सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, अब MP व MLA पर दर्ज क्रिमिनल केस बिना हाई कोर्ट के अनुमति नहीं होंगे वापस
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एमएलए व एमपी के खिलाफ आपराधिक मुकदमे में तेजी लाने के लिए याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि एमपी व एमएलए पर दर्ज क्रिमिनल केस वापस लेने के लिए हाईकोर्ट की मंजूरी के बगैर वापस नहीं होंगे।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एमएलए व एमपी के खिलाफ आपराधिक मुकदमे में तेजी लाने के लिए याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि एमपी व एमएलए पर दर्ज क्रिमिनल केस वापस लेने के लिए हाईकोर्ट की मंजूरी के बगैर वापस नहीं होंगे।
स्पेशल बेंच गठित करने पर विचार
चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह भी कहा कि वह नेताओं के खिलाफ मामलों की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट एक स्पेशल बेंच गठित करने पर विचार कर रही है। जस्टिस विनीत सरन और सूर्यकांत वाली बेंच ने आदेश दिया कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई करने वाले विशेष अदालतों के न्यायाधीशों को अगले आदेश तक ट्रांसफर नहीं किया जायेगा।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब स्टेट गवर्नमेंट हाई कोर्ट की इजाजत के बिना एमपी व एमएलए के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस नहीं ले सकेंगी।
सुप्रीम कोर्ट ने एमपी-एमएलए के खिलाफ स्पेशल कोर्ट बनाने के मुद्दे पर सेंट्रल गवर्नमेंट की ओर से कोई जवाब नहीं आने पर नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, सरकार को जवाब देने का आखिरी मौका दिया जा रहा है। अब इस मामले में 25 अगस्त को अगली सुनवाई होगी। तबतक सरकार को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि, सभी हाई कोर्ट के रजिस्टार जरनल अपने चीफ जस्टिस को एमपी और एमएलए के लंबित मामले के साथ-साथ केस निपटारे की पूरी जानकारी दें। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि, सीबीआई कोर्ट और अन्य अदालतें भी एमएलए व एमपी के खिलाफ लंबित मामलों की सुनवाई जारी रखें।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें एमएलए व एमपी के खिलाफ दर्ज मुकदमों को लेकर स्पेशल कोर्ट बनाने और स्पीडी ट्रायल की मांग की गई है।