झारखंड: JREDA के एक्स डायरेक्टर निरंजन कुमार समेत तीन अफसरों के खिलाफ ACB ने दर्ज की FIR

ज्रेडा के एक्स डायरेक्टर  निरंजन कुमार सहित तीन अफसरों के खिलाफ सोमवार को एसीबी में एफआइआर दर्ज हो गई। एफआइआर में निरंजन कुमार के अलावा तत्कालीन परियोजना निदेशक अरविंद कुमार, बलदेव प्रसाद और ज्रेडा में प्रतिनियुक्त रहे विद्युत कार्यपालक अभियंता श्रीराम सिंह को नेम्ड एक्युज्ड बनाया गया है। 

रांची। झारखंड रिन्यूएबल इनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (ज्रेडा) के एक्स डायरेक्टर  निरंजन कुमार सहित तीन अफसरों के खिलाफ सोमवार को एसीबी में एफआइआर दर्ज हो गई। एफआइआर में निरंजन कुमार के अलावा तत्कालीन परियोजना निदेशक अरविंद कुमार, बलदेव प्रसाद और ज्रेडा में प्रतिनियुक्त रहे विद्युत कार्यपालक अभियंता श्रीराम सिंह को नेम्ड एक्युज्ड बनाया गया है। 
निरंजन कुमार पर गवर्नमेंट रूल्स की अनदेखी कर नौकरी करने, गवर्नमेंट के बैंक अकाउंट से 170 करोड़ से अधिक की राशि का पेमेंट करने सहित कई गंभीर आरोप है। सीएम हेमंत सोरेन ने गत 23 अक्टूबर को ही एसीबी की पीई रिपोर्ट, विभाग के मंतव्य की समीक्षा के बाद प्रस्ताव को स्वीकृति दी थी। मामले में फंसे तीनों अफसरों पर पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार करने के आरोपों की प्रारंभिक जांच (पीई) में पुष्टि हो गई थी। अब एसीबी इन तीनों आरोपितों के खिलाफ जांच शुरू करेगा।

एसीबी को सशर्त प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मिली थी। शर्त यह है कि सभी आरोपितों को अपने बचाव में पक्ष रखने के लिए पूरा मौका देना है।र दूसरा यह है कि विभागीय समिति की जांच रिपोर्ट को भी ध्यान में रखते हुए अनुसंधान करना है। सीएम हेमंत सोरेन के आदेश पर ही एसीबी ने तीनों ही आरोपितों के खिलाफ प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज किया था। जांच में आरोपों की प्रथम दृष्टया पुष्टि के बाद ही एसीबी ने केस दर्ज करने के बिंदु पर मंत्रिमंडल निगरानी विभाग से अनुमति मांगा था।

एसीबी की पीई रिपोर्ट की हुई थी समीक्षा

एसीबी की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट की मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने समीक्षा करने के बाद संबंधित प्रशासी विभाग (ऊर्जा) की सहमति व मंतव्य प्राप्त कर कांड दर्ज करने के लिए मुख्यमंत्री से अनुमति मांगी थी। इसके लिए ऊर्जा विभाग को जांच रिपोर्ट भी भेजी गई थी। इसके आलोक में ऊर्जा विभाग ने तीनों आरोपित पदाधिकारियों से पक्ष मांगा था। आरोपितों का पक्ष मिलने के बाद विभाग ने समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया था। इस समिति ने मामले की समीक्षा करने के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग को रिपोर्ट दी थी। इसके बाद ही सीएम ने सहमति दी।

गलत तरीके से दिया था टेंडर, पोस्ट की भी नहीं थी अर्हता

एसीबी ने प्रारंभिक जांच में निरंजन कुमार के विरुद्ध लगे आरोपों को सही पाया था। जांच में पता चला था कि निरंजन कुमार ने जाली बैंक गारंटी के बावजूद हैदराबाद की कंपनी को गलत तरीके से टेंडर दिया।र उस फाइल को दबाये रखा। वर्ष 2019 में जब नये डायरेक्टर ने ज्वाइन किया तो इसका खुलासा हुआ। इसके बाद राजधानी रांची के डोरंडा पुलिस स्टेशन में कंपनी के खिलाफ एफाआइआर दर्ज कराई गई। जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ कि ज्रेडा के लिए कोई आइएएस, आइएफएस या टेक्निकल अफसर ही डायरेक्टर बनने योग्य है। इसके बावजूद निरंजन कुमार बिना योग्यता के पहले डायरेक्टर बने।

निरंजन कुमार पर आरोप

निरंजन कुमार ने गवर्नमेंट के विभिन्न बैंक अकाउंट से लगभग 170 करोड़ रुपये का पेमेंट किया। इन पर सपरिवार विदेश भ्रमण करने, अपनी संपत्ति विवरण में अपनी पत्नी के नाम से अर्जित संपत्ति का कोई विवरण नहीं देने, टेंडर में मनमानी तरीके से किसी कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने तथा विभिन्न निविदा में बगैर बोर्ड की सहमति के निविदा की शर्तें बदलने का आरोप है। भारतीय डाक-तार लेखा एवं वित्त सेवा के सीनीयर अफसर निरंजन कुमार पर आरोप है कि वे बिना अर्हता पूरी किए पुराने परिचय का दुरुपयोग कर जेयूएसएनएल व ज्रेडा के निदेशक पद पर बने रहे। र्ष 2019 की 27 जनवरी को प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त हो जाने के बाद इनकी प्रतिनियुक्ति अवधि का विस्तार केंद्र या कार्मिक विभाग ने नहीं किया। ये पद पर बने रहे और वेतन भी उठाते रहे।