Jharkhand : जेलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 39 कैदी होंगे रिहा
झारखंड विभिन्न जेलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 39 कैदी होंगे रिहा होंगे। झारखंड मंत्रालय में सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण परिषद की 31वीं बैठक में यह निर्णय लिया गया।
- झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण परिषद की 31वीं बैठक में CM हेमंत सोरेन ने लिया फैसला
- रिहा किए गये कैदियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ें: सीएम
रांची। झारखंड विभिन्न जेलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 39 कैदी होंगे रिहा होंगे। झारखंड मंत्रालय में सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण परिषद की 31वीं बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में राज्य झारखंड विभिन्न जेलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 74 कैदियों की रिहाई से संबंधित समीक्षा की गई। समीक्षा के बाद इन 74 कैदियों में से 39 कैदियों को रिहा किए जाने के निर्णय पर झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण परिषद ने अपनी स्वीकृति दी है।
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रिहा हुए बंदियों को समाज के मुख्य धारा से जोड़ें: श्री @HemantSorenJMM
— Office of Chief Minister, Jharkhand (@JharkhandCMO) August 5, 2024
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में झारखण्ड राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की 31वीं बैठक सम्पन्न। राज्य के विभिन्न कारागारों में आजीवन सजा काट रहे 39 बंदियों को रिहा किए जाने की स्वीकृति दी गई। pic.twitter.com/WH7Kc9di9U
समीक्षा के क्रम में न्यायालयों, संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षक, जेल अधीक्षक व प्रोबेशन पदाधिकारी के मंतव्य पर बिंदुवार विचार-विमर्श करने के बाद इन 39 कैदियों को रिहा करने पर सहमति बनी है। बैठक में सीएम हेमंत सोरेन ने अफसरों को निर्देश दिया है कि झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण परिषद की अनुशंसा के आलोक में राज्य की विभिन्न जेलों में बंद आजीवन कारावास की सजा काटकर रिहा हुए कैदियों की जानकारी लें। उनकी पारिवारिक स्थिति, सामाजिक व आर्थिक स्थिति का सत्यापन अवश्य करें। मुख्यमंत्री ने कहा है कि रिहा हुए कैदियों के जीवन यापन के लिए, आय सृजन के लिए विशेष कार्य योजना तैयार करें। रिहा हुए कैदियों को स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम से जोड़ें।
कैदियों को रोजगार से भी जोड़ा जायेगा
सीएम ने कहा कि रोजगार से जोड़ने के लिए उन्हें डेयरी फार्म, मुर्गी फार्म, पशुपालन आदि योजनाओं का लाभ दिलाएं। कारागार से रिहा होने के बाद इन कैदियों को जीवनयापन में सामाजिक रूप से कोई समस्या उत्पन्न न हो तथा आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़े, इस निमित्त एक बेहतर प्लान तैयार कर इन्हें स्वरोजगार से जोड़ें।उन्होंने कहा है कि रिहा होने वाले वैसे कैदी जिनकी उम्र अधिक हो चुकी है, उनकी पारिवारिक स्थिति की जानकारी भी लें। रिहा हुए कैदियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना सभी की नैतिक जिम्मेदारी भी है।
झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण परिषद की बैठक में सीएम के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, प्रधान सचिव सह विधि परामर्शी विधि (न्याय) विभाग नलिन कुमार, प्रधान सचिव गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग वंदना दादेल, न्यायिक आयुक्त रांची दिवाकर पांडेय, डीजीपी अनुराग गुप्ता,जेल आईजी सुदर्शन प्रसाद मंडल सहित अन्य अफसर उपस्थित थे।