झारखंड: हसबैंड की मौत के बाद वाइफ लड़ी कानूनी लड़ाई, हाइकोर्ट ने आठ सप्ताह में नौकरी देने का दिया आदेश
झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की कोर्ट में में हसबैंड शिवचरण सिंह को नौकरी से निकालने बाद में अनुकंपा के आधार पर वाइफ को नौकरी नहीं देने मामले में सुनवाई हुई। कोर्ट ने अनुकंपा के आधार पर विधवा लक्ष्मी सिंह आठ सप्ताह के अंदर नौकरी देने का आदेश दिया है।
रांची। झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की कोर्ट में में हसबैंड शिवचरण सिंह को नौकरी से निकालने बाद में अनुकंपा के आधार पर वाइफ को नौकरी नहीं देने मामले में सुनवाई हुई। कोर्ट ने अनुकंपा के आधार पर विधवा लक्ष्मी सिंह आठ सप्ताह के अंदर नौकरी देने का आदेश दिया है।
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कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि शिवचरण का निधन तब हुआ जब कोर्ट ने सभी को नौकरी में बहाल करने का निर्देश दिया था। लेकिन इस मामले में अफसरों की विलंब कारण बहाली आदेश जारी नहीं किया जा सका। इसलिए उनकी स्वत: बहाली मानी जायेगी। इसलिए वाइफको नौकरी प्रदान की जाए।
सरकार ने बहाली के बाद रद कर दी थी नौकरी
लक्ष्मी सिंह ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता चंचल जैन ने अदालत को बताया कि पुलिस विभाग वर्ष 2015 में जैप-2 में 269 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसके तहत पर रसोइया, जलवाहक, नाई, स्वीपर सहित अन्य पदों पर 22 अप्रैल 2016 को नियुक्ति की गई। शिवचरण सिंह की रसोइया पद पर नियुक्ति हुई थी। इसके दो माह बाद 23 जून 2016 को झारखंड सरकार ने उक्त नियुक्ति को रद करने का आदेश जारी कर दिया। इसके खिलाफ शिवचरण एवं अन्य लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की।
पुलिस विभाग का आदेश रद, आठ हफ्ते में जॉब दें
सुनवाई के बाद कोर्ट ने वर्ष 2019 में पुलिस विभाग के आदेश को निरस्त करते हुए सभी को दोबारा बहाल करने का निर्देश दिया। आदेश का अनुपालन नहीं होने पर हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई। इस बीच 21 दिसंबर 2020 को शिवचरण सिंह का निधन हो गया। इसके बाद विभाग ने 22 जनवरी 2021 को नियुक्ति की तिथि से 269 लोगों को वापस नौकरी पर रखने जाने को लेकर अधिसूचना जारी की। शिवचरण की विधवा लक्ष्मी सिंह ने हसबैंड की जगह पर नौकरी के लिए विभाग में आवेदन दिया। लेकिन विभाग ने उनके आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि निधन के समय शिवचरण सिंह नौकरी में नहीं थे। इसके बाद लक्ष्मी ने हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। मामले में कोर्ट ने आठ जून को फैसला सुरक्षित रख लिया था।