झारखंड: लालू के जेल मैनुअल उल्लंघन पर संशोधित SOP पेश करने का निर्देश, हाई कोर्ट में अगली सुनवाई पांच को
- रिम्स से RJD सु्प्रीमो की मेडिकल रिपोर्ट तलब
रांची। झारखंड हाई कोर्ट में शुक्रवार को बिहार के एक्स सीएम व आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद के जेल मैनुअल उल्लंघन के मामले की सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने जेल आइजी को जेल से बाहर रहने वाले कैदियों के लिए संशोधित एसओपी पेश करने का निर्देश दिया है। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की कोर्ट ने इस मामले में होम डिपार्टमेंट को भी जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। रिम्स मैनजमेंट से लालू प्रसाद की मेडिकल रिपोर्ट भी पांच जनवरी को पेश करने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान स्टेट गवर्नमेंट की ओर से कैदियों को हॉस्पीटल में एडमिट रहने के दौरान सुरक्षा सहित अन्य सुविधाओं को लेकर एसओपी की जानकारी दी गई। अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने बताया कि रिवाइज एसओपी गृह सचिव के पास भेजा गया है। उन्हें दो सप्ताह का समय दिया जाए ताकि रिवाइज एसओपी पर निर्णय लिया जा सके। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 5पांच फरवरी को निर्धारित की है।
सरकार की ओर से कोर्ट को जेल के बाहर कैदियों की सुरक्षा के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि इसके लिए नियम तय किये गये हैं। जो भी अभिरक्षा प्रभारी होंगे उन्हें रजिस्टर मेंटेन करना होगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि अभी सुरक्षा की क्या व्यवस्था है। इस पर जेल प्रशासन की ओर से बताया गया कि रिम्स में अभी तीन शिफ्ट में सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं। विधि व्यवस्था बनाये रखने के लिए एक मजिस्ट्रेट की नियुक्ति भी की गयी है। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि मजिस्ट्रेट की नियुक्ति क्यों की गयी है। इससे प्रतीत होता है कि ज्यादा भीड़- भाड़ होती होगी। इस पर जेल प्रशासन का कहना था कि भीड़ नहीं होती है। हॉस्पीटल कैंपस में यदि कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न हो जाए, तो उससे निपटने के लिए मजिस्ट्रेट को प्रतिनियुक्त किया गया है।
एसओपी किसी खास व्यक्ति के लिए नहीं बननी चाहिए
कोर्ट ने कहा कि एसओपी में यह स्पष्ट नहीं है कि पुलिस के कोई वरीय अधिकारी निरीक्षण करने जायेंगे या नहीं। इसका प्रावधान क्यों नहीं किया गया है। बाहर से भोजन लाने और मुलाकात करने वालों के बारे में भी स्पष्ट जानकारी एसओपी में नहीं दी गयी है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी एसओपी किसी खास व्यक्ति के लिए नहीं बननी चाहिए। एसओपी के प्रावधान सभी पर लागू होंगे।इसलिए उसी अनुसार एसओपी बननी चाहिए। जेल प्रशासन की ओर से कहा गया कि वह प्रावधानों को और स्पष्ट कर संशोधित एसओपी तैयार कर गृह विभाग के पास मंजूरी के लिए भेजेगा। इसके लिए उसे दो सप्ताह का समय चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि रिम्स प्रशासन की ओर से लालू प्रसाद की मेडिकल रिपोर्ट पेश नहीं की गयी है। जबिक रिम्स को नियमित तौर पर रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है। कोर्ट ने रिम्स को अगली तिथि को लालू प्रसाद की मेडिकल रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। हाई कोर्ट ने सुनवाई की तिथि पांच फरवरी निर्धारित करते हुए जेल आईजी, गृह विभाग और रिम्स को शपथपत्र के माध्यम से जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी।
उल्लेखनीय है कि झारखंड हाई कोर्ट ने जेल मैनुअल उल्लंघन मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए जेल आईजी और रिम्स मैनेजमेंट से जवाब मांगा था।