस ने मामले में चार FIR दर्ज की है।
पांडव नगर, गाजीपुर और सीमापुरी पुलिस स्टेशन में एक-एक एफआईआर दर्ज की गई है। गाजीपुर बार्डर से निकले किसान प्रदर्शकारियों ने इन इलाकों में जमकर हिंसा की थी। किसानों ने 88 बैरिकेड्स तोड़े, चार क्रेन, डीटीसी की आठ बस और 17 निजी वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया। लाल किला हिंसा मामले में भी कोतवाली पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है। यहां पर किसान आंदोलनकारियों ने दिल्ली पुलिस के वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया। जबरन लाल किला के अंदर घुस गये और प्रवेश द्वार पर लगे स्कैनर और मेटल डिटेक्टर आदि को तोड़ दिया। उन्होंने सामने आने वाली सभी वस्तुओं को नष्ट कर दिया।
देर रात किसानों से खाली हुआ लाल किला
ट्रैक्टर परेड के साथ हिंसा व उपद्रव करते हुए लाल किला में घुसे सभी किसानों को देर रात वापस दिल्ली बार्डर की ओर भेज दिया गया। लाल किला कैंपस को पूरी तरह खाली करा लिया गया। इस दौरान पूरे दिन पुलिस ने संयम और धैर्य का पालन किया। पुलिस ने यहां किसानों का हमला झेलने के बाद भी अपनी तरफ से बल प्रयोग से परहेज किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने स्पेशल सीपी रैंक के अफसर समेत कई पुलिसकर्मियों से धक्का-मुक्की और मारपीट की। दिल्ली में हिंसा के बाद पंजाब एवं हरियाणा में हाई अलर्ट घोषित किया गया है। हरियाणा के तीन जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दिया गया है।
किसानों से बचने के लिए पुलिसकर्मी किले की दीवार से सटी बीस फीट गहरी खाई में कूद गये। इससे कई पुलिसकर्मियों के हाथ पैर टूटे हैं। लाठी-डंडा, तिरंगा और अपनी यूनियनों के झंडे लिए हजारों किसानों ने ट्रैक्टरों से बैरिकेड को तोड़ दिया। वे पुलिस से भिड़ गए और विभिन्न स्थानों से दिल्ली के भीतर घुस गए। आईटीओ पर लाठी-डंडा लिए सैकड़ों किसान पुलिस का पीछा करते देखे गये। उन्होंने वहां खड़ी बसों को अपने ट्रैक्टरों से टक्कर मारी। एक प्रदर्शनकारी की तब मौत हो गई जब उसका ट्रैक्टर पलट गया।
दुर्घटना में हुई किसान की मौत
डीडीयू मार्ग पर हुई किसान की मौत पर भी दिल्ली पुलिस ने सफाई दी। दिल्ली पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे की फुटेज जारी करते हुए कहा कि तेज रफ्तार ट्रैक्टर बैरिकेड से टकरा गया। फिर ट्रैक्टर पलट गया जिसकी वजह से चालक की मौत हो गई।
दिल्ली के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर आलोक कुमार ने कहा कि एडिशनल डीसीपी (ईस्ट) मंजीत को आखिरी वक्त में सुरक्षाकर्मियों ने ट्रैक्टर के सामने से हटा दिया, नहीं तो बहुत बड़ा हादसा हो सकता था। हमारे यहां एक प्रोबेशनल एसीपी हैं, उनको भी काफी चोट लगी है। कई और पुलिसवाले हैं, जिनका इलाज चल रहा है। यह प्रदर्शन उग्र तरीके से किया गया था और काफी तोड़फोड़ की गई।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों से झड़प में पुलिस के 83 जवान घायल हुए हैं, जिनमें से 45 को ट्रॉमा सेंटर में एडमिट कराया गया है। जॉइंट कमिश्नर (ईस्टर्न रेंज) आलोक कुमार ने आरोप लगाया कि किसानों ने काफी उग्र तरीके से ये रैली की थी। इस पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी।
किसानों ने तोड़ा वादा
न्यूज एजेंसी एएनआइ से बातचीत करते हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने कहा कि कई दौर की बैठकों के बाद ट्रैक्टर रैली के लिए समय और मार्गों को अंतिम रूप दिया गया था। लेकिन उपद्रवी प्रदर्शनकारियों ने ट्रैक्टरों से बैरिकेड को तोड़ दिया। निर्धारित किए गए समय से पहले दिल्ली मे घुस गये। उपद्रवियों ने पुलिस पर हमला भी किया। इससे कई पुलिस कर्मी घायल हो गये। पुलिस कमिश्नर ने कहा कि श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर तोड़फोड़ की, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हुए। सार्वजनिक संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचा है। पुलिस कमिश्वर ने कहा कि उपद्रवियों ने सार्वजनिक संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया है। मैं प्रदर्शनकारी किसानों से शांति बनाए रखने और निर्धारित किये गये मार्गों से लौटने की अपील करता हूं।
'तय समय से पहले ही किसानों ने शुरू कर दी ट्रैक्टर रैली
दिल्ली पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी ईश सिंघल ने कहा, ''प्रदर्शनकारियों ने रैली के लिए निर्धारित शर्तों का उल्लंघन किया। किसानों ने निर्धारित समय से काफी पहले ही ट्रैक्टर रैली शुरू कर दी। उन्होंने हिंसा और तोड़फोड़ की। सिंघल ने कहा कि हमने वायदे के अनुरूप सभी शर्तों का पालन किया और अपने सभी प्रयास किए, लेकिन प्रदर्शन में सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान हुआ है।
किसानों ने ट्रैक्टर रैली में तोड़े कई बैरिकेड्स
लाठी-डंडा, तिरंगा और अपनी यूनियनों के झंडे लिए हजारों किसानों ने ट्रैक्टरों से बैरिकेड्स को तोड़ दिया। वे पुलिस से भिड़ गये।विभिन्न स्थानों से दिल्ली के भीतर घुस गए। आईटीओ पर लाठी-डंडा लिए सैकड़ों किसान पुलिस का पीछा करते देखे गये। खड़ी बसों को अपने ट्रैक्टरों से टक्कर मारी। एक प्रदर्शनकारी की तब मौत हो गई जब उसका ट्रैक्टर पलट गया। आईटीओ युद्धक्षेत्र में तब्दील नजर आया जहां प्रदर्शनकारियों ने एक कार को भी तोड़ दिया। वहां सड़कों पर ईंट-पत्थर बिखरे नजर आये।
किसानों के हमले से लाल किले से गिरे दर्जनों पुलिसकर्मी
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने गणतंत्र दिवस के मौके पर राजधानी में घुसकर जमकर बवाल काटा। जगह-जगह तोड़फोड़ और उपद्रव करते हुए हजारों किसान लाल किले तक जा पहुंचे। लाठी, डंडे और तलवारों से लैस इन उपद्रवियों ने पुलिसकर्मियों पर बेरहमी से वार किए। इस दौरान लाल किले से गिरकर दर्जनों पुलिसकर्मी घायल हो गये। इस हमले का एक वीडियो सामने आया है जिसमें दिख रहा है कि किसानों के हमले से बचने के लिए पुलिसकर्मी सुरक्षा नाले के नजदीक आ जाते हैं। लेकिन उपद्रवी यहां भी उनपर ताबड़तोड़ वार करते हैं। इस दौरान कई पुलिसकर्मी बुरी तरह घायल हो गये।
पुलिस ने मंगलवार को लगभग 90 मिनट तक चली अफरातफरी के बाद प्रदर्शनकारी किसानों को लालकिला परिसर से हटा दिया। किसान अपनी ट्रैक्टर परेड के निर्धारित मार्ग से हटकर इस ऐतिहासिक स्मारक तक पहुंच गये थे। वहां उन्होंने अपने झंडे लगा दिए। लालकिले पहुंचे प्रदर्शनकारी उस ध्वज-स्तंभ पर भी अपना झंडा लगाते दिखे जिसपर प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस के दिन राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं।इन प्रदर्शनकारियों में निहंग भी शामिल थे। बाद में, पुलिस ने लालकिला परिसर को खाली कराने के लिए लाठीचार्ज किया। इससे पहले लगातार उद्घोषणा की जा रही थी कि प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण तरीके से लालकिले से हट जाएं। इससे पहले, प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर परेड के निर्धारित मार्ग से हटकर आईटीओ पहुंच गये जब उन्होंने वहां से लुटियंस क्षेत्र की ओर बढ़ने की कोशिश की तो पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा।
हिंसा और अराजकता के लिए किसान नेता जिम्मेदार
गणतंत्र दिवस पर राजधानी में हिंसा और अराजकता के लिए किसान नेता जिम्मेदार हैं। पुलिस को अंधेरे में रखकर दिल्ली में ट्रैक्टर लेकर घुसे किसानों ने कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई। दिल्ली पुलिस ने ट्रैक्टर परेड के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के साथ छह दौर की वार्ता के बाद तीन रूट तय किये थे। सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बार्डर से दिल्ली की सड़कों पर ट्रैक्टर परेड के लिए तीनों रूट भी खुद किसान संगठनों ने दिए थे, मगर किसान नेता उपद्रवियों को रोकने में नाकाम रहे। कहीं भी ऐसा दिखाई नहीं दे रहा था कि किसान संगठनों की तरफ से उपद्रवियों को रोकने के लिए कोई प्रयास किये गये हो।
पुलिस के समझाने पर भी नहीं माने किसान
पुलिस ने किसान संगठनों से हर दौर की वार्ता में यही अपील की थी कि वे केजीपी और केएमपी एक्सप्रेस वे पर ही ट्रैक्टर परेड निकालें, लेकिन किसान संगठनों ने एक नहीं मानी। किसान न सिर्फ तय रूट से बल्कि अन्य मार्गो से भी दिल्ली में ट्रैक्टर लेकर घुसे। दिल्ली की सड़कों पर हिंसा व अराजकता को अंजाम दिया। पुलिस के समझाने पर भी किसान नहीं माने। इतना ही नहीं दिल्ली पुलिस के साथ वार्ता में किसान संगठनों ने अपनी तरफ से तीनों रूट पर ट्रैक्टर परेड में व्यवस्था बनाए रखने के लिए पांच हजार कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपने की बात कही थी। लेकिन ये कार्यकर्ता भी कहीं नजर नहीं आये। किसान संगठनों की तरफ से योगेंद्र यादव, बलदेव सिंह राजेवाल, हन्नान मौला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, दर्शनपाल, शिवकुमार शर्मा कक्का जी सहित गुरनाम सिंह चढ़ूनी भी इन वार्ताओं में शामिल रहे।
हिंसा के लिए दुखी और शर्मिंदा हूं: कक्का
समन्वय समिति, संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य शिव कुमार कक्का ने कहा कि मैं 70 मुकदमें झेल चुका हूं। मैं केंद्र सरकार के मुकदमें से नहीं डरता, लेकिन दिल्ली में जो कुछ हुआ उसमें संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नहीं थे। सिंघु बार्डर से जब किसान ट्रैक्टर लेकर दिल्ली के अंदर घुस रहे थे तब पुलिस को रोकना चाहिए था। हम हिंसा के लिए दुखी हैं, शर्मिंदा हैं, लेकिन यह पुलिस की नाकामी है। दिल्ली पुलिस के साथ रूट तय करने में किसान मोर्चा के नेता शामिल नहीं थे। यह रूट जिन्होंने तय किया था, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। हम तो 15 दिन पहले ही रूट तय करने की मांग कर रहे थे, लेकिन दिल्ली पुलिस ने रूट तय करने में जानबूझकर देरी की, ताकि किसान संगठनों के हाथ में व्यवस्था न रहे।