झारखंड: CM हेमंत सोरेन को खनन लीज आवंटन मामले में चुनाव आयोग में बहस पूरी, फैसला 18 अगस्त के बाद
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को लीज आवंटित करने के मामले में शुक्रवार को भारत निर्वाचन आयोग में सुनवाई हुई। इस दौरान हेमंत सोरेन की ओर से बहस पूरी कर ली गई। इसके बाद बीजेपी की ओर से उनकी बहस का जवाब दिया गया। इसमें इस केस से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों को आयोग में पेश किया गया। इसके बाद आयोग ने इस मामले में 18 अगस्त तक दोनों पक्षों को लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
रांची। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को लीज आवंटित करने के मामले में शुक्रवार को भारत निर्वाचन आयोग में सुनवाई हुई। इस दौरान हेमंत सोरेन की ओर से बहस पूरी कर ली गई। इसके बाद बीजेपी की ओर से उनकी बहस का जवाब दिया गया। इसमें इस केस से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों को आयोग में पेश किया गया। इसके बाद आयोग ने इस मामले में 18 अगस्त तक दोनों पक्षों को लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
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इससे पहले सुनवाई के दौरान हेमंत सोरेन के एडवोकेट ने आयोग को बताया कि इस मामले में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9 ए नहीं लागू होगी, जिसमें सदस्यता समाप्त किए जाने की बात कही गई है। उनकी ओर से दो घंटे तक बहस की गई।
सीएम व मिनिस्टर होते हेमंत ने ली खनन लीज : बीजेपी
बीजेपी की ओर से सीनीयर एडवोकेट मनिंदर सिंह और कुमार हर्ष ने इसके जवाब में कहा कि इस मामले में हेमंत सोरेन स्वयं आवंटित करने वाले भी हैं और लीज लेने वाले भी। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। इन्होंने भ्रष्ट आचरण अपनाया है। ऐसे में आफिस आफ प्राफिट छोटी बात मानी जायेगी। अगर इसको सही ठहराया गया तो जितने में सीएम या मिनिस्ट होंगे,वे स्वयं को ऐसी लीज या ठेका आवंटित करते रहेंगे, जिससे एक नई परिपाटी हो जायेगी। इसमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9 ए के तहत मामला बनता है। उनकी ओर से बजरंग बहादुर बनाम चुनाव आयोग में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया गया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग के सदस्यता रद करने को सही माना था।
बीजेपी की ओर से भी मामले में बहस हो चुकी पूरी
इस मामले में बीजेपी की ओर से उनके वकीलों ने चुनाव आयोद बहस की। बहस पूरी होने के बाद निर्वाचन आयोग ने हेमंत सोरेन को पक्ष रखने का मौका दिया। हेमंत सोरेन की ओर से भी अब बहस पूरी कर ली गई है। चुनाव आयोग अब इस मामले में अपना फैसला सुनायेगा। अगर फैसला हेमंत सोरेन के खिलाफ आता है तो उनकी विधानसभा सदस्यता रद हो सकती है।
बीजेपी की मांग है कि यह मामला आफिस आफ प्राफिट का बनता है। इसलिए हेमंत सोरेन को अयोग्य ठहराते हुए उनकी सदस्यता रद की जाए।उल्लेखनीय है कि बीजेपी ने गवर्नर के यहां सीएम हेमंत सोरेन को माइनिंग लीज आवंजन मामले में कंपलेन की थी। इसके बाद चुनाव आयोग ने मई में हेमंत को जनप्रतिनिधित्व की धारा 9 ए के तहत नोटिस जारी किया था।
रघुवर दास ने उजागर किया था मामला
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एक्स सीएम रघुवर दास ने सबसे पहले मीडिया के समक्ष खुलासा किया था कि सीएम हेमंत सोरेन ने माइंस डिपार्टमेंट के मिनिस्टर रहते अपने नाम से खनन लीज आवंटित करा लिया है। इस आरोप के बाद झारखंड की राजनीति में भूचाल सा आ गया। बीजेपी ने मामले की शिकायत झारखंड के राज्यपाल गवर्नर रमेश बैस से की। गवर्नर ने मामले को भारत निर्वाचन आयोग के पास भेज दिया। इसके बाद निर्वाचन आयोग ने राज्य के चीफ सेकरेटरी से इस मामले में रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट मिलने के बाद आयोग ने मामले की सुनवाई शुरू की।
झारखंड हाईकोर्ट में भी दाखिल है याचिका
सीएम के माइनिंग लीज मामले को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई है। उस पर भी सुनवाई चल रही है। भारत निर्वाचन आयोग के फैसले का असर झारखंड हाईकोर्ट की सुनवाई पर भी पड़ सकता है। अब देखना यह है कि इस मामले में सीएम हेमंत सोरेन का क्या होता है। अगर उन्हें इस मामले में चुनाव आयोग से क्लीनचिट मिल जाती है तो हाईकोर्ट से भी राहत की उम्मीद की जा सकती है। जेएमएम का आरोप है कि BJP साजिश के तहत इस मामले को लेकर चुनाव आयोग और झारखंड हाईकोर्ट में गई है। वह किसी भी तरह से झारखंड सरकार को अस्थिर करना चाहती है।