Indira Bhawan: कांग्रेस पार्टी के मुख्यालय इंदिरा भवन का उद्घाटन, AICC का नया पता हुआ 9ए,कोटला मार्ग

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) का मुख्यालय अब बदल गया है। विगत लगभग पांच दशकों से कांग्रेस पार्टी के मुख्यालय का पता 24 अकबर रोड से 9ए, कोटला मार्ग हो गया है। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने बुधवार को पार्टी के नये मुख्यालय ‘इंदिरा भवन’ का उद्घाटन किया। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी समेत पार्टी के सभी सीनीयर लीडर भी मौजूद थे।

Indira Bhawan: कांग्रेस पार्टी के मुख्यालय इंदिरा भवन का उद्घाटन, AICC का नया पता हुआ 9ए,कोटला मार्ग
  • वास्तु से लेकर फोटो, पर्दे-फर्नीचर तक का सलेक्शन में प्रिंयंका गांधी की अहम रोल

नई दिल्ली। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) का मुख्यालय अब बदल गया है। विगत लगभग पांच दशकों से कांग्रेस पार्टी के मुख्यालय का पता 24 अकबर रोड से 9ए, कोटला मार्ग हो गया है। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने बुधवार को पार्टी के नये मुख्यालय ‘इंदिरा भवन’ का उद्घाटन किया। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी समेत पार्टी के सभी सीनीयर लीडर भी मौजूद थे।

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सोनिया गांधी ने (बुधवार, 15 जनवरी को) फीता काटकर पांच मंजिले नये कांग्रेस ऑफिस का विधिवत उद्घाटन किया। यह मुख्यालय पांच मंजिला एक ग्रीन बिल्डिंग है, जिसमें 70 से ज्यादा कमरे हैं। एलएंडटी द्वारा निर्मित और हफीज कॉन्ट्रैक्टर द्वारा डिजाइन की गयी इस बिल्डिंग का नाम 'इंदिरा भवन' रखा गया है। इसकी दीवारों पर 140 साल के गौरवशाली इतिहास को उकेरा गया है। कांग्रेस पार्टी ने भी सोशल मीडिया एक्स पर एक ट्वीट कर कहा है कि इंदिरा भवन 140 साल के इतिहास को अपने में समेटे हुए है। पार्टी ने लिखा है, “इंदिरा भवन- लोकतंत्र, राष्ट्रवाद, धर्मनिरपेक्षता, समावेशी विकास और सामाजिक न्याय की नींव पर बना कांग्रेस का नया मुख्यालय। कांग्रेस के 140 साल पुराने गौरवशाली इतिहास को खुद में संजोए, यहां की दीवारें सत्य, अहिंसा, त्याग, संघर्ष और देश प्रेम की महागाथा बयां कर रही हैं। कांग्रेस एक नई ऊर्जा, एक नए संकल्प और एक नए विश्वास के साथ भारत के उज्जवल भविष्य को गढ़ने, लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करनेऔर न्याय का परचम लहराने के लिए तैयार है।”

इंदिरा भवन के किस फ्लोर पर क्या?
कांग्रेस ऑफिस इंदिरा भवन के सबसे ऊपरी मंजिल पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी का ऑफिस है। चौथी मंजिल पर AICC महासचिवों के ऑफिस हैं। साथ ही युवा कांग्रेस, NSUI और महिला कांग्रेस जैसे पार्टी के प्रमुख संगठनों के चीफ के लिए भी कमरे हैं। तीसरी मंजिल पर कोई केबिन नहीं है। यहां ओपन ऑफिस बनाया गया है, जिसमें सचिव और प्रभारी बैठेंगे। दूसरी मंजिल पार्टी के विभिन्न विभागों और प्रकोष्ठों के लिए निर्धारित है। जबकि पहली मंजिल पर एक सभागार बनाया गया है।
हर मंजिल पर एक अवधि को दर्शाया गया
ग्राउंड फ्लोर पर मनमोहन सिंह के नाम पर एक लाइब्रेरी, एक मीडिया ब्रीफिंग रूम और एक कैफेटेरिया है। इंदिरा भवन की हर दीवार ऐतिहासिक तस्वीरों से ढकी हुई है। अंदर का हिस्सा गोलाकार है। हर मंजिल पर एक अवधि को दर्शाया गया है- यानी 1885 से लेकर मोटे तौर पर 1920-25 तक, फिर स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के वर्षों में जवाहरलाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी के दौर, राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह की सरकारों से लेकर वर्तमान तक का इतिहास तस्वीर समेत लगाया गया है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार अंदर लगी तस्वीरों की संख्या 246 है। इनमें कांग्रेस के पहले अध्यक्ष व्योमेश चंद्र बनर्जी की तस्वीर भी शामिल है, जो ग्राउंड फ्लोर पर रिसेप्शन में मौजूदा अध्यक्ष खड़गे की तस्वीर के बगल में रखी गयी है।
इंदिरा भवन को सजाने में प्रियंका गांधी का अहम योगदान
कांग्रेस सोर्सेज के अनुसार, पार्टी महासचिव और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी ने इंदिरा भवन को सजाने-संवारने और उसकी इंटीरियर डिजाइनिंग में प्रमुख भूमिका निभायी है। उन्होंने इस बिल्डिंग के आर्किटेक्ट के साथ मिलकर इस ऑफिस को अंतिम रूप देने में काफी मेहनत की है। चाहे नक्शे को अंतिम रूप देने की हो या बिल्डिंग के रंग-रोगन की या पांच मंजिले बिल्डिंग में किस फ्लोर पर किसकी तस्वीर कहां लगेगी, यह तय करना रहा हो, प्रियंका गांधी ने सभी फैसलों में अहम भूमिका निभायी है।
पार्टी सोर्सेज के अनुसार, प्रियंका गांधी ने इंदिरा भवन के फर्नीचर से लेकर पर्दे का चुनाव और फोटो के चयन में भी काफी मशक्कत की है। पूरी बिल्डिंग में तस्वीरों के जरिए कांग्रेस के इतिहास को उकेरा गया है। इंदिरा भवन की दीवारों पर जिन नेताओं की तस्वीरें लगायी गयी हैं, उनमें गांधी परिवार से मतभेद रखनेवालों से लेकर पार्टी छोड़कर जानेवाले नेताओं तक को शामिल किया गया है। इनमें नरसिम्हा राव, सीताराम केसरी, प्रणब मुखर्जी और गुलाम नबी आजाद सरीखे नेताओं को भी तरजीह दी गयी है।
भाजपा के पांच मंजिला मुख्यालय से मात्र एक किलोमीटर ही दूर है कांग्रेस मुख्यालय
कांग्रेस मुख्यालय भाजपा के पांच मंजिला मुख्यालय से मात्र एक किलोमीटर ही दूर है। उसी दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर अवस्थित है लेकिन कांग्रेस ने अपना मुख्य द्वार पीछे के रास्ते कोटला रोड में खोला और उसी मार्ग के नाम पर अपना पता 9ए कोटला रोड रखा। यह दीनदयाल उपाध्याय मार्ग के समानांतर है। पहले पास किये गये डिजायन के मुताबिक कांग्रेस मुख्यालय का मुख्य द्वार भी दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर ही खुल रहा था। वर्ष 1977 में जनता पार्टी सरकार ने राउज एवेन्यू रोड का नाम बदलकर दीनदयाल उपाध्याय मार्ग कर दिया था।माना जा रहा है कि पार्टी ने ऐसा बदलाव जानबूझकर किया, ताकि दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर उसके मुख्यालय का पता नहीं रहे।
दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रचारक, एक हिन्दू विचारक थे। वह भारतीय जनसंघ (वर्तमान मेंभाजपा) के सह संस्थापक और अध्यक्ष भी रहे हैं। श्यामा प्रसाद मुखर्जी और बलराज मधोक के साथ मिलकर दीनदयाल उपाध्याय ने अक्टूबर 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी। कांग्रेस की मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी भाजपा उन्हेंअपना विचारक, पथ प्रदर्शक और आदर्श मानती रही है।उनके अंत्योदय सिद्धांत को पार्टी अमल में लाती रही है। लिहाजा, कांग्रेस नहीं चाहती थी कि उन दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर कांग्रेस मुख्यालय का पता हो, जिनकी विचारधारा का वह प्रबल विरोधी रही है।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में कहा गया हैकि कांग्रेस के दिवंगत महासचिव अहमद पटेल और कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर कांग्रेस के प्रस्तावित मुख्य भवन के डिजायन में प्रवेश द्वार को बदलवाकर पीछे कोटला रोड की तरफ करवाया था। तब पार्टी नेवास्तुकी वजह सेइसमेंकिया गया बदलाव बताया था। कोटला मार्गका नाम दिल्ली के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक द्वारा 14वीं शताब्दी में निर्मित फिरोज शाह कोटला किला के नाम पर रखा गया है।
इंदिरा भवन की विशेषताएं
कांग्रेस के नये मुख्यालय का काम पिछले कई वर्षों सेजारी था। इंदिरा भवन को लगभग 242 करोड़ रुपयेकी लागत से तैयार किया गयाहै। यह भवन पार्टी की विरासत को संरक्षित रख हुए आधुनिकता का प्रतीक भी है। भवन को ग्रीन बिल्डि ग के मानकों के अनुरूप बनाया गया है। इसमें सोलर पैनल और वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम जैसी सुविधाएं भी हैं। पहली मंजिल पर हाईटेक ऑडिटोरियम है। किसान प्रकोष्ठ, डेटा विभाग और कई विभागों के दफ्तर समेत कुल 18 कमरेहैं। द्वितीय तल पर 24 कमरे हैं। इनमें राष्ट्रीय सचिव बैठेंगे। तीसरी मंजिल पर 18 कमरे हैं, जहां स्वतंत्र प्रभार वाले प्रभारी बैठेंगे। चौथी मंजिल पर संगठन महासचिव और कोषाध्यक्ष समेत पार्टी के अन्य महासचिवों का ऑफिसर होगा। इस तल पर 12 बड़े कमरे हैं। पांचवें फ्लोर पर पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के लिए तीन बड़े-बड़े ऑफिस बनाये गये हैं।
24,अकबर रोड को फिलहाल खाली नहीं करेगी कांग्रेस
 कांग्रेस सोर्सेज ने कहा कि पार्टी अपने निवर्तमान मुख्यालय "24, अकबर रोड" को फिलहाल खाली नहीं करेगी, जो 1978 में कांग्रेस (आई) के गठन के बाद से इसका मुख्यालय रहा है। सूत्रों ने कहा कि शुरुआत में प्रशासन, लेखा और कुछ अन्य ऑफिस नये भवन में स्थानांतरित होंगे। इसके अलावा कांग्रेस के विभिन्न अग्रिम संगठन - महिला कांग्रेस, युवा कांग्रेस और एनएसयूआई और पार्टी के विभाग और प्रकोष्ठ के कार्यालय भी नये कैंपस में स्थानांतरित किये जा सकते हैं। 1977 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद लुटियंस दिल्ली में 24, अकबर रोड बंगले को एआईसीसी मुख्यालय में बदल दिया गया था।1978 में कांग्रेस को 24 अकबर रोड का बंगला आवंटित हुआ था तब उसमें आठ कमरे थे। समय के साथ इसके परिसर में वैध-अवैध निर्माण होता रहा।
47 साल बाद अकबर रोड से कोटला रोड पर शिफ्ट हो गया कांग्रेस का मुख्यालय
लगभग 47 वर्षों के बाद 15 जनवरी को 24,अकबर रोड से कांग्रेस मुख्यालय कोटला रोड पर शिफ्ट हो गया। जब ये तय हुआ कि सभी राजनीतिक दलों को उनके सांसदों की संख्या के आधार पर दिल्ली में पार्टी के मुख्यालय के लिए जमीन दी जायेगी तो कांग्रेस को पंडित दीनदयाल उपाध्याय मार्ग और कोटला रोड के कोने पर प्लांट संख्या 9 ए आवंटित किया गया। उसी समय कांग्रेस ने तय कर लिया था वो अपने कार्यालय के पते में पंडित दीनदयाल उपाध्याय रोड न लिखकर कोटला रोड लिखेगी। उपलब्ध जानकारी के अनुसार दिल्ली में पार्टी का मुख्यालय पांचवीं बार स्थानांतरित हो रहा है।
7 जंतर मंतर रोड पर चल रहा था कांग्रेस पार्टी का कार्यालय
स्वाधीनता के बाद से कांग्रेस पार्टी का कार्यालय 7 जंतर मंतर रोड पर चल रहा था। इस बिल्डिंगसे कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने लंबे समय तक काम किया। पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर उनके बाद के कई कांग्रेस अध्यक्ष वहां बैठा करते थे। 1969 में जब कांग्रेस पार्टी का विभाजन हुआ तो संगठन कांग्रेस ने इस बिल्डिंग को छोड़ने से इंकार कर दिया।
1971 में पार्टी ने यहां बनाया अपना स्थायी ठिकाना
इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने विंडसर प्लेस में अस्थायी कार्यालय बनाया। इंदिरा गांधी को 7 जंतर मंतर मंतर रोड कार्यालय के छूटने का दर्द लंबे समय तक सालता रहा था। 1971 में पार्टी ने अपना स्थायी ठिकाना डा राजेन्द्र प्रसाद रोड पर बनाया। सात वर्षों तक कांग्रेस ने इसी कार्यालय में पार्टी की राजनीतिक गतिविधियां चलती रहीं। 1977 में संगठन कांग्रेस का विलय जनता पार्टी में हो गया। इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव के बाद मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने। इस बंगले को सरदार पटेल स्मारक संस्थान को अलाट कर दिया गया। जनता पार्टी का ऑफिस इसी बिल्डिंग में था। उस समय बताया गया था कि जनता पार्टी को सरदार पटेल स्मारक ट्रस्ट ने किराये पर जगह दी है। बाद में ये जगह विवादित होती चली गई। आज तो इस बिल्डिंग में कौन किरायेदार है और कौन मालिक पता करना कठिन है।जनता पार्टी के शासन काल के दौरान कांग्रेस पार्टी को अकबर रोड पर 24 नंबर की कोठी आवंटित कर दी गयी। तब से लेकर अबतक कांग्रेस पार्टी का मुख्यालय वहीं से कार्य कर रहा है। लगभग 47 वर्षों के बाद इस महीने मुख्यालय कोटला रोड पर शिफ्ट हो गया है।
कई रोचक किस्से 24 अकबर रोड से जुड़े
अकबर रोड के कार्यालय में कांग्रेस पार्टी ने काफी राजीनीतिक उतार चढ़ाव देखे। इमरजेंसी के बाद इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी, इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी का प्रधानमंत्री बनना, नरसिंह राव का प्रधानमंत्री बनना, सोनिया गांधी का अध्यक्ष पद संभालना, नरसिंह राव के पार्थिव शरीर के लिए कांग्रेस कार्यालय का नहीं खुलना। सोनिया की जगह मनमोहन सिंह को देश का प्रधानमंत्री बनना, राहुल गांधी का पार्टी की कमान संभलना, लंबे समय बाद किसी गैर गांधी के रूप में मल्लिकार्जुन खरगे का अध्यक्ष बनना जैसी महत्वपूर्ण राजनीतिक गठनाओं का गवाह अकबर रोड का बंगला बना।
1978 में जब कांग्रेस पार्टी को केंद्रीय कार्यालय के लिए 24 अकबर रोड का बंगला अलाट हुआ था तब उसमें आठ कमरे थे। समय के साथ इसके परिसर में वैध-अवैध निर्माण होता रहा। इस समय तो जाने कितने स्थायी- अस्थायी कमरे हैं। रशीद किदवई ने अपनी पुस्तक में कांग्रेस मुख्यालय परिसर में एक अस्थायी मंदिर की बात की है। उनके मुताबिक कांग्रेस मुख्यालय में एक बड़ा पेड़ था। किसी समय कर्नाटक के एक व्यक्ति को जब पार्टी का टिकट मिला तो उसने पेड़ के नीचे एक छोटा सा मंदिर बनवा दिया। 1999 में आये तूफान के कारण वो विशाल पेड़ गिर गया। उसके नीचे बना मंदिर भी ध्वस्त हो गया। कैंपस के उस मंदिर को लेकर भी रोचक जानकारी दी गयी है कि जो भी टिकटार्थी आता था वो वहां सर नवाता था। टिकट मिलने पर फिर मंदिक पहुंच कर भगवान को धन्यवाद देता था। इस तरह के कई किस्से 24 अकबर रोड से जुड़े रहे हैं। अब जब वो परिसर खाली हो जायेगा तो ये किस्से, अगर विस्तार से लिखे नहीं गये, तो इतिहास में खो सकते हैं।