Hathras Stampede: हाथरस दुर्घटना मामले में SDM-CO समेत छह सस्पेंड

उत्तर प्रदेश के हाथरस के सिकंदराराऊ में दो जुलाई हुई दुर्घटना मामले में SDM-CO समेत छह सस्पेंड कर दिया गया है। एसआईटी की जांच रिपोर्ट पर यह कार्रवाई की गयी है। सत्संग के दौरान दो जुलाई को हुई दुर्घटना में 121 लोगों की मौत मामले की एसआईटी ने जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है।  

Hathras Stampede: हाथरस दुर्घटना मामले में SDM-CO समेत छह सस्पेंड
ड्यूटी में तैनात पुलिसकर्मी रहे सस्संग में लीन।
  • SIT की जांच में कार्यक्रम के लिए आयोजक मुख्य जिम्मेवार
  • दुर्घटना के लिए कार्यक्रम आयोजक मुख्य जिम्मेदार
  • स्थानीय प्रशासन की भी तय की गई जवाबदेही
  • दो सदस्यीय जांच समिति ने सौंपी रिपोर्ट

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हाथरस के सिकंदराराऊ में दो जुलाई हुई दुर्घटना मामले में SDM-CO समेत छह सस्पेंड कर दिया गया है। एसआईटी की जांच रिपोर्ट पर यह कार्रवाई की गयी है। सत्संग के दौरान दो जुलाई को हुई दुर्घटना में 121 लोगों की मौत मामले की एसआईटी ने जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है।  

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दुर्घटना मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था। एडीजी जोन आगरा और मंडलायुक्त अलीगढ़ की एसआईटी ने घटनास्थल का निरीक्षण किया था। जांच में कार्यक्रम आयोजक और तहसील स्तरीय पुलिस व प्रशासन को भी दोषी पाया ज‍िसके बाद शासन स्तर से कार्रवाई की गई।दुर्घटना के बाद गठित एडीजी जोन आगरा और मंडलायुक्त अलीगढ़ की एसआईटी ने दो, तीन और पांच जुलाई को घटनास्थल का निरीक्षण किया था। जांच के दौरान कुल 125 लोगों का बयान लिया गया, जिसमें प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के साथ आम जनता और प्रत्यक्षदर्शियों का बयान भी लिया गया। इसके अलावा, घटना के संबंध में प्रकाशित समाचार की प्रतियां, स्थलीय वीडियोग्राफी, छायाचित्र, वीडियो क्लिपिंग का संज्ञान लिया गया।
SIT को इन सवालों के जवाब ढूंढने में हुई देरी
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराराऊ में सूरज पाल सिंह (नारायण साकार विश्वहरि) के सत्संग में दो जुलाई को मची भगदड़ की घटना से 121 अनुयायियों की मृत्यु के मामले में की स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) पांच दिन की गहन जांच की है।एसआइटी ने हाथरस दुर्घटना से जुड़े सभी पक्ष के लोगों के बयान लिया है। एसआइटी अध्यक्ष एडीजी अनुपम कुलश्रेष्ठ ने की रिपोर्ट भेजे जाने की पुष्टि की है। एसआइटी ने दुर्घटना से जुड़े सभी पक्षों के बयान दर्ज करने के साथ ही घटनास्थल व अन्य स्थान से साक्ष्य संकलन किया है। साथ ही सभी सवालों के जवाब तलाशते हुए दोषियों को भी बेपर्दा किया है। 
सूरज पाल के सत्संग में भगदड़ से 121 की हुई थी मौत
सिकंदराराऊ के फुलरई गांव में दो जुलाई को सूरज पाल सिंह (नारायण साकार विश्वहरि) के सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 अनुयायियों की मृत्यु हुई थी। दुर्घटना के बाद प्रशासनिक और पुलिस के साथ ही स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्थाओं पर भी सवाल उठे। सीएम योगी आदित्यनाथ ने दुर्घटना के दूसरे दिन ही एसआइटी गठित कर दी थी। इसकी अध्यक्ष एडीजी अनुपम कुलश्रेष्ठ बनाई गईं। अलीगढ़ की मंडलायुक्त चैत्रा वी. भी एसआइटी में शामिल थीं। दोनों वरिष्ठ महिला अधिकारियों दुर्घटना के बाद से ही हाथरस में कैंप कर लिया। घटना से जुड़े सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ ही सेवादार, घायल और मृत अनुयायियों के स्वजन से भी बयान लिए। सौ से अधिक लोगों के बयान दर्ज करने के साथ ही एसआइटी ने हाथरस के डीएम आशीष कुमार और एसपी निपुण अग्रवाल के भी बयान दर्ज किए। दुर्घटना से जुड़े हर साक्ष्य को जुटाया गया। इसके बाद बयान और साक्ष्यों के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया।
शासन को भेजी गई जांट रिपोर्ट
जांच रिपोर्ट तैयार कर एसआइटी ने शासन को भेज दी। इसके दोषियों को भी बेपर्दा किया गया है। रिपोर्ट 300 से अधिक पेज की बताई गई है। एसआइटी ने स्पाइरल बाइंडिंग कराने के बाद यह रिपोर्ट भेजी है। एडीजी अनुपम कुलश्रेष्ठ के अनुसार, प्रकरण से जुड़े सभी पक्षों के लोगों के बयान दर्ज किए गए। सभी पक्षों के बयान और साक्ष्यों का गहन परीक्षण करने के बाद रिपोर्ट तैयार करने के बाद यह मुख्यालय को भेज दी गई है।
इन प्रश्नों के जवाब ढूढ़ रही थी एसआइटी
स्वास्थ्य विभाग
इतने बड़े कार्यक्रम के लिए पहले से क्या तैयारी की गई थी?
विभाग द्वारा मौके पर कितनी एंबुलेंस भेजी गईं थीं?
हादसे की सूचना मिलने के बाद अस्पतालों में क्या इंतजाम किए गए थे
हादसे वाले दिन जिला अस्पताल और सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर किन चिकित्सकों और स्टाफ की ड्यूटी थी, क्या इनमें कितने चिकित्सक और कर्मचारी गैर हाजिर थे।
घायलों को अस्पताल लेकर कौन-कौन से एंबुलेंस चालक लेकर गए थे?
घायलों को कितने समय बाद उपचार मिला?
पोस्टमार्टम किन चिकित्सकों द्वारा किया गया, अनुयाइयों की मृत्यु का क्या कारण रहा।
पुलिस और राजस्व विभाग
थाना स्तर पर आयोजन स्थल पर जाकर किसने रिपोर्ट तैयार की थी?
सत्संग स्थल पर आने वाली अनुमानित भीड़ काे लेकर क्या आंकलन किया था?
आयोजन स्थल पर आपात स्थिति में वहां से निकलने की व्यवस्थाओं को देखा था, यदि हां तो थाने से भेजी गई अपनी रिपोर्ट में क्या इसका उल्लेख किया था?
अग्निशमन की व्यवस्थाओं को लेकर अपनी क्या रिपोर्ट दी थी?
आयोजन को लेकर क्या एलआइयू ने अपनी रिपोर्ट दी थी? यह रिपोर्ट क्या थी और किसने दी थी?
मौके पर सबसे पहले कौन पुलिसकर्मी पहुंचे थे?
पुलिसकर्मियों ने अपने अधिकारियों को कितने बजे सूचना दी?
अधिकारी कितने बजे मौके पर पहुंचे और भगदड़ में घायलों को पहुंचाने के लिए क्या किया
प्रत्यक्षदर्शियों और पीड़ित 
भगदड़ कब और कैसे मची?
भीड़ को काबू करने के लिए सत्संग में मौजूद आयोजकों और सेवादारों ने क्या प्रयास किया?
क्या आयोजकों और सेवादारों द्वारा उनके साथ धक्का मुक्की की गई थी, ऐसा करने वालों में वह किसी को पहचानते हैं?
अनुयायियों अपने स्वजन को अस्पताल लेकर गए तो उन्हें कितनी देर में उपचार मिला?
कब क्या हुआ?
दो जुलाईः सत्संग के बाद भगदड़ में हर तरफ बिछ गईं लाशें, 121 की हुई मृत्यु, मुख्य सचिव और डीजीपी हाथरस आए, एसआइटी जांच के आदेश
तीन जुलाईः सीएम हाथरस आए, अफसरों संग मंथन, घटनास्थल का भ्रमण, घटना के पीछे साजिश का अंदेशा, एसआइटी का गठन
चार जुलाईः छह सेवादार गिरफ्तार, मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर पर एक लाख का इनाम, षड्यंत्र की बात आई सामने
पांच जुलाईः कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी हाथरस में पीड़ित परिवारों मिले, मुआवजा बढ़ाने की मां रखी, मुख्य सेवादार दिल्ली से हुआ गिरफ्तार।
छह जुलाईः न्यायिक आयोग की टीम पहुंची, अफसरों से वार्ता, एसआइटी से बातचीत, घटनास्थल का निरीक्षण किया, अस्पताल में मरीजों से बात की। सूरजपाल का पहला वीडियो आया सामने।
सात जुलाईः न्यायिक आयोग की टीम ने दर्ज किए 34 लोगों के बयान, टीप वापस गई, दाे और लोग गिरफ्तार
आठ जुलाई: किसान नेता राकेश टिकैत, सांसद चंद्रशेखर आजाद पीड़ित परिवारों से मिले

एसआईटी जांच के मुख्य प्वाइंट्स
एसआईटी ने प्रारंभिक जांच में चश्मदीद गवाहों व अन्य साक्ष्यों के आधार पर दुर्घटना के लिए कार्यक्रम आयोजकों को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना है।
जांच समिति ने अब तक हुई जांच व कार्यवाही के आधार पर हादसे के पीछे किसी बड़ी साजिश से भी इनकार नहीं किया है और गहन जांच की जरूरत बताई है।
आयोजक और तहसील स्तरीय पुलिस व प्रशासन को भी दोषी पाया है। स्थानीय एसडीएम, सीओ, तहसीलदार, इंस्पेक्टर, चौकी इंचार्ज द्वारा अपने दायित्व का निर्वहन करने में लापरवाही के जिम्मेदार हैं।
उप जिला मजिस्ट्रेट सिकंदराराऊ द्वारा बिना कार्यक्रम स्थल का मुआयना किए आयोजन की अनुमति प्रदान कर दी गई और सीनीयर अफसरों को अवगत भी नहीं कराया।इन अधिकारियों द्वारा कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया गया और वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत भी नहीं कराया गया।
शासन ने क‍िया सस्पेंड 
एसआईटी ने संबंधित अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की है। उप जिला मजिस्ट्रेट सिकंदराराऊ, पुलिस क्षेत्राधिकारी सिकंदराराऊ, थानाध्यक्ष सिकंदराराऊ, तहसीलदार सिकंदराराऊ, चौकी इंचार्ज कचौरा एवं चौकी इंचार्ज पोरा को शासन द्वारा सस्पेंड कर द‍िया गया है। 

तथ्यों को छुपाकर कार्यक्रम के आयोजन की ली अनुमति  
आयोजकों ने तथ्यों को छिपाकर कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति ली। अनुमति के लिए लागू शर्तों का अनुपालन नहीं किया गया। आयोजकों द्वारा अप्रत्याशित भीड़ को आमंत्रित कर पर्याप्त और सुचारू व्यवस्था नहीं की गई। न ही कार्यक्रम के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा दी गई अनुमति की शर्तों का पालन किया गया।आयोजक मंडल से जुड़े लोग अव्यवस्था फैलाने के दोषी पाये गये हैं। इनके द्वारा जिन लोगों को बिना विधिवत पुलिस वेरिफिकेशन के जोड़ा गया, उनसे अव्यवस्था फैली। आयोजक मंडल द्वारा पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया गया। स्थानीय पुलिस को कार्यक्रम स्थल पर निरीक्षण से रोकने का प्रयास किया गया। सत्संगकर्ता और भीड़ को बिना सुरक्षा प्रबंध के आपस में मिलने की छूट दी गई। भारी भीड़ के दृष्टिगत यहां किसी प्रकार की बैरीकेडि‍ंग  या पैसेज की व्यवस्था नहीं बनाई गई थी और दुर्घटना घटित होने पर आयोजक मंडल के सदस्य घटनास्थल से भाग गये।