झरखंड: ईडी ने एक्स मिनिस्टर भानु प्रताप शाही की चार संपत्ति को किया अटैच
ई़डी ने बुधवार को एक्स मिनिस्टर भानु प्रताप शाही की चार संपत्ति को अटैच कर लिया है। गढ़वा जिले के नगर उंटारी में चार भूखंड को जब्त किया गया है। ईडी द्वारा यह कार्रवाई मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत उनके खिलाफ दर्ज केस में की गई है।
रांची।ई़डी ने बुधवार को एक्स मिनिस्टर भानु प्रताप शाही की चार संपत्ति को अटैच कर लिया है। गढ़वा जिले के नगर उंटारी में चार भूखंड को जब्त किया गया है। ईडी द्वारा यह कार्रवाई मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत उनके खिलाफ दर्ज केस में की गई है।
ईडी द्वारा जब्त चारों भूखंड में गढ़वा जिले के जांगीपुर गांव में है। सेल डीड के अनुसार चारों भूखंड की कीमत 13 लाख 24 हजार 762 रुपये है। वर्ष 2008 व 2009 में चारो भूखंड खरीदे गये हैं। चारो भूखंड का कुल रकबा करीब छह एकड़ के आसपास है। सभी भूखंड भानु प्रताप शाही के नाम पर ही हैं।
मधु कोड़ा के शासनकाल में हेल्थ मिनिस्टर थे भानु
उल्लेखनीय है कि 130 करोड़ रुपये के दवा घोटाले में सीबीआइ द्वारा एफआइआर दर्ज करने के बाद ईडी ने भी भानु प्रताप शाही के खिलाफ मनी लाउंड्रिंग के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की थी। ईडी द्वारा की गयी जांच के आधार पर एडजुकेटिंग अथॉरिटी ने शाही व उनके पारिवारिक सदस्यों के नाम अर्जित संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया था।भानु प्रताप शाही पर मधु कोड़ा के शासनकाल में प्रदेश में स्वास्थ्य मंत्री थे। उनपर बहुचर्चित दवा घोटाले में संलिप्तता का आरोप लगा था, जिसकी जांच सीबीआइ कर रही है। करोड़ों रुपये के दवा घोटाले में दर्ज सीबीआइ की एफआइआर के आधार पर ही ईडी ने मनी लाउंड्रिंग एक्ट में प्राथमिकी दर्ज की थी। पूर्व में उनके गुड़गांव स्थित क्रिसेंट प्लाजा के फ्लैट व दुकान को भी ईडी ने कब्जे में लिया था। पूर्व में भानु प्रताप शाही के बैंक खाते को भी ईडी ने फ्रीज किया था।
भानु प्रताप पर बाजार से अधिक दर पर दवा और उपकरण खरीदे
भानु प्रताप शाही को स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए बाजार दर से अधिक की राशि पर दवा व स्वास्थ्य संबंधित उपकरण की खरीद ऊंची दर पर की गई थी। इससे सरकारी राशि का दुरुपयोग हुआ था। आरोप है कि सप्लायर्स से मिनिस्टर व अफसर लाभान्वित हुए थी। मोटी रकम वसूली की थी। आयरन की गोलियां जरूरत से ज्यादा खरीदी गई थी। एक वर्ष में चार करोड़ से अधिक की आयरन की गोली खरीदी गयी थी, जबकि जरूरत इतनी नहीं थी। अन्य दवा और उपकरणों की खरीद में भी काफी गड़बड़ी की गई थी। बाजार में जिस उपकरण की कीमत 50-60 रुपये थी, उसे एक हजार रुपये में खरीदा गया था। फोगला ग्रुप ने अकेले 48-58 करोड़ की दवा की सप्लाई थी। खरीदे गए कई उपकरण गोदामों में पड़े रह गये थे। हेल्थ सेंटरों को भी आवश्यकता से अधिक उपकरण दिये गये थे।
दवा घोटाले की हुई थी सीबीआई जांच
वर्ष 2008-09 में दवा घोटाला की सूचना मामले की जांच सीबीआई से कराने का निर्णय लिया गया था। सीबीआइ ने वर्ष-2009 में एफआइआर दर्ज की थी। इसके बाद 13 मई 2011 को एक्स हेल्थ सेकरेटरी सियाराम प्रसाद को अरेस्ट किया गया था। मामले के आरोपी भानु प्रताप शाही वर्ष 2011 की छह अगस्त कोर्ट में सरेंडर के बाद जेल भेज गये थे।